लखनऊ। सी. के. बिरला ग्रुप के भरोसेमंद और तेजी से बढ़ती आई. वी. एफ. चेन, बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. के लखनऊ सेंटर को 2 साल पूरे हो चुके हैं। 2021 में लॉन्च किए इस सेंटर ने न केवल लखनऊ बल्कि आस-पास के इलाक़ों, जैसे रायबरेली, बस्ती, सीतापुर, बहराईच, गोंडा आदि में दंपतियों को बेहतरीन फर्टिलिटी केयर और विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर की मदद से माता-पिता बनने का सुख प्रदान किया है।
डॉ. मनिका सिंह कंसल्टैंट डॉ. प्रो. विनीता दास, एडवाइजऱ एवं कंसल्टैंट और डॉ. श्रेया गुप्ता, कंसल्टैंट के नेतृत्व में बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. (Birla Fertility and IVF) के डॉक्टरों की टीम ने विभिन्न मरीज़ों की कहानियों के साथ अपनी क्लिनिकल उत्कृष्टता (clinical excellence) एवं उपलब्धियों के बारे में बताया।
सेंटर हेड और कंसल्टैंट बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ., डॉ. मनिका सिंह ने इन्फ़र्टिलिटी (infertility) के एक कठिन केस के बारे में बताते हुए मरीज़ की व्यक्तिगत केयर और कस्टमाइज़्ड इलाज के महत्व पर प्रकाश डाला। इसमें पति-पत्नी दोनों को ही मेडिकल की समस्या थी, जिस वजह से वो प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण (conceive) नहीं कर पा रहे थे।
महिला को ग्रेड 3 एंडोमेट्रियोसिस था, और उनके पति को ऑब्सट्रक्टिव एज़ूस्पर्मिया (शून्य स्पर्म) की समस्या थी। इससे पहले ट्यूबल ब्लॉकेज और अनियमित माहवारी के मेडिकल इतिहास ने महिला के गर्भधारण को और भी ज़्यादा चुनौतीपूर्ण बना दिया था। लेकिन टी. ई. एस. ए. ((Microsurgical Testicular Sperm Aspiration) के साथ टेक्नोलॉजी में उन्नत इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI - IVF) प्रक्रिया कराने के बाद आखिरकार इस महिला ने गर्भ धारण किया और अब वह तीन महीने की गर्भवती है।
डॉ. सिंह ने बताया बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. फर्टिलिटी की समस्याओं से पीडि़त दंपतियों का माता-पिता बनने का सपना पूरा करने के लिए विस्तृत फर्टिलिटी इलाज प्रदान करता है। हमारी अत्याधुनिक सुविधाओं, अनुभवी फर्टिलिटी विशेषज्ञों (fertility experts) और प्राइस प्रॉमिज़ की मदद से हम दंपतियों को गुणवत्तापूर्ण फर्टिलिटी केयर प्रदान कर रहे हैं।
डॉ. (प्रो.) विनीता दास, एडवाइजऱ और कंसल्टैंट, बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. ने एक और दिलचस्प केस के बारे में बताते हुए एक 41 वर्षीय महिला के माँ बनने का अनुभव सुनाया। इन्हें खून का कैंसर (blood cancer), हडडी में ट्यूबरकुलोसिस (tuberculosis) की गंभीर समस्या थी, उनके घुटने का ट्रांसप्लांट हो चुका था और गॉल ब्लॉडर निकाला जा चुका था। पिछले 9 सालों से वह महिला स्वास्थ्य की कई समस्यायों का सामना कर चुकी थी, जिसके बाद इस सेंटर में आकर टेक्नोलॉजी में उन्नत आई. सी. एस. आई. आई. वी. एफ. प्रक्रिया की मदद से उन्होंने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।
कैंसर और ट्यूबरकुलोसिस जैसी गंभीर बीमारियों से लडऩे के बाद भी वह महिला गर्भ धारण कर पायी, जो लखनऊ सेंटर द्वारा प्राप्त की गई कई क्लिनिकल उपलब्धियों का एक और उदाहरण है। डॉ. दास ने कहा, कैंसर का डायग्नोसिस व्यक्ति के जीवन में अव्यवस्था ला देता है, और उसकी शारीरिक, मनोवैज्ञानिक एवं आर्थिक स्थिति पर काफ़ी बुरा असर डालता है। इसके अलावा, अन्य गंभीर बीमारियों की मौजूदगी महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है लेकिन बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. में हम अपनी क्लिनिकल विशेषज्ञता और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी द्वारा दंपतियों को हर मुश्किल का सामना करते हुए माता-पिता बनने का सपना पूरा करने में मदद करते हैं।
