नयी दिल्ली। नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर्स के गिरने से बहुत धुआं और धूल निकलेगी। ये धुआं और धूल उत्तर प्रदेश के कई जिलों को प्रभावित करेगी। वैसे ही दिल्ली और आस-पास के क्षेत्र वायु प्रदूषण की मार झेल रहें हैं। ये मामला सीधे आपके स्वास्थ्य से जुड़ा है। ऐसी बहुत सी खबरें लगातार सुनी और पढ़ी जा रही है लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है?
सबके मन में सवाल उठ रहें हैं कि नोएडा (Noida) में 32 मंजिल और 29 मंजिल के दो सुपरटेक ट्विन टावर्स (Supertech Twin Towers) जब गिरेंगे तब कितना धुआं निकलेगा? क्या साढ़े तीन टन विस्फोटक (explosives) से जहरीली गैस (poisonous gas) निकलेगी? कितनी धूल निकलेगी और उसका स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
बताया जा रहा कि विस्फोट (demolition of Noida Supertech Twin Towers) करने के लिए 325 किलो सुपर पावर जैल, 63 हजार 300 मीटर्स सोलर कार्ड, साफ्ट टयूब, जिलेटिन राड, 10 हजार 990 नंबर सुप्रीम डिले नान इलेक्ट्रिक डेटोनेटर रैगिंग क्लास-6 और डिवीजन-2 का प्रयोग किया जाएगा।
नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर्स को ध्वस्त करने वाली जेट डिमाेलिशन (jet demolition) के विशेषज्ञ जो ब्रिंकमैन (Joe Brinkman) ने कहा कि सीधे तौर पर स्वास्थ्य को लेकर डरने की जरूरत नहीं है। जो विस्फोटक प्रयोग किया जा रहा है उससे नाममात्र का धुआं निकलेगा और ये गैस के रूप में जमीन की बजाय सीधे आसमान की तरफ जाएगा। यह गैस आसानी से वातावरण (atmosphere) में घुल जाएगी और इसका स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जो ब्रिंकमैन ने कहा कि धूल का गुबार (cloud of dust) जरूर उठेगा जिसे किसी भी प्रकार से नियंत्रित करना संभव नहीं है लेकिन धूल के कण मोटे होंगे जो बहुत जल्द जमीन पर बैठ जाएंगे। चार इंस्टेंट एनोयस एक्सप्लोसिव (Instant Annoyes Explosive) डिवाइस का प्रयोग विस्फोट करने में किया जाएगा जिससे आग लगने की भी सम्भावना नहीं है।
Updated by Rajeev Thakur
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