सेक्स जिंदगी का एक खास पल होता है जिसको लेकर सभी के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं। इससे जुडे कई जटिल प्रश्न हैं जिनका सटीक तरह से उत्तर दे पाना संभव नहीं। कई महिलाओं एवं पुरूषों के मन में सेक्स को लेकर यह सवाल उठता है कि कितनी बार सेक्स करना चाहिये।
सेक्स करने की किसी भी संख्या को सामान्य नहीं कहा जा सकता और इसकी कोई निश्चित संख्या तय नहीं की जा सकती। हर व्यक्ति की शारिरिक इच्छाएं और क्षमताएं अलग होती हैं। यह साथी की इच्छाओं के साथ साथ अन्य कई कारकों पर भी निर्भर करता है। कितनी बार सेक्स करना है यह आपके आपसी तालमेल पर निर्भर करता है जिसमें आपका लक्ष्य अपने साथी की खुशी होना चाहिए। सेक्स की क्रिया से दोनों को बराबर आनंद मिलता है। यह वह सुख या परम आनंद है जिसका अहसास दो लोग एक साथ मिलकर करते हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि हफ्ते में बस एक या दो बार सहवास करना पर्याप्त होता है जबकि कुछ मानते हैं कि महीने में एक या दो बार ही काफी होता है। अलग-अलग लोगों की सेक्स के बारे में राय अलग-अलग होती है इसलिए बेहतर यही होगा कि किसी भी गिनती के चक्कर में न पड़कर सेक्स का इच्छानुसार भरपूर आनंद उठाएं।
लोगों की यह भी धारणा है कि ज्यादा सेक्स करने से कमजोरी आ जाती है परन्तु ये भी एक गलत धारणा है। सेक्स करने से कोई कमजोरी नहीं आती। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि सेक्स केवल बच्चे पैदा करने के लिए ही किया जाना चाहिए और अन्य समय में कभी कभी ही सेक्स करना चाहिए। ये भी गलत धारणाएं है जिनका शारिरिक स्वास्थ्य से कोई लेना देना नहीं। प्रजनन के अलावा सेक्स अंतरंगता और आनंद का भी अहसास कराता है।
विशेषज्ञों के अनुसार तो सेक्स करना स्वास्थ्य के लिये फायदेमंद होता है जिससे कई फायदे होते हैं जैसे:
सेक्स करना शादी के तुरंत बाद के संबंध के लिये बेशक जरूरी है। इससे आपसी संबंध मधुर हो जाते हैं। सेक्स ढंग से नहीं होने पर या उसकी आवृति कम होने पर आपसी तवाव हो सकते हैं। कई लोग तनाव कम करने के लिए सेक्स करते हैं और लडाई ठीक करने के लिए भी सेक्स का ही सहारा लेते हैं। सेक्स का शादी शुदा जीवन में महत्वपूर्ण स्थान। इसकी उपेक्षा नहीं करना चाहिए।कम सेक्स करने से रिश्ते की मज़बूती को लेकर कई लोगों के मन में सवाल उठते हैं। उन्हें ये लगता है कि कम सेक्स करने से उनका रिश्ता कमज़ोर ना हो जाये। परन्तु ऐसा सोचना गलत धारणा है। रोजमर्रा की जिन्दगी में सेक्स करने से आपको हर वक्त खुशी की अहसास होता है और आपका आपके पार्टनर के प्रति विश्वास गहरा होता है।
सेक्स मानव जिन्दगी का एक अभिन्न अंग है और खुशियों की वजह भी। क्योंकि सेक्स से तनाव और अवसाद दोनों कम होते हैं। इसलिए हम चाह कर भी इसे अनदेखा नहीं कर सकते हैं। सेक्स करते समय महिला हो या फिर पुरुष, दोनों की ही भावनाएं चरम सीमा पर होती हैं और भावनात्मक लाभ की प्राप्ति होती है जिससे तनाव दूर हो जाता है।
सेक्स आपको आनंद देता है इसलिये कितनी बार करना इस बात पर ध्यान न देते हुए इसका आनंद लेने पर अधिक ज़ोर देना चाहिये। उम्र के साथ साथ सेक्स की आदतों में भी परिवर्तन आता है। इसलिये सेक्स को जीवन का एक अभिन्न अंग मानते हुए भ्रान्तियों पर ना ध्यान देते हुए सिर्फ अपने साथी के साथ उन खूबसूरत पलों का आनंद उठायें।
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