डॉ. श्रेया गुप्ता, कंसल्टैंट बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ., लखनऊ ने एक और दंपति के बारे में बताया जो 22 साल से गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे थे। 40 साल की इस महिला को फाइब्रॉयड और एक्टोपिक गर्भ (ectopic pregnancy) सहित कई मेडिकल समस्याएँ थीं, और 2 बार उनका आई. वी. एफ. विफल हो चुका था। उन्होंने एंडोमेट्रियल रिसेप्टिविटी एनालिसिस (ई. आर. ए.) के बाद आई. सी. एस. आई. - आई. वी. एफ. कराया, जो सफल रहा। ई. आर. ए. द्वारा व्यक्ति की अद्वितीय फर्टिलिटी विंडो की व्यक्तिगत जानकारी मिलती है, जिससे गर्भ धारण की संभावना बढ़ती है, और बार-बार आई. वी. एफ़. कराने की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह प्रजनन हेल्थकेयर में हो रही प्रगति का उदाहरण है, जिससे माता-पिता बनने के इच्छुक दंपतियों को आशा और सफलता मिलती है। इस दंपति का सपना पूरा हुआ और अब यह महिला तीन महीने की गर्भवती है।
इन्फ़र्टिलिटी भारत में धीरे-धीरे महामारी का रूप लेती जा रही है। इस स्थिति और इसके इलाज के बारे में जानकारी की कमी, इन्फ़र्टिलिटी के बारे में बात करने की अनिच्छा और इलाज की लागत में पारदर्शिता का न होना इस बीमारी के भार को बढ़ा रहे हैं लेकिन मेडिकल टेक्नोलॉजी में हो रही प्रगति से हमें इसकी उपलब्धता और लागत की समस्या को दूर करने में मदद मिली है, जिससे लोगों को माता-पिता बनने का सपना पूरा करना आसान हो गया है।
इस समस्या के प्रति जागरूक होना, इसे स्वीकार करना तथा समय पर इसका इलाज कराना बहुत ज़रूरी है। बिरला फर्टिलिटी एंड आई. वी. एफ. फर्टिलिटी की समस्या से पीडि़त दंपतियों को क्लिनिकली भरोसेमंद इलाज, किफायती और पारदर्शी मूल्य, और संवेदनापूर्ण एवं विश्वसनीय केयर प्रदान करता है। इसने बहुत कम समय में ही 21,000+ सायकल्स के संयुक्त अनुभव के साथ 85 प्रतिशत प्रेगनेंसी दर प्रदान करता है, जो इस उद्योग में अग्रणी परिणाम हैं।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20313
एस. के. राणा March 06 2025 0 20091
एस. के. राणा March 08 2025 0 18870
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 17982
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14319
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 12987
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80130
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84857
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83322
admin January 04 2023 0 84927
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74310
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64102
आयशा खातून December 05 2022 0 117549
लेख विभाग November 15 2022 0 87247
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99624
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85571
लेख विभाग October 23 2022 0 70463
लेख विभाग October 24 2022 0 72125
लेख विभाग October 22 2022 0 79401
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85566
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80351
केसर पानी का सेवन वजन को घटाने में मददगार माना जाता है। इतना नहीं इससे पाचन को बेहतर करने और मेटाबॉल
अध्यनयकर्ताओं ने बताया कि आमतौर पर बचपन में मीजल्स-मंम्प्स-रूबेला (एमएमआर) के टीके दिए जाते हैं। इसक
आराध्या नर्सिंग होम में 2 नवंबर को कैम्प का आयोजन किया गया था जिसमें 11 मरीजों की पहचान मोतियाबिंद क
गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी द्वारा कई अस्पतालों और स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्र
मेनोपॉज के बाद व्यायाम, आहार और जांच को लेकर वन स्पॉट सेंटर, लोकबंधु अस्पताल में लखनऊ मेनोपॉज सोसायट
आईएमए की तरफ से 37 पुलिस वालों को सम्मानित किया गया। आज तमकुही राज से नवनिर्वाचित विधायक डा. असीम कु
भारत ने अभी तक 100 करोड़ कोविड टीकाकरण करके एक रिकॉर्ड कायम किया है।यह भारत का कोविड-19 वायरस के लिए
मुख्यमंत्री ने आला अधिकारियों को डेंगू समेत अन्य संचारी रोगों के प्रति सावधानी बरतने के निर्देश दिए
कोरोना या सामान्य वायरस न्यूरोपैथी क्रिएट करता है। इसके संक्रमण से कान की नसों को नुकसान होता है। 60
सहारा हॉस्पिटल के डाक्टरों ने गत पांच साल से आहार नाल बन्द होने से परेशान मरीज की सफलतापूर्वक सर्जरी
COMMENTS