लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में वार्षिक शोध दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के साथ संकाय सदस्य, रेजिडेंस एवं एमबीबीएस छात्रों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
लोहिया अस्पताल (Lohia Hospital) में वार्षिक शोध दिवस के आयोजन पर संस्थान के अध्यक्ष एवं प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस दौरान संस्थान (RMLIMS) की निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर राजन भटनागर, डीन प्रोफेसर नुसरत हुसैन, सब डीन प्रोफेसर रितु करौली एवं अन्य संकाय सदस्य, एमबीबीएस छात्र (MBBS students) तथा रेजिडेंट्स उपस्थित रहे।
डॉ रितु करौली द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। प्रोफेसर नुसरत हुसैन, डीन द्वारा वार्षिक शोध दिवस (annual research day) पर प्रकाश डाला गया जिसमें उनके द्वारा बताया गया कि अलग-अलग श्रेणियों में कुल 81 शोध प्रविष्ठियां (research entries) प्राप्त हुई। प्रतिभागियों द्वारा पोस्टर के माध्यम से अपने शोध का प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलिअरी साइंसेज के चांसलर एवं निदेशक प्रोफेसर एसके सरीन द्वारा ऑनलाइन माध्यम से Bethikalism-A Journey in Science विषय पर अनुसंधान व्याख्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि 'रिसर्च इस रिलिजन इन वे ऑफ लाइफ' के रिसर्च से जुड़े एथिक्स को फॉलो करना चाहिए और जहां सच होगा वहां आग जरूर होगी। हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं हमें इन्हें बराबर से देखना चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए।
निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद द्वारा अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों की सराहना की एवं छात्रों को भविष्य में इस तरह की प्रतिस्पर्धा में प्रतिभाग करने हेतु प्रेरित किया गया।
मुख्य अतिथि दुर्गा शंकर मिश्र (Durga Shankar Mishra) ने इस अवसर पर संस्थान में विज्ञान के क्षेत्र में बेहतर शोध करने वाले डाक्टरों तथा छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। मुख्य सचिव ने कहा कि किस सोच हमेशा बड़ी होनी चाहिए। किसी भी देश की तरक्की उन्नति उसके शोध के ऊपर आधारित होती है। शोध के क्षेत्र में चुनौतियां बहुत हैं लेकिन शोधार्थियों को उन चुनौतियों का डटकर सामना करना चाहिए। अनुसंधान की पहली सीढ़ी है सही प्रश्न बनाना। यदि हमने सही प्रश्न बना लिया तो 50 परसेंट काम यूं ही हो जाता है। कोई भी शोध इस प्रकार का होना चाहिए कि वह आम आदमी के लिए प्रभावी हो। किसी भी शोध में इज ऑफ यूज (ease of use) होना चाहिए।
हमारे देश में आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं अब अमृत काल की शुरुआत हो चुकी है 100 साल पूरे होने पर हमारा यह देश एक विकसित देश होगा। अनुसंधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस बार हमारे प्रधानमंत्री (PM Modi) ने एक नारा दिया है, जय जवान जय किसान जय अनुसंधान जिसका उद्देश्य है देश को एक नए स्तर पर ले जाना एक नई सोच और नई ऊर्जा के साथ काम करना।
उन्होंने (Chief Secretary UP) यह भी आवाह्न किया कि स्वच्छ भारत (Swachh Bharat) मिशन के तहत हमें रिड्यूस, रीयूज एंड रीसाइकिल (Reduce, Reuse and Recycle) के आधार पर काम करना चाहिए। हमें आसपास जहां हम कार्य करते हैं चाहे वह हमारा घर हो चाहे वह हमारा ऑफिस हो ऐसा माहौल बनाना चाहिए कि हम कम से कम कूड़ा उत्पन्न करें।
साथ ही उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसी भी पुरस्कार, भेट इत्यादि को पॉलिथीन में गिफ्ट रैप करके नहीं बल्कि खुला दिया जाए और संस्थान द्वारा पेपर सर्टिफिकेट ना देख कर सर्टिफिकेट को प्रिंट करा कर दिया जाए जिससे लोग उसे याद के तौर पर अपने कार्यस्थल या घर पर दीवार पर लगा सके।
पिछले 1 वर्ष के अंतर्गत संस्थान की ओर से चार नए पेटेंट (3 Neuro Surgery Department) और (one Orthopedic Department) फाइल किए गए जिसे सर्वत्र सराहा गया। अंत में उन्होंने संस्थान को 4 नई किताबें तथा अंतरराष्ट्रीय लेखन (international writing) पर 13 नए चैप्टर प्रकाशित करने हेतु संस्थान के संकाय सदस्यों को बधाई दी और इसे संस्थान के कीर्तिमान में एक नई उपलब्धि बताया।
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