नयी दिल्ली। भारत सरकार द्वारा कई सरकारी योजनाएं चलाई जाती है। जिसमें से एक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र योजना भी है। इस योजना के तहत लोगों को कम कीमतों पर दवाइयां ही नहीं मिल रही है, बल्कि रोजगार के मौके भी मिल रहे हैं। जैसा कि जन औषधि दिवस पर पीएम मोदी ने कहा था कि," जन-औषधि केंद्र शरीर को औषधि देते हैं, लेकिन इनमें मन की चिंता को दूर करने वाली औषधि भी है, क्योंकि ये लोगों के पैसे बचाकर उन्हें राहत देने वाले केंद्र के तौर पर भी उभरे हैं।
इससे पहले दवा का पर्चा हाथ में आते ही लोगों के दिल में शक पैदा होता था कि पता नहीं दवाइयां (medicines) खरीदने में कितना अधिक खर्च होगा, उस तरह की चिंताओं से लोगों को अब मुक्ति मिली है। " इस योजना को मिल रही अच्छी प्रतिक्रिया को देखते हुए भारत सरकार ने जन औषधि दिवस (Jan Aushadhi Diwas) मार्च 2025 तक देश में जन औषधि केंद्र की संख्या बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा है।
भारतीय जन औषधि परियोजना (Indian Jan Aushadhi Project) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि दधीच के मुताबिक 2008 में शुरू हुई इस योजना के तहत पूरे देश में 2014 में महज 80 जन औषधि केंद्र थे, लेकिन आज इनकी संख्या 8 हजार के पार चली गई है। अब देश में 8916 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) काम कर रहे हैं। बीमारी होने पर गरीब तबका हो चाहे लोअर, मिडिल क्लास (middle class) इलाज और दवाओं पर उनकी आधी से अधिक कमाई लगभग निकल जाती है।
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