लखनऊ। प्रदेश में कोविड-19 से बचाव व उपचार की व्यवस्थाओं को पूरी तरह प्रभावी बनाया जाएँ। बच्चों के टीकाकरण तथा वयस्कों को बूस्टर डोज लगाये जाने के कार्य में तेजी लायी जाए। जिन जनपदों में अधिक केस मिल रहे हैं, वहां सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क (face masks) लगाया जाना अनिवार्य कर दिया जाये। कोविड पॉजिटिव पाए गए लोगों के स्वास्थ्य पर सतत नजर रखी जाये।
उक्त निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने टीम-9 की बैठक में उपस्थित अधिकारियों को दिया। वे अपने सरकारी आवास पर प्रदेश में कोरोना संक्रमण (corona infection) की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ट्रैक, टेस्ट, ट्रीट और टीकाकरण की नीति के सफल क्रियान्वयन से कोविड महामारी (covid pandemic) पर प्रभावी नियंत्रण बना हुआ है। इसलिए लोगों को जागरूक किया जाना आवश्यक है।
टीम-9 (Team-9) के अधिकारियों ने बताया कि पिछले 24 घण्टों में राज्य में कोरोना संक्रमण के 138 नए मामले सामने आए हैं। इस अवधि में 186 व्यक्तियों को सफल उपचार के उपरान्त डिस्चार्ज किया गया है। वर्तमान में प्रदेश में कोरोना के सक्रिय (active cases of corona) मामलों की संख्या 1097 है। पिछले 24 घण्टे में प्रदेश में 91 हजार 282 कोरोना टेस्ट किए गए। अब तक राज्य में 11 करोड़ 29 लाख 42 हजार 662 कोविड टेस्ट सम्पन्न हो चुके हैं।
बैठक में यह जानकारी भी दी गयी कि राज्य में गत दिवस तक 32 करोड़ 06 लाख 53 हजार से अधिक कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की डोज लगाई जा चुकी हैं।18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 13 करोड़ 34 लाख 61 हजार से अधिक लोगों को टीके की दोनों डोज देकर कोविड सुरक्षा कवच प्रदान किया जा चुका है। इस प्रकार 90.53 प्रतिशत लोग कोविड टीके की दोनों डोज ले चुके हैं।18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 15 करोड़ 30 लाख 95 हजार से अधिक लोगों ने कोविड वैक्सीन की पहली डोज प्राप्त कर ली है।
विगत दिवस तक 15 से 17 वर्ष आयु वर्ग में 96.24 प्रतिशत किशोर कोविड वैक्सीन की प्रथम डोज तथा 71.67 प्रतिशत किशोर टीके की दूसरी खुराक प्राप्त कर चुके हैं। 12 से 14 वर्ष आयु वर्ग के 63 लाख 65 हजार से अधिक बच्चों ने टीके की पहली खुराक तथा 12 लाख 52 हजार से अधिक बच्चों ने टीके की दूसरी खुराक प्राप्त कर ली है। 29 लाख 48 हजार से अधिक प्रिकॉशन डोज (precaution dose) प्रदान की जा चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ने निर्देशित किया कि एम्बुलेन्स संचालन से जुड़े कार्मिकों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए। पीड़ित/घायल लोगों के प्रति अतिरिक्त संवेदनशीलता बरती जाए। एम्बुलेंस के रेस्पॉन्स टाइम को कम से कम करने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाए। साथ ही, वॉलंटियर्स को भी इस कार्य से जोड़ा जाए।
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