महोबा। रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, कानुपर के मुख्य कार्डियोथोरेसिक सर्जन, डॉ सईद अख्तर का मानना है कि हृदय रोग से पीड़ित होने के बाद भी आवश्यकता पड़ने पर रोगी सर्जरी कराने से डरतें है। जबकि आज के समय में बाईपास सर्जरी अत्यंत सुरक्षित और प्रभावशाली है। वे कहतें है कि चिकित्सा विज्ञान में सबसे ज्यादा शोध बाईपास सर्जरी पर ही हुआ है इसलिए मरीजों को इस सर्जरी से डरने की कोई भी जरुरत नहीं है।
डॉ सईद अख्तर बतातें हैं कि जिन रोगियों को गंभीर हृदय रोग है उनको बाईपास सर्जरी के कई लाभ हैं। यदि मरीज़ को दिल का दौरा होने का खतरा है, तो सर्जरी उनके जीवन को बचा सकता है। यदि मरीज़ रोगग्रस्त हृदय की वजह से एनजाइना और सांस की तकलीफ में है, तो उसकी तकलीफ को कम करने के लिए कोरोनरी बाईपास सर्जरी अत्यधिक प्रभावी है। कोरोनरी बाईपास सर्जरी मरीज़ का जीवन वापस दे सकती है। आजकल कोरोनरी बाईपास सर्जरी से कॉम्प्लीकेशन्स बहुत कम केसेस में होती हैं। डॉ सईद बाईपास सर्जरी के बारे में बतातें हैं कि इससे हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को पुनर्स्थापित किया जाता है। डॉक्टर इसे एनजाइना उपचार के रूप में या आपात स्थिति में हार्ट अटैक के उपचार के रूप में उपयोग करते हैं। सर्जरी के बाद मरीज़ कुछ हफ़्ते में अपने नॉर्मल लाइफ में वापस आ सकते हैं। |
डॉ सईद अख्तर ने उत्तर प्रदेश में पहली बार बीटिंग हार्ट सर्जरी किया था। उनका कहना है कि इस नई तकनीक ने बाईपास सर्जरी के पूरे क्षेत्र में क्रांति ला दी है। रोगी बहुत तेजी से ठीक हो जाते हैं और बहुत कम समय में अपने सामान्य जीवन में लौट आते हैं।
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