लखनऊ। 20 मार्च, 2025: अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल्स लखनऊ ने बच्चों में बढ़ती विकासात्मक देरी की समस्या को ध्यान में रखते हुए विशेष चाइल्ड डेवलपमेंट क्लिनिक की शुरुआत की घोषणा की। यह एसोसिएट डायरेक्टर, पीडियाट्रिक्स और नियोनेटोलॉजी, डॉ. प्रांजली सक्सेना के नेतृत्व में संचालित होगा। सर्टिफाइड चाइल्ड डिवेलपमेंट स्पेशलिस्ट डॉ. सक्सेना को बाल चिकित्सा देखभाल का लंबा अनुभव है।
यह क्लिनिक बच्चों में विकास से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने में मदद करेगा, जिसमें प्रारंभिक पहचान और डायग्नोसिस से लेकर विशेष थेरेपी और इंटरवेंशन्स जैसी सेवाएँ उपलब्ध होंगी।
क्लिनिक के शुभारंभ पर डॉ. प्रांजली सक्सेना ने बच्चों में तेजी से बढ़ते विकासात्मक और व्यवहार संबंधी विकारों पर चर्चा की। उन्होंने कहा “बदलते सामाजिक परिवेश में न्यूक्लियर परिवार, माता-पिता की उम्र में वृद्धि, स्क्रीन टाइम में इजाफा और हाई-रिस्क प्रेग्नेंसी जैसे कारक बच्चों में इन विकारों को बढ़ा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु के लगभग 5 प्रतिशत बच्चों को किसी न किसी प्रकार की दिव्यंगता का सामना करना पड़ता है। यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर 2 से लेकर 17 प्रतिशत तक हो सकता है।
उन्होंने कहा, “सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, अमेरिका में वर्ष 2023 तक 36 में से 1 बच्चा ऑटिज्म से प्रभावित है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा प्रत्येक 100 में से 1 बच्चे का है। इसके अलावा, जिन बच्चों को गर्भावस्था या नवजात अवस्था में कोई समस्या होती है, उनमें लंबे समय तक चलने वाले न्यूरोडिवेलपमेंटल विकारों की संभावना अधिक होती है। यह समस्याएँ लर्निंग डिफिकल्टी, संज्ञानात्मक या विकासात्मक देरी, सेरेब्रल पाल्सी, सुनने और देखने की क्षमता में कमी जैसी कठिनाइयों के रूप में सामने आती हैं। इसके अतिरिक्त, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर और बोलने में देरी व भाषा समझने में समस्या जैसे व्यवहारिक विकार भी देखे जाते हैं।”
डॉ. सक्सेना ने बताया कि इन देरी के कारण आनुवंशिक, पर्यावरणीय या प्रारंभिक बचपन की बीमारियों और कुपोषण से भी जुड़े हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद “वर्चुअल ऑटिज्म” के मामलों में वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में। पारंपरिक ऑटिज्म जहां जैविक विकास से जुड़ा होता है, वहीं वर्चुअल ऑटिज्म मोबाइल फोन, टैबलेट और अन्य गैजेट्स के अत्यधिक उपयोग से संबंधित है।
उन्होंने कहा अगर हम इन विकासात्मक समस्याओं की पहचान जल्दी कर लें तो बच्चों के जीवन में बड़ा बदलाव संभव है। समय रहते हस्तक्षेप से बच्चों में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। हमारी क्लिनिक का उद्देश्य इन समस्याओं की शीघ्र पहचान कर, वैज्ञानिक आधार पर सटीक उपचार और थेरेपी प्रदान करना है। हम मोटर डिले से लेकर संज्ञानात्मक और सामाजिक-भावनात्मक विकास से जुड़ी समस्याओं पर काम करेंगे तथा माता-पिता के लिए एक ही छत के नीचे डायग्नोसिस से लेकर काउंसलिंग व थेरेपी जैसी सेवाएँ देंगे।
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल्स लखनऊ के एमडी व सीईओ, डॉ. मयंक सोमानी ने कहा, “हमरा प्रयास बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का है। चाइल्ड डिवेलपमेंट क्लिनिक की शुरुआत हमारे मिशन का हिस्सा है ताकि बच्चों को समर्पित और संवेदनशील देखभाल मिल सके। विकासात्मक समस्याओं के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह जरूरी है कि इन मुद्दों को समय रहते पहचाना जाए और बच्चों को वह सहायता मिले, जिसकी उन्हें ज़रूरत है ताकि वे अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकें। हमें गर्व है कि डॉ. प्रांजली सक्सेना इस पहल का नेतृत्व कर रही हैं। हमें विश्वास है कि यह क्लिनिक कई बच्चों और उनके परिवारों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी।”
एस. के. राणा March 07 2025 0 19536
एस. के. राणा March 06 2025 0 19314
एस. के. राणा March 08 2025 0 17871
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 16872
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 13431
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 11988
सौंदर्या राय May 06 2023 0 79686
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84635
सौंदर्या राय March 03 2023 0 82878
admin January 04 2023 0 84483
सौंदर्या राय December 27 2022 0 73977
सौंदर्या राय December 08 2022 0 63436
आयशा खातून December 05 2022 0 117105
लेख विभाग November 15 2022 0 86914
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99180
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85349
लेख विभाग October 23 2022 0 70241
लेख विभाग October 24 2022 0 71681
लेख विभाग October 22 2022 0 78957
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85233
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80018
आलू का स्टार्च स्किन केयर में बेस्ट रिजल्ट दे सकता है और इसी वजह से आज कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इसका
अस्पताल में लगातार सुविधाओं में वृद्धि हो रही है। पहले 100 बेड थे जो बढ़ कर 318 हो गए हैं। ऑन लाइन र
बीमारी से बचने के लिए सबसे असरदार उपाय है की पीने के पानी की नियमित जांच की जाए लेकिन राजधानी लखनऊ म
हम जानते ही है की वन हमारे लिए बहुत महत्व रखते है। यह मनुष्य और बाकी सारे जीव जंतुओं को प्रकृति का ए
दो दिन बाद आयुर्वेदिक साइंस में 38 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 15 जुलाई से आवेदन पत्र
इस मामले में ड्रग इंस्पेक्टर लोकेश गुप्ता का कहना है कि गुजरात की कंपनी को हमनेे नोटिस दिया हैै। तय
तीन दिवसीय वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम रैह्पसोडी - 2022 का आयोजन 22 सितम्बर से शुरू हो रहा है। 22 स
आंकड़ों के अनुसार, अभी तक कुल 45,29,39,545 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 16,68,
फ़ाइज़र को 12 या उससे अधिक उम्र के बच्चों के वैक्सीन के लिए पहले ही मान्यता मिल चुकी है।
टीबी के उन्मूलन के लिए प्रधानमंत्री ने "टीबी पोषण योजना" लागू किया। इसमें निःशुल्क जांच, निःशुल्क उप
COMMENTS