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सीरम इंस्टीट्यूट ने टीबी से बचाव के लिए आरबीसीजी टीके के आपात उपयोग की मंजूरी मांगी

सीरम इंस्टीट्यूट ने आरबीसीजी टीके आपात उपयोग की मंजूरी मांग की है। ये टीके उन्नत तकनीक से निर्मित होते हैं, जो बीसीजी वैक्सीन में बाहरी जीन को शामिल करने या मूल जीन को अतिसक्रिय करने की सुविधा देती है।

एस. के. राणा
March 28 2022 Updated: March 29 2022 01:24
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सीरम इंस्टीट्यूट ने टीबी से बचाव के लिए आरबीसीजी टीके के आपात उपयोग की मंजूरी मांगी प्रतीकात्मक

नयी दिल्ली। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने टीबी (TB) से बचाव में कारगर अपनी रिकॉम्बिनेंट बीसीजी (RBCG) वैक्सीन (vaccine) के लिए आपात उपयोग की मंजूरी (इमरजेंसी यूज अप्रूवल) की मांग की है। सीरम इंस्टीट्यूट (SII) ने इसके लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक (DGCI) के पास आवेदन किया है। 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसआईआई के सरकारी एवं नियामक मामलों के निदेशक प्रकाश कुमार सिंह ने 22 मार्च को ईयूए के लिए आवेदन दिया। मौजूदा समय में भारत के टीबी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को जन्म के समय या एक साल की उम्र के भीतर बीसीजी टीका लगाया जाता है। 

सिंह ने डीजीसीआई को दिए आवेदन में इस बात का जिक्र किया है कि एसआईआई सार्वभौम टीकाकरण कार्यक्रम के तहत सरकार को पहले से ही जीवनरक्षक टीकों की आपूर्ति कर रहा है, जिनमें न्यूमोकोकल, आईपीवी और रोटावायरस शामिल हैं। पुणे स्थित एसएसआई सरकार को बीसीजी टीके उपलब्ध कराने वाले संस्थानों में शामिल है।

सिंह ने पत्र में कहा, “हमारी सरकार टीबी के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। टीबी उन्मूलन से जुड़े सतत विकास लक्ष्य से पांच साल पहले ही 2025 तक हमारे देश से टीबी का उन्मूलन करने के प्रधानमंत्री के आह्वान से टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को गति मिली है।” न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सीरम इंस्टीट्यूट के सूत्रों के हवाले से बताया, “हमारे सीईओ अदार सी पूनावाला के नेतृत्व में हमारा संस्थान नवजातों, बच्चों, किशोरों और वयस्कों के लिए एक सस्ता, सुरक्षित, प्रभावी और उच्च गुणवत्ता वाला विश्वस्तरीय ट्यूबरवैक-आरबीसीजी टीका उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।”

एक अधिकारी के मुताबिक, आरबीसीजी टीके एक उन्नत तकनीक से निर्मित होते हैं, जो बीसीजी वैक्सीन में बाहरी जीन को शामिल करने या मूल जीन को अतिसक्रिय करने की सुविधा देती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा गुरुवार को जारी वार्षिक टीबी रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 में भारत में टीबी के मरीजों की संख्या में 2020 के मुकाबले 19 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है और 2019 से 2020 के बीच देश में टीबी के सभी स्वरूपों से होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

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