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रोजाना बादाम खाने से चेहरे की झुर्रियों होंगी कम, त्वचा में आएगी रंगत।

बादाम एंटीऑक्सीडेंट विटामिन ई के समृद्ध स्रोत के तौर पर जाने जाते हैं और जरूरी फैटी एसिड्स और पॉलीफेनोल्स देते हैं और इसलिये त्वचा की सेहत और सुन्दरता को बेहतर करने के लिये उन्हें आहार में शामिल किया जाना चाहिये।

लेख विभाग
March 27 2021 Updated: April 29 2022 04:42
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रोजाना बादाम खाने से चेहरे की झुर्रियों होंगी कम, त्वचा में आएगी रंगत। प्रतीकात्मक

नया शोध कहता है कि बादाम को अपने डेली स्किन केयर रूटीन में शामिल करने के एक से ज्यादा कारण हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया डेविस  के शोधकर्ताओं के एक नये अध्ययन में पाया गया है कि कैलोरी से तालमेल बैठाने वाले आम स्नैक्स की जगह पर रोजाना बादाम खाने से रजोनिवृत्ति हो चुकी महिलाओं में झुर्रियां कम होती हैं और त्वचा के रंग में सुधार आता है। इस अध्ययन की फंडिंग आमंड बोर्ड ऑफ कैलिफोर्निया ने की थी। यह साल 2019 के एक अध्ययन की पुष्टि करता है तथा उसके परिणामों का विस्तार भी करता है।

इस अध्ययन के परिणामों पर डर्मेटोलॉजिस्ट और कॉस्मेटोलॉजिस्ट डॉ. गीतिका मित्तल गुप्ता ने कहा कि, “यह देखना सुखद है कि यह अध्ययन रोजाना बादाम खाने से न केवल चेहरे की झुर्रियों में बल्कि स्किन टोन में भी महत्वपूर्ण सुधार दिखाता है। यह परिणाम खासतौर से भारत के लिए प्रासंगिक हैं, जहां धूप और अन्य पर्यावरणीय कारकों में रहने से स्किन टोन अनइवन हो जाता है।

बादाम एंटीऑक्सीडेंट विटामिन ई के समृद्ध स्रोत के तौर पर जाने जाते हैं और जरूरी फैटी एसिड्स और पॉलीफेनोल्स देते हैं और इसलिये त्वचा की सेहत और सुन्दरता को बेहतर करने के लिये उन्हें आहार में शामिल किया जाना चाहिये। यह अध्ययन इस मान्यता की भी पुष्टि करता है कि बादाम त्वचा की सेहत को ठीक रखते हैं और मैं महिलाओं से बादाम को अपनी डेली डाइट में शामिल करने का आग्रह करती हूँ, ताकि उनकी स्किन ज्यादा स्वस्थ रहे।‘’

इस अध्ययन के परिणामों पर सहमति जताते हुए मैक्स  हेल्थकेयर-दिल्ली में डायटेटिक्स की रीजनल हेड ऋतिका समद्दार ने कहा कि विगत समय में कई दूसरे अध्ययनों ने बादाम के स्वास्थ्य लाभों का विश्लेषण किया है, लेकिन इस नये शोध के परिणाम स्किन हेल्थ के मामले में रोमांचक हैं, यह विषय हर महिला के दिल में बसा है। यह परिणाम बताते हैं कि रोजाना बादाम खाने से स्किन पिगमेंटेशन और चेहरे की झुर्रियां कम होती हैं। सभी जानते हैं कि स्किन हेल्थ को बेहतर बनाने में डाइट की भूमिका अहम है और यह अध्ययन इस बात के समर्थन में प्रमाण देता है।”

न्यूट्रिशन एंड वेलनेस कंसल्टेंट शीला कृष्णा स्वामी ने कहा इस दौर में प्रदूषण और विषैली चीजें हमारे स्वास्थ्य पर हावी हो रही हैं, इसलिये हमें अपनी स्किन की ज्यानदा देखभाल करनी चाहिये। ‘अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी शरीर के भीतर होती है’ इस लोकप्रिय कहावत को यह अध्ययन सार्थक करता है। नया अध्ययन न केवल पहला चिकित्सकीय प्रमाण देता है कि बादाम फेशियल पिगमेंट इंटेंसिटी को कम कर स्किन टोन को ज्यादा एकरस बनाने में सहायक हो सकते हैं, बल्कि यह पिछले प्रमाण का समर्थन भी करता है कि बादाम खाने से झुर्रियां  कम हो सकती हैं। इस अध्ययन के परिणामों को ध्यान में रखते हुए, मैं महिलाओं, खासतौर से रजोनिवृत्त महिलाओं से रोजाना एक मुट्ठी बादाम खाना शुरू करने की अनुशंसा करूंगी, ताकि उनकी स्किन हेल्थ लंबे समय तक अच्छी रहे।‘’

6 माह के इस बेतरतीब ट्रायल में फिट्ज़पैट्रिक स्किन टाइप 1 या 2 (धूप के कारण जलने की ज्यादा प्रवृत्ति वाली त्वचा) वाली और रजोनिवृत्ति प्राप्त कर चुकीं 49 स्वस्थ  महिलाओं ने अध्ययन पूरा किया। इन महिलाओं को दो समूहों में बेतरतीब तरीके से असाइन किया गया था।  इंटरवेंशन ग्रुप में महिलाओं ने स्नैक के तौर पर बादाम खाया, जो उनके टोटल डेली कैलोरी इनटेक का 20 प्रतिशत या औसतन 340 कैलोरीज प्रतिदिन था। कंट्रोल ग्रुप ने कैलोरी से तालमेल बैठाने वाला स्नैयक खाया और वह भी कैलोरीज का 20% था। फिग बार, ग्रैनोला बार या प्रेटज़ेल्सर इन स्नैक्स के अलावा इस अध्ययन में भाग लेने वाली महिलाओं ने अपनी रेगुलर डाइट्स भी लीं और कोई नट्स या नट वाले प्रोडक्ट्स नहीं खाए।अध्ययन की शुरुआत में और फिर 8, 16 और 24 सप्ताहों के बाद भी त्वचा की जाँच की गई। इनमें से हर विजिट में चेहरे की झुर्रियों और फेशियल पिगमेंट इंटेंसिटी का मूल्यांकन हाई-रिज़ॉल्यूशन फेशियल इमेजिंग द्वारा किया गया और 3-डी फेशियल मॉडलिंग और मेजरमेंट से सत्यापन हुआ। स्किन हाइड्रेशन, ट्रांस एपीडर्मल  वॉटर लॉस  और सेबी एक्सक्रेशन का भी मूल्यांकन हुआ।

शोधकर्ताओं ने बादाम खाने वाले ग्रुप में झुर्रियां कम होती देखीं 16 सप्ताह में 5 प्रतिशत कमी आई और 24 सप्ताह में 16 प्रतिशत बादाम खाने वाले ग्रुप में चेहरे की समग्र पिगमेंट इंटेंसिटी  में भी कमी आई। 16 सप्ताह में यह कमी 20 प्रतिशत थी, जो 24 सप्ताह में भी वैसी ही रही। इसके अलावा, आमंड ग्रुप और कंट्रोल ग्रुप में शुरुआत से लेकर 24 सप्ताह तक शरीर का वजन स्थिर रहा।

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