नयी दिल्ली। एम्स दिल्ली में ब्रेन डेड घोषित किए गए 16 महीने के बच्चे के परिवार ने दूसरों की जान बचाने के लिए अपने मासूम बच्चे के अंगों को दान कर दिया। रिशांत 5 बहनों का इकलौता भाई था। 17 अगस्त की सुबह वह अचानक गिर पड़ा और गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके पिता उपिंदर पेशे से एक निजी ठेकेदार हैं जो उस वक्त अपने काम से बाहर जा रहे थे। घायल बेटे को लेकर जमुना पार्क में अपने आवास के पास एक निजी अस्पताल में ले गए। 16 महीने के बच्चे को उसी दिन दोपहर में दिल्ली एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर (JPNATC) में सिर में गंभीर चोट के साथ भर्ती कराया गया था।
बच्चे के पिता उपिंदर पेशे से एक निजी ठेकेदार है। घटना के वक्त वह काम पर जा रहे थे। उन्हें जब बच्चे गिरने की खबर मिली तो उन्होंने आनन-फानन मासूम को निजी अस्पताल (जेपीएनएटीसी) में भर्ती कराया। जहां उसे 24 अगस्त को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद एम्स के डॉक्टरों ने शोक संतप्त परिवार को अंगदान के बारे में जानकारी दी और उनसे बच्चे के ऑर्गन डोनेट करने का आग्रह किया। इस सलाह के बाद परिजनों ने रिशांत के अंगदान कर दूसरों को नई जिंदगी देने का फैसला लिया।
रिशांत के पिता ने रोते हुए यह बताया कि वह सुबह जल्दबाजी में काम के लिए निकल गए थे और अपने बच्चे को गोद में भी नहीं उठा पाए थे। उसी 17 अगस्त की दोपहर को घर से रिशांत को चोट लगने की खबर मिली। रिशांत के जाने के बाद से घर में गम का माहौल है लेकिन दो लोगों को नया जीवन मिलने से परिवार को थोड़ा सुकून मिला है। एम्स में ऑर्गन डोनेशन की प्रमुख डॉक्टर आरती विज के मुताबिक यह एक मुश्किल प्रक्रिया है और पहले परिवार को ऑर्गन डोनेशन के लिए मनाना। फिर तय समय में दान किए गए अंगों को सही तरह से इस्तेमाल कर लेना इसमें बहुत से डिपार्टमेंट मिलकर काम करते हैं। तब जाकर किसी को नया जीवन मिल पाता है।
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