गोरखपुर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, गोरखपुर के अध्यक्ष डा. शिव शंकर शाही बहुत व्यस्त रहते हैं। कल, 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) है। देश के 100 अलग-अलग स्थानों पर 100 संगठनों द्वारा अगले 100 दिनों तक आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) योग (Yoga) को बढ़ावा देने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association), गोरखपुर के तत्वावधान में भी तारामंडल रोड पर पार्क में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें दुनिया भर के चिकित्सक शामिल होंगे और अपनी बात कहेंगे, योग करेंगे, स्वास्थ्य पर चर्चा करेंगे।
डा. शाही से healthjagaran.com ने पूछा कि आज के जमाने में एक बढ़िया डाक्टर आपके पास है तो माना जाता है कि आपकी जिंदगी शानदार चल रही है। लेकिन, दो-तीन दशक पहले अगर कोई शख्स किसी डाक्टर के पास चला जाता था तो मोहल्ले भर में शोर हो जाता था कि फलनवा को कोई बीमारी हो गई है। देखो न, डाक्टर के पास गया था। इस पर आप क्या सोचते हैं।
डा. शाही का कहना था कि आज से दो दशक पहले हम प्रकृति की गोद में थे। कुएं का, चापानल (हैंडपंप) का पानी आराम से पी लेते थे। पचा भी लेते थे। खूब खेलते थे। खूब खाते थे। खेलने के लिए पचासों खेल थे। पेड़ लगाते थे। उसकी छांव में बैठते थे। झूला झूलते थे। खेत में भी काम कर लेते थे। पसीना निकलता था। भूख खूब लगती थी। तब लोग मोटा अनाज खाते थे। मोटा अनाज लोगों को हेल्दी रखता था। पाचन तंत्र सभी के दुरुस्त थे। कोई डाक्टर के पास चला जाता था तो पूरे मोहल्ले में, टोले भर में चर्चा हो जाती थी कि फलनवा डाक्टर के पास गया है। माने, डाक्टर के पास जाना बहुत बड़ी बात होती थी।
डा. शाही बताते हैं कि हम लोगों को कभी-कभार बचपन में खांसी-बुखार हो जाता था तो तुलसी का काढ़ा बना कर पी लेते थे। दवा खाते नहीं थे। तुलसी के काढ़े से ही ठीक हो जाते थे। आज की स्थिति एकदम अलग है। हमने प्रकृति को उजाड़ दिया है। नेचर के साथ हमने खिलवाड़ किया। पानी हमारा शुद्ध नहीं है। हवा शुद्ध नहीं है। पानी और हवा शुद्ध नहीं है तो लंग्स और किडनी की बीमारी हो रही है।
डा. शाही ने कहा कि लोगों का सेंस देखिए। अब लोग यूनिवर्सिटी पार्क में टहलने (Morning walk) जाते हैं तो घर से पार्क तक कार में जाते हैं। वहां टहलते हैं और फिर कार से वापस। ये कौन सा टहलना हुआ भाई। टहलना है तो पैदल चलिए। पसीना निकालिए। बहुत दिक्कत है तो साइकिल से चलिए। कार से जा रहे हैं। ये जो लग्जरी है न, यही हमारी परेशानियों का सबसे बड़ा कारण है। पहले के लोग गांव में खूब काम करते थे। खूब चलते थे। खूब खेलते थे। तालाब में गोता लगाते थे। नदी में तैरते थे। हमारे गांव में छह तालाब थे। आज एक भी नहीं है। सब पाट दिये गए। कहीं इमारत बन गई तो कहीं कुछ और हो गया। लेकिन, तालाब गायब हो गए। गांवों में जो लोग पहले मेहनत करते थे, अब वो सुस्ता रहे हैं। दरअसल, वो आलसी हो गए हैं।
आप पता कर लें, शहरों से ज्यादा गांवों में शुगर (diabetes) के पेशेंट हैं। लोगों ने काम करना बंद कर दिया। जब काम करना ही बंद कर दिया तो बीमारी तो होगी ही। कोई घर शायद ही ऐसा हो जहां शुगर के पेशेंट न हों। हर घर में एक बीपी का पेशेंट है। कैंसर के पेशेंट बढ़ते जा रहे हैं। लोग देख नहीं रहे हैं कि वेस्टर्न कंट्री वाले इस चीज को समझ गए। उन्होंने लग्जरी लाइफ को लगभग छोड़ दिया। जहां जरूरी है, वहीं वे लग्जरी लाइफ जीते हैं। लेकिन हम लोगों की गाड़ी अभी तक रिवर्स गियर में नहीं आई है। उम्मीद तो है कि जल्दी ही आ जाएगी। नहीं आएगी तो बर्बादी तय ही है। कल हम लोग साइकिलिंग कांपटीशन भी रखे हैं। चलाएं लोग साइकिल। फिट रहने के लिए योग करें। साइकिलिंग करें। ऐसे खाली बात करने से कुछ हासिल नहीं होगा।
एस. के. राणा March 06 2025 0 65601
एस. के. राणा March 07 2025 0 65379
एस. के. राणा March 08 2025 0 63381
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 55944
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 44511
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 43623
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 38628
सौंदर्या राय May 06 2023 0 86457
सौंदर्या राय March 09 2023 0 90740
सौंदर्या राय March 03 2023 0 91092
admin January 04 2023 0 91809
सौंदर्या राय December 27 2022 0 80970
सौंदर्या राय December 08 2022 0 70540
आयशा खातून December 05 2022 0 124653
लेख विभाग November 15 2022 0 94351
श्वेता सिंह November 10 2022 0 118383
श्वेता सिंह November 07 2022 0 92897
लेख विभाग October 23 2022 0 77678
लेख विभाग October 24 2022 0 80450
लेख विभाग October 22 2022 0 87171
श्वेता सिंह October 15 2022 0 92670
श्वेता सिंह October 16 2022 0 86900
दुनियाभर में कोरोना का ग्राफ कम हो रहा है, लेकिन इसके नए वेरिएंट ने दस्तक दे दी है। जिससे दुनियाभर क
केंद्र द्वारा डेंगू की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों का दल भेजने का निर्णय लिया गया है। इस दल में राष्ट्र
उपचार में उपहार को लेकर डॉक्टर्स और दवा व्यापारी आमने-सामने है। अब इसका निर्णय सुप्रीम कोर्ट को करना
आंध्र प्रदेश में 27 जुलाई तक ब्लैक फंगस के कुल मामले बढ़कर 4,293 हो गए और मृतकों की संख्या बढ़कर 400
जेनेरिक दवाओं के एक ओमनी-चैनल रिटेलर मेडकार्ट के अनुमान से पता चलता है कि इंसुलिन के बिना, घर में ए
कई बार आप प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए अपने फेस पर कुछ अप्लाई करते हैं लेकिन समस्या और भी ज्यादा बढ़
कुवैत में योग को लेकर जहां एक तरफ महिलाएं एक सुर में इसके समर्थन में उतर आई है वहीं दूसरी तरफ यहां क
अध्यनयकर्ताओं ने बताया कि आमतौर पर बचपन में मीजल्स-मंम्प्स-रूबेला (एमएमआर) के टीके दिए जाते हैं। इसक
मेदांता सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ आशीष तिवारी ने कहा कि
नेपाल के एक अस्पताल में पहुंचे एक युवक की सर्जरी के दौरान डॉक्टर हैरान रह गए। चिकित्सकों ने 26 वर्षी
COMMENTS