धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों से उपवास करना मानव प्रथा का एक हिस्सा रहा है। इसका उल्लेख वैदिक धर्म, इस्लाम धर्म और अन्य धर्मों में मिलता है। इसको मात्र उपवास नहीं माना जाता है, बल्कि एक अनुशासित जीवन पद्धति है।
प्राकृतिक इलाज में उपवास (Fasting) एक महत्वपूर्ण पद्धति है। बहुत से लोग कुछ समय के लिए भोजन न करके या अल्पाहार करके तमाम रोगों से दूर रहने का प्रयास करतें हैं। यह ज़्यादा और विषाक्त भोजन प्रणाली से राहत पाने का सबसे सरल और सबसे कारगर तरीका है।
कुछ डॉक्टरों का मानना है कि शुद्ध जल उपवास न केवल कोशिकाओं और अंगों को फिर से जीवंत कर सकता है, बल्कि वास्तव में हृदय रोग (heart disease), संधिशोथ (rheumatoid arthritis), अस्थमा (asthma), उच्च रक्तचाप (high blood pressure), मधुमेह (diabetes), कोलाइटिस (colitis), सोरायसिस (psoriasis), लैपिस (lapis) और कुछ अन्य ऑटोइम्यून विकारों जैसी बीमारियों और स्थितियों को ठीक कर सकता है।
उपवास शरीर के प्रकृति को बहाल करने की व्यवस्था है। विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के उपचार में आहार के महत्व को स्वीकारा गया है। प्राकृतिक उपचार या प्राकृतिक चिकित्सा, वस्तुतः भोजन सिद्धांत पर आधारित है, और पुरानी बीमारियों के इलाज में उपवास को अनिवार्य मानता है।
प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) में, उपवास को विषाक्त पदार्थों, मृत या रोगग्रस्त ऊतकों के शरीर को साफ करने और जठरांत्र प्रणाली (gastrointestinal) को आराम देने के तरीके के रूप में देखा जाता है। इस तरह के उपवास में या तो केवल पानी होता है, या फलों और सब्जियों का रस हो
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