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पीलिया रोग के कारण और बचाव के तरीके।

किसी संक्रमण या चोट के कारण लीवर को क्षति पहुँचती है तब वह बिलीरुबिन को रक्त से अलग नहीं कर पाता है और रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगता है| इसके कारण मरीज की आँखों, त्वचा एवं नाखूनों में पीलापन दिखने लगता है| इसी स्थिति को पीलिया कहते हैं|

लेख विभाग
September 24 2021 Updated: September 24 2021 15:52
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पीलिया रोग के कारण और बचाव के तरीके। प्रतीकात्मक

- डॉ अभिषेक जैन, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट,
नारायण हॉस्पिटल, रायपुर।

लीवर हमारे शरीर के सबसे बड़े एवं सबसे व्यस्त अंगों में से एक है जो कई सारी शारीरिक एवं रासायनिक प्रक्रियाओं में शामिल होता है| लीवर के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है| शरीर में बनें जहरीले अपशिष्ट पदार्थों को कम हानिकारक तत्वों में बदलना ताकि वे सुरक्षित रूप से शरीर से बाहर निकाले जा सकें|

ऐसा ही एक पदार्थ है ‘बिलीरुबिन’ जोकि पुराने हीमोग्लोबिन के अपघटन के दौरान बनता है और पीले रंग का होता है| लीवर इस बिलीरुबिन को पित्तरस के साथ मिलाकर पाचनतंत्र तक पहुंचता है जहाँ से यह मल के रास्ते शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है| लेकिन जब किसी संक्रमण या चोट के कारण लीवर को क्षति पहुँचती है तब वह बिलीरुबिन को रक्त से अलग नहीं कर पाता है और रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगता है| इसके कारण मरीज की आँखों, त्वचा एवं नाखूनों में पीलापन दिखने लगता है| इसी स्थिति को पीलिया कहते हैं| इसके साथ ही अक्सर मरीजों को पेटदर्द, उल्टी, बुखार, थकान, कमजोरी की समस्या भी हो सकती है|

पीलिया कोई बीमारी नहीं है अपितु लीवर एवं रक्त संबंधी अलग-अलग बिमारियों का लक्षण है जैसे-

  • हेपेटाइटिस वायरस का संक्रमण
  • लीवर की नलिकाओं में अवरोध
  • अल्कोहलिक लीवर डिजीज
  • रक्त सम्बंधित विकार जैसे सिकल सेल एनीमिया या
  • थेलेसीमिया
  • लीवर कैंसर
  • लीवर सिरोसिस

एक अनुमान के मुताबिक भारत में लगभग 4 करोड़ लोगों को पीलिया है जिनमें से 95 प्रतिशत मरीजों में ये लक्षण इतने हल्के होते हैं कि उन्हें इसके बारे में तब तक पता नहीं चल पाता जब तक की यह बीमारी गंभीर स्तर तक नहीं पहुँच जाती| वायरल हेपेटाइटिस के मामले में कभी-कभी यह संक्रमण लम्बे समय तक छुपे रह सकते हैं और वापस फैल सकते हैं| समय पर ईलाज ना करने से लीवर को स्थायी क्षति भी पहुँच सकती है| इसलिए पीलिया की प्रारंभिक जाँच एवं उपचार बहुत जरूरी हैं|

पीलिया से कैसे बचें?

- अपने नजदीकी अस्पताल में हेपेटाइटिस का टीका लगवाएं
- बाजार के असुरक्षित खाने से बचें
- कुओं एवं तालाबों के पानी को प्रयोग ना करें
- पीने के पानी को उबालकर प्रयोग करें
- भोजन के पहले और शौच के बाद हाथों को अच्छे से धोएं
- असुरक्षित यौन संबंधों से बचें
- नशीले पदार्थों का सेवन ना करें
- झाड़ फूंक करवाने या बिना चिकित्सकीय सलाह के दवाइयाँ लेने से बचें
- हेपेटाइटिस के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएँ

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