लखनऊ। राजधानी के अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में ढाई वर्षीय बच्चे के सिर की एक जटिल सर्जरी कर कृत्रिम हड्डी ट्रांसप्लांट की गई। यह पोरस पॉलीइथीलीन इम्प्लांट परंपरागत टाइटेनियम इम्प्लांट के मुकाबले अधिक लचीला है। इसके लगने से बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ सिर के आकार में कोई बदलाव नही होगा क्योंकि इम्प्लांट भी सिर की बदलते आकार के साथ खुद को एडजस्ट करता जाएगा।
इस सर्जरी की सफलता से उत्साहित अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीईओ और एमडी डॉ मयंक सोमानी ने कहा, " अपोलोमेडिक्स में हमारी टीम अल्ट्रा-मॉडर्न मेडिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए मरीजों का जीवन सरल और सुगम बनाने का भागीरथी प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि इस सर्जरी में सबसे बड़ी चुनौती बच्चे की कम उम्र थी। हमारी न्यूरो सर्जरी की टीम ने सफलतापूर्वक इस सर्जरी को अंजाम दिया, मैं उन्हें बधाई देता हूं और शुभकामनाएं देता हूं कि वे इसी तरह मरीजों और उनके परिजनों की उम्मीदों पर सदैव खरे उतरते रहें।"
इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले अपोलोमेडिक्स अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट न्यूरोसर्जरी, डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया, "मरीज जब एक वर्ष की उम्र का था तब उसके सिर पर आई चोट से सिर की हड्डी को नुकसान पहुंचा था और बच्चा काफी दिनों तक वेंटिलेटर पर रहा। चूंकि सिर की हड्डी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी थी उस समय उसको सही करना नामुमकिन सा था।
हाल ही में बच्चे के पेरेंट्स अपोलोमेडिक्स आए और हमारी टीम से मिले। मेरे साथ डॉ सुनील सिंह और डॉ प्रार्थना सक्सेना ने बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री ली। ऐसे मामलों में अमूमन टाइटेनियम का स्कल इम्प्लांट का प्रयोग होता है। लेकिन आगे चलकर बच्चे की उम्र के साथ शारीरिक बदलाव आते और टाइटेनियम इम्प्लांट का आकार न बढ़ने से बच्चे के सिर में गड्ढा होने का खतरा बना रहता। यह बच्चे के अंदर अन्य परेशानियों के साथ कहीं न कहीं हीन-भावना का कारण बनता है।
डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया, "हमारी टीम ने रिसर्च कर इसका उपाय निकाला और मेडपोर इम्प्लांट का प्रयोग किया जो पोरस पॉलीइथीलीन इम्प्लांट है और उम्र के साथ यह बढ़ते स्कल के आकार के अनुरूप अपने को एडजस्ट कर लेता है। यह इम्प्लांट आपरेशन थिएटर में ही गर्म पानी में डालकर उसी आकार में काटा जाता है, जिस आकार में उसे लगाया जाना होता है। यही प्रक्रिया अपनाई गई और सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। सर्जरी के पश्चात बच्चा निरंतर फॉलोअप के लिए आ रहा है और स्वस्थ है।"
डॉ अजय कुमार, डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज, अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने बताया, "अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की स्थापना ही इस उद्देश्य के साथ हुई थी कि स्थानीय स्तर पर हम आम जनता को वर्ल्ड क्लास मेडिकल ट्रीटमेंट मुहैया कराएंगे ताकि उन्हें इलाज के लिए मेट्रो शहरों की लंबी दूरी न तय करनी पड़े और साथ ही उन्हें अन्य लॉजिस्टिक्स की परेशानी कम से कम उठानी पड़े। हमे खुशी है कि हर ऐसे केस के साथ आम जनता की उम्मीदों पर खरे उतरते आए हैं और विश्वास दिलाते हैं कि हम अपने उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
सौंदर्या राय May 06 2023 0 43833
सौंदर्या राय March 09 2023 0 51446
सौंदर्या राय March 03 2023 0 49467
admin January 04 2023 0 48963
सौंदर्या राय December 27 2022 0 39456
सौंदर्या राय December 08 2022 0 30913
आयशा खातून December 05 2022 0 82362
लेख विभाग November 15 2022 0 52504
श्वेता सिंह November 10 2022 0 49341
श्वेता सिंह November 07 2022 0 47609
लेख विभाग October 23 2022 0 38162
लेख विभाग October 24 2022 0 36938
लेख विभाग October 22 2022 0 46878
श्वेता सिंह October 15 2022 0 48159
श्वेता सिंह October 16 2022 0 50936
गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी मवेशियों में लंपी वायरस की पुष्टि होने के बाद बस्तर में जिला
डायबिटीज और थायराइड डिजीज, ग्रोथ डिसऑर्डर, सेक्सुअल डिसफंक्शन के साथ हाॅर्मोन संबंधी बीमारी के होने
पिमावांसेरिन एक एटिपिकल एंटीसाइकोटिक है और जिसका उपयोग पार्किंसंस रोग से जुड़े मतिभ्रम और भ्रम के उप
दांत अगर ठीक से साफ नहीं हुए तो धीरे- धीरे पीलापन जमने लगता है। हालांकि ज्यादा परेशान होने की जरूरत
डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा, "कोविड-19 अंतरराष्ट्रीय चिंता का एक सार्वजनिक स
किसी व्यक्ति को आर्थराइटिस है या नहीं, यह समझने के लिए लगातार जोड़ों का दर्द और जकड़न दो सबसे आम लक्
120/80 के स्थान पर डायरिया रोगी का ब्लड प्रेशर 85/45 तक हो जाता है। उसका बीपी और पल्स नहीं मिलती। रो
श्रीनिवास को स्वास्थ्य कर्मियों ने कानामाइसिन इंजेक्शन लगाया। वह इंजेक्शन अगस्त माह में ही एक्सपायर
किताब पढ़ना भी एक व्यायाम है जो आपके दिमाग को फिट रखने में मदद करता है। किताबें पढ़ना, धीरे-धीरे डिम
हमारे शरीर के लिए प्रोटीन बेहद जरूरी है. इससे हमारे शरीर का विकास ठीक तरीके से हो पाता है। बता दें क
COMMENTS