नयी दिल्ली। कोरोना महामारी की दो भयंकर लहरें देखने के बाद हेल्थ सेक्टर में बड़े परिवर्तन आएं हैं और मेडिकल बीमा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। लोग अब पुरानी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की जगह ऐसी पॉलिसी लेना चाहते हैं जो इलाज के साथ ओपीडी के खर्चे भी कवर करती हो।
कोविड (Covid-19) के बाद लोगों की सोच बदली है और अब वे ऐसी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (health insurance policy) लेना चाहते है जो सारे खर्च को कवर करती हो। हेल्थ बीमा के आंकड़े बताते हैं कि अब उपभोक्ता पुरानी रन ऑफ मिल पॉलिसी नहीं चाहता जो केवल अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को कवर करें बल्कि अब वे ऐसी पॉलिसी लेना चाहते हैं जो इलाज के साथ ओपीडी के खर्चे (OPD expenses) भी कवर करती हो।
पॉलिसीबाजार (Policybazaar) के आंकड़ों बात करें तो इसमें भी यही बात निकल कर सामने आती है कि ओपीडी कवरेज (OPD coverage) की मांग तेजी से बढ़ रही है। करीब 15 प्रतिशत ग्राहक अब हेल्थ इंश्योरेंस के साथ-साथ ओपीडी कवर भी ले रहे हैं, यह संख्या पहले ज़ीरो थी।
जानकारों की माने तो ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि रेगुलर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (regular health insurance policy) अस्पताल में भर्ती होने पर देखभाल के खर्च को कवर करती है जबकि इसमें ओपीडी या चिकित्सीय परामर्श के खर्च कवर नहीं होते हैं। इसलिए लोगों का रुझान तेजी से ओपीडी कवर पॉलिसी (OPD cover policy) ओर बढ़ रहा है।
हेल्थ बीमा क्षेत्र (Health insurance sector) के आंकड़े बताते हैं कि ओपीडी की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 70% से ज्यादा खर्च शामिल है और यह खर्च आमतौर पर ज्यादातर लोग अपनी जेब से खर्च करते हैं। ओपीडी खर्च पहले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों द्वारा कवर नहीं किया जाता था। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी होने के बावजूद डॉक्टर से परामर्श, दवाएं, परीक्षण और चेक-अप जैसे खर्चों का भुगतान अपनी जेब से करना पड़ता था।
अभी महानगरों तक लोगों में ओपीडी कवर पॉलिसी लेने का चलन बढ़ा है लेकिन धीरे-धीरे छोटे शहरों में भी लोग जागरूक हो रहे है। ओपीडी एड-ऑन कवर (OPD add-on cover) का विकल्प चुनने वाले ज्यादातर ग्राहक बीमा राशि का उपयोग डॉक्टर परामर्श, निदान और फार्मेसी लागत से संबंधित खर्चों के लिए करते हैं।
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