नई दिल्ली। ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट किया जाता है। सैंपल लेने से लेकर रिपोर्ट आने तक की प्रक्रिया में कम से कम 5-7 दिन का समय लगता है और इसे कराने में लगभग 5 हजार का खर्च भी आता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। नए RT-PCR किट से ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता कम समय में चल जाएगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने चेन्नई की नई RT-PCR किट को मंजूरी दी है। ये किट मात्र 45 मिनट में कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन सहित सभी वैरिएंट का लगा लेगी। इस नई किट का नाम कृविडा नोवस RT-PCR किट (KRIVIDA Novus RT-PCR kit) है।
इस किट से कैसे पता चलता है कि ओमिक्रॉन संक्रमण है या नहीं?
ImmuGenix Bioscience के संस्थापक, निदेशक और किट बनाने वाले डॉ. नवीन कुमार वेंकटेशन के अनुसार, कृविडा नोवस किट S-Gene टारगेट फेल्योर स्ट्रैटजी के जरिए ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाता है। किट से ओमिक्रॉन (B.1.1.529) के सभी सब-वैरिएंट BA.1, BA.2 और BA.3 का भी पता लगा सकता है।
क्या है S-Gene टारगेट फेल्योर स्ट्रैटजी?
वायरस में मौजूद S-Gene के जरिए ही ओमिक्रॉन की पहचान की जा रही है। कई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ओमिक्रॉन में S-Gene नहीं है। अगर किसी व्यक्ति के सैंपल में S-Gene मिसिंग है, तो वो ओमिक्रॉन संक्रमित है। सैंपल में S-Gene मौजूद है और रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव है तो इसका मतलब है कि कोरोना के किसी दूसरे वैरिएंट का संक्रमण है।
कृविडा नोवस RT-PCR इसी S-Gene और 5 अलग जीन का पता लगाता है। इस किट को ImmuGenix Bioscience के सहयोग से बनाया गया है।
पुरानी RT-PCR किट में कितने Gene का पता चलता था?
क्रिया मेडिकल टेक्नोलॉजी के अनुसंधान और विकास प्रमुख डॉक्टर शनमुगप्रिया के अनुसार, नई RT-PCR किट SARS-COV-2 के चार जीन और एक ह्यूमन जीन को डिटेक्ट करती है। पुरानी सभी RT-PCR किट SARS-COV-2 के ज्यादा से ज्यादा तीन जीन का पता लगाती थी।
नई किट से टेस्ट करने का तरीका पुराना है या फिर बदल गया है?
डॉक्टर वेंकटेशन के अनुसार, इस किट से वैसे ही टेस्ट किया जा सकता है जैसे अब तक पुराने किट से किया जाता है। सैंपल के लिए आप नाक या गले से स्वाब लेकर किट की मदद से टेस्ट कर सकते हैं।
ये कितने में मिल जाएगी?
क्रिया मेडिकल टेक्नोलॉजी की CEO और संस्थापक अनु मोतुरी के अनुसार, अब तक बाजार में बिकने वाली सभी RT-PCR किट की तुलना में ये नई किट किफायती होगी।
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