गोरखपुर (लखनऊ ब्यूरो)। बीआरडी मेडिकल कॉलेज से एक राहत भरी खबर आ रही है। यहां दिल में छेद और सिकुड़ गए हृदय के मरीजों का इलाज अब निजी अस्पतालों से काफी कम खर्च में होगा। इसकी शुरुआत अगले माह से होगी।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विशेषज्ञ (Cardiologist) डॉ कुणाल सिंह (Dr Kunal Singh) ने बताया कि हृदय की नसें सिकुड़ जाने के कारण धमनियों में रक्त का संचार ठीक से नहीं हो पाता है। इसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा अधिक रहता है। अब तक ऐसे मरीजों का इलाज करने में दिक्कत हो रहीं थीं। इस बीमारी (disease) को रुमेटिक हार्ट डिजीज कहते हैं। इसमें हृदय का वाल्व धीरे-धीरे सिकुड़ता है। एक स्थिति यह बन जाती है कि बैठे-बैठे ही मरीजों की सांस फूलने लगती है। ऐसे मरीजों का इलाज (बीएमवी) माइट्रल वाल्वो-टामी तकनीक से किया जाएगा। इस तकनीक में कैथेडर के माध्यम से वाल्व को चौड़ा करने के लिए बैलून पहुंचाया जाता है।
इसे बाद में फुलाने से वाल्व की सिकुड़न दूर होती है। जबकि, हृदय में छेद होने वाले मरीजों का इलाज डिवाइस क्लोजर के जरिये किया जाएगा। इसके लिए पैर के रास्ते डिवाइस लेकर जाते हैं, जिससे छेद को बंद किया जाता है। इन दोनों बीमारियों से पीड़ित मरीजों का इलाज अगले माह से शुरू हो जाएगा।
डॉ कुणाल सिंह ने बताया कि दोनों बीमारियों के 30 से अधिक मरीज (patients) चिह्नित कर लिए गए हैं, जिनका इलाज अगले माह 15 सिंतबर से किया जाएगा। इलाज से संबंधित सभी उपकरण भी अगले माह उपलब्ध हो जाएंगे। बताया कि कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स के मरीजों का इलाज निजी अस्पताल में ढाई से तीन लाख रुपये में होता है। जबकि, बीआरडी में इसकी लागत एक लाख के आसपास आएगी। वहीं, रुमेटिक हार्ट डिजीज के मरीजों का इलाज के लिए मरीजों को निजी अस्पताल में दो लाख के आसपास खर्च करने पड़ते हैं। बीआरडी में यही इलाज 70 से 80 हजार रुपये के बीच हो जाएगा।
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