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स्वास्थ्य को विकास के एजेंडे से जोड़ा जा रहा है: डॉ. मनसुख मांडविया

डॉ. मांडविया ने एनएचएम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 31 दिसंबर, 2022 तक 1.50 लाख आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटर के लक्ष्य को पार करते हुए 1.54 लाख से अधिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को एबी-एचडब्ल्यूसी में बदल दिया गया है।

एस. के. राणा
January 13 2023 Updated: January 13 2023 00:11
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स्वास्थ्य को विकास के एजेंडे से जोड़ा जा रहा है: डॉ. मनसुख मांडविया राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालन संमूह की आठवीं बैठक में मंत्रीगण

नयी दिल्ली। पहली बार केंद्र सरकार के समग्र दृष्टिकोण के अंतर्गत स्वास्थ्य को विकास के एजेंडे से जोड़ा जा रहा है। महामारी की अवधि ने अपने स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना को मजबूत करने का अवसर प्रदान किया है। यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के मिशन संचालन संमूह (MSG) की आठवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।

 

डॉ. मांडविया (Dr. Mandaviya) ने एनएचएम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 31 दिसंबर, 2022 तक 1.50 लाख आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और वेलनेस सेंटर (AB-HWCs) के लक्ष्य को पार करते हुए 1.54 लाख से अधिक उप-स्वास्थ्य केंद्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को एबी-एचडब्ल्यूसी में बदल दिया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 (NHP 2017) के दृष्टिकोण के अनुरूप एबी-एचडब्ल्यूसी समुदायों के निकट व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा दे  रहे हैं। 12 स्वास्थ्य सेवाओं के पैकेज निःशुल्क उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि एचडब्ल्यूसी में 135 करोड़ से अधिक लोग आए।

 

डॉ. मांडविया ने बल देते हुए कहा कि हमें वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों (global health care systems) तथा उनके श्रेष्ठ व्यवहारों को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अपनी क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप, स्थानीय शक्ति और चुनौतियों के अनुकूल भारत का अपना हेल्थकेयर मॉडल हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार अंत्योदय के दर्शन के साथ आगे बढ़ते हुए  देश के हर कोने में प्रत्येक व्यक्ति को सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं (quality health services) प्रदान करना चाहती है।

 

एमएसजी को एनएचएम द्वारा अपनाए गए 'समग्र दृष्टिकोण' के बारे में बताया गया,  जिसमें बदलती स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कार्यक्रम के डिजाइन में बदलाव शामिल है। इसमें परिपूर्णता के दृष्टिकोण के साथ काम करना, इंक्रीमेंटल से व्यापक दृष्टिकोण (आयुष, तृतीयक देखभाल और विस्तारित पैकेज) में बदलाव, डायग्नोस्टिक्स (diagnostics), औषधि (drugs) और एआई ( and AI) के माध्यम से आत्मनिर्भरता बढ़ाना, एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य (National Digital Health) ईकोसिस्टम बनाना और भविष्य के लिए तैयार और लचीली स्वास्थ्य प्रणाली बनाना तथा एमडीजी से एसडीजी में बदलाव शामिल है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान एमएसजी को एनएचएम के अंतर्गत हासिल उपलब्धियों के बारे में बताया गया :

  • 1 लाख एबी-एचडब्ल्यूसीने ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के माध्यम से टेली-कंसलटेशन सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है।
  • एचपीवी वैक्सीन के तकनीकी विनिर्देश तथा प्रारूप दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी गई है।
  • अब तक 30 करोड़ एबीएचएआईडी बनाई गई हैं और उन्हें राष्ट्रीय  डिजिटल हेल्थकेयर इकोसिस्टम के साथ एकीकृत किया गया है।
  • लगभग 20 करोड़ एबी-पीएमजेएवाईकार्ड बनाए गए हैं।
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 630 जिलों में लागू किया गया है।
  • जिला अस्पतालों में भी तृतीयक सेवाएं धीरे-धीरे प्रदान की जा रही हैं।
  • निक्षय मित्र पहल के अंतर्गत 9 लाख से अधिक टीबी रोगियों को अपनाया गया है।
  • पिछले 4-5 वर्षों में मलेरिया के मामलों को कम करने में जल जीवन मिशन का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।

 

एनएचएम के 8वें एमएसजी में एमएसजी की पिछली बैठकों के कार्य विवरणों की  पुष्टि सहित विभिन्न एजेंडा बिंदुओं पर चर्चा की गई। एमएसजी की 7वीं बैठक में लिए गए निर्णयों पर कार्रवाई रिपोर्ट पर चर्चा की गई और एक परिपूर्ण तथा संपूर्ण दृष्टिकोण को लागू करने का निर्णय लिया गया, जिसमें स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है और जिसकी समुदाय पर पहुंच और प्रभाव है।

 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने निक्षय मित्र पहल के अंतर्गत प्रगति की सराहना करते हुए 2025 तक टीबी उन्मूलन लक्ष्य को  प्राप्त करने के माननीय प्रधानमंत्री के विजन के अनुसार 2025 तक टीबी उन्मूलन की आवश्यकता पर बल दिया। एमएसजी ने निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य दृष्टिकोण की ओर ध्यान केंद्रीत करने पर भी विचार-विमर्श किया, जो समुदाय में समग्र कल्याण के दृष्टिकोण का पक्षधर है।

 

गणमान्य व्यक्तियों ने प्रत्येक मेडिकल कॉलेज द्वारा 10 एबी-एचडब्ल्यूसी का परामर्शदाता बनने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श किया गया। यह बाद में अन्य एबी-एचडब्ल्यूसी के अनुकरण के लिए मॉडल बन जाएगा। यह प्राथमिक क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करेगा। इसके अतिरिक्त एमएसजी ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा ईकोसिस्टम को मजबूत बनाने पर चर्चा की और एनएचएम के अंतर्गत नई पहल के हिस्से के रूप में वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना ढांचे को उन्नत और मजबूत करने के लिए नई टेकनोलॉजी को अपनाने पर जोर दिया।

 

केंद्रीय मंत्रियों ने वर्षों से राज्यों को दिए किए गए केंद्रित कार्यक्रमों और सहायता के माध्यम से एनएचएम के अंतर्गत हुई प्रगति की सराहना की। सर्वाइकल कैंसर जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए दृष्टिकोण, मेडिकल कॉलेजों के अंतर्गत एबी-एचडब्ल्यूसी की संख्या बढ़ाने, शहरी स्वास्थ्य क्षेत्र के अधिक विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता तथा केंद्र और राज्यों के बीच तालमेल बढ़ाने सहित अनेक सुझाव दिए गए।

 

डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि एमएसजी की बैठक में लिए गए निर्णयों से स्वास्थ्य सेवा के सभी स्तरों - प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक पर स्वास्थ्य सेवाओं की डिलिवरी को गति देने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बैठक में प्राप्त फीडबैक और सुझावों पर विचार किया जाएगा ताकि उठाए जाने वाले कदमों पर रोडमैप का मार्गदर्शन किया जा सके।

 

इस अवसर पर आवास और शहरी मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार,  स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार और नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल भी उपस्थित थे।

 

एमएसजी (MSG), एनएचएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है। यह संस्था नीतियों तथा मिशन के कार्यक्रम क्रियान्वयन पर निर्णय लेती है। बैठक में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष, स्कूल शिक्षा और साक्षरता सचिव तथा महिला और बाल विकास मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, वित्त और व्यय, पंचायती मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी, राज्य सरकारों के स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े पेशेवर भी शामिल हुए।  

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