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समय से पूर्व जन्म के कारण दस प्रतिशत नवजातों की हो जाती है मौत

नवजात शिशु जन्म दर की ये संख्या बताती है कि हर 10 में से एक शिशु, यानि लगभग 10 प्रतिशत शिशुओं का जन्म समय से पूर्व यानि अपरिपक्व हुआ। समय से पूर्व जन्म लेने वाले जो बच्चे जीवित भी रहते हैं, उनमें मुख्य बीमारियाँ, विकलांगता और विकास सम्बन्धी विलम्ब होने की सम्भावना होती है। 

हे.जा.स.
October 08 2023 Updated: October 08 2023 19:34
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समय से पूर्व जन्म के कारण दस प्रतिशत नवजातों की हो जाती है मौत प्रतीकात्मक चित्र

जेनेवा। वर्ष 2020 में लगभग एक करोड़ 34 लाख शिशु पैदा हुआ, जिनमें से लगभग दस लाख बच्चों की मौत, समय से पूर्व जन्म सम्बन्धी जटिलताओं के कारण हो गई। ये जानकारी संयुक्त राष्ट्र ने एक नई रिपोर्ट दी। 


नवजात शिशु जन्म दर (newborn birth rate) की ये संख्या बताती है कि हर 10 में से एक शिशु, यानि लगभग 10 प्रतिशत शिशुओं का जन्म समय से पूर्व यानि अपरिपक्व (premature) हुआ। दुनिया भर में, शिशु के जन्म का सही समय गर्भावस्था (pregnancy) के 37 सप्ताहों बाद होता है, जबकि इन बच्चों का जन्म 37 सप्ताहों की गर्भावस्था से पहले ही हो गया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस स्थिति के लिए, बड़ी संख्या में महिलाओं के ख़राब मातृत्व स्वास्थ्य (poor maternal health) और कुपोषण (malnutrition) के हालात को ज़िम्मेदार ठहराया है।


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूएन बाल कोष (UNICEF) और लन्दन स्वच्छता और ट्रॉपिकल औषधि स्कूल ने कहा है, “चूँकि जीवन के आरम्भिक वर्षों में ही शिशुओं की मौत होने के लिए, समय से पहले ही जन्म यानि अपरिपक्व जन्म है, तो इस तरह के बच्चों की देखभाल को मज़बूत करने के साथ-साथ, विशेष रूप से मातृत्व स्वास्थ्य और पोषण को बेहतर बनाने के प्रयास करने की आवश्यकता है। ताकि शिशुओं के जीवित रहने की सम्भावनाएँ बढ़ाई जा सकें।”


इन संगठनों का कहना है कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले जो बच्चे जीवित भी रहते हैं, उनमें मुख्य बीमारियाँ, विकलांगता और विकास सम्बन्धी विलम्ब होने की सम्भावना होती है। 


मातृत्व स्वास्थ्य जोखिम - Maternal Health Risks
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के सभी क्षेत्रों में, मातृत्व स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य प्रमुख रुझानों की तरह ही, समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में, पिछले दशक के दौरान कोई ख़ास प्रगति नहीं देखी गई है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में मातृत्व और नवजात स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉक्टर अंशु बैनर्जी का कहना है, “अपरिपक्व शिशु, विशेष रूप से जीवन को जोखिम में डालने वाली, स्वास्थ्य जटिलताओं के लिए निर्बल होते हैं, और उन्हें विशेष स्वास्थ्य देखभाल व ध्यान की ज़रूरत है.”


वैश्विक अनुमान - Global Estimates
इन संगठनों की रिपोर्ट का नाम है - National, regional, and global estimates of preterm birth in 2020, with trends from 2010: a systematic analysis.


इसमें वर्ष 2010 से 2020 के दशक में, समय से पूर्व जन्मों के बारे में वैश्विक, क्षेत्रीय और देशीय स्तर पर अनुमान व रुझान प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें क्षेत्रों व देशों के दरम्यान भारी विषमताएँ पाई गई हैं। 


रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में समय पूर्व जन्म की 65 प्रतिशत संख्या उप-सहारा अफ़्रीका और दक्षिणी एशिया में 13 प्रतिशत थी। सर्वाधिक बुरी तरह प्रभावित देशों में – बांग्लादेश, मलावी और पाकिस्तान रहे हैं. सबसे कम प्रभावित देशों में सर्बिया, मॉल्दोवा और कज़ाख़स्तान देश शामिल हैं। 


समय पूर्व जन्म दरें - Premature birth rates
समय पूर्व जन्म होना, केवल निम्न व मध्य आय वाले देशों का ही एक मुद्दा नहीं है। आँकड़े दिखाते हैं कि इससे दुनिया के सभी हिस्से प्रभावित हैं, जिनमें ग्रीस और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं। 


डॉक्टर अंशु बैनर्जी का कहना है कि ये संख्याएँ, मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने में गम्भीर संसाधन निवेश की तात्कालिकता को दर्शाती हैं। 


किशोरावस्ता में गर्भ (adolescence pregnancy), संक्रमण (infection), ख़राब पोषण जैसी स्थितियाँ मातृत्व स्वास्थ्य जोखिम, समय पूर्व जन्म से जुड़ी हुई हैं. जटिलताओं का पता लगाने और उनका उपचार करने के लिए, गुणवत्ता वाली जच्चा-बच्चा स्वास्थ्य सेवा बहुत ज़रूरी है। 


रिपोर्ट तैयार करने वालों ने, आँकड़ों की उपलब्धता मज़बूत करने के लिए लगातार प्रतिबद्धता का आहवान किया है ताकि यथा स्थिति व यथा आवश्यकता, सहायता पहुँचाने के लिए, उन आँकड़ों का ठोस प्रयोग किया जा सके। 

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