दांतों की अतिसंवेदनशीलता को सामान्यत: दांतों की संवेदनशीलता (Tooth sensitivity) के नाम से जाना जाता है। यदि किसी व्यक्ति को दांतों में गर्म, ठंडा या मीठा खाद्य पदार्थ और पेय या ठंडी हवा में सांस लेने पर हल्की से गंभीर असुविधा या दर्द महसूस होता है, तो यह स्थिति दांतों की संवेदनशीलता को इंगित करती है। क्लिनिकली यह बहुत ही प्रक्रिया है लेकिन रोगियों के लिए बेहद चिंताजनक है। अध्ययनों से पता चला है, कि अधिकांश आबादी में दस से तीस प्रतिशत आबादी दांतों की अतिसंवेदनशीलता से पीड़ित है।
दंत संवेदनशीलता बीस से चालीस वर्ष की आयु के लोगों में बेहद सामान्य है। यह तीस वर्ष की उम्र में अधिक होती है और चालीस से पचास वर्ष की अवस्था के जीवन के दौरान घट जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इससे अधिक प्रभावित होती हैं।
दंत संवेदनशीलता का कारण - Cause of dental sensitivity
दांत में बाह्य दंतवल्क (outer enamel layer) होती है। डेंटाइन (dentine) इनेमल और मसूड़ों के नीचे होते हैं। ‘डेंटाइन’ इनेमल, दंतवल्क से ढंका हुआ होता है। ‘इनेमल’ डेंटाइन को सुरक्षा प्रदान करते है। डेंटाइन में सूक्ष्म नलिकाएं या नलिकाएं होती हैं, जो कि दांतों की लुगदी (pulp) से जुड़ी होती है। यदि इनेमल (enamel) की परत दातों से उतरने लगती है, तो डेंटाइन इनेमल के सुरक्षात्मक आवरण को खो देता है तो इसकी नलिकाएं (tubules) खुल जाती हैं। ये नलिकाएं गर्म, ठंडे या अम्लीय खाद्य पदार्थों को दांत की लुगदी के भीतर की नसों और कोशिकाओं तक पहुंचने देती हैं और इससे दांत संवेदनशील हो जाते हैं।
1. रगड़-रगड़ कर टूथब्रश करना - Scrubbing Toothbrush
बहुत जोर से ब्रश करना और एक ओर से दूसरी ओर ब्रश करना, जिसके कारण इनेमल घिस या क्षतिग्रस्त हो जाते है, इनेमल घिसकर दांतों के अंदर के मुलायम हिस्से 'डेंटाइन तक पहुंच जाता है। जिससे डेंटाइन संवेदनशील हो जाता है।
2. दंत क्षरण - Dental caries
अम्लीय आहार और पेय पदार्थों से उपजे एसिड हमलों के कारण दांतों के इनेमल क्षतिग्रस्त हो जाते है। यदि इनेमल घिस जाता है, तो इनेमल से ढंका हुआ डेंटाइन खुल जाता है या डेंटाइन बाहर आ जाता है, जिसके कारण दांतों में संवेदनशीलता महसूस होती है।
3. मसूड़े के रोग या गम डिसीज़ - Gum disease
प्लाक (plaque) या टार्टर (tartar) के जमा होने से मसूड़े अपनी जगह से खिसकने (जगह छोड़ने) लगते हैं और यहां तक कि ये दांतों को सहारा प्रदान करने वाली हड्डी की संरचनाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। मसूड़ों के अपनी जगह से खिसकने के कारण दांत अपनी जगह से हिल-डुल जाते हैं तथा अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। दांत के आसपास के मसूड़ों में पॉकेट बन सकती है, जिससे उस क्षेत्र को साफ रखना मुश्किल हो जाता है तथा समस्या और बढ़ जाती है।
4. दांत पीसना - Teeth grinding
दांत पीसना एक आदत है, जिसमें दांत आपस में पिसते या रगड़ खाते है। इससे दांतों का इनेमल भी खराब हो जाता है, जो कि दांतों को संवेदनशील बनाता हैं।
5. टूटा हुआ दांत या दांत भरना - Broken tooth or tooth filling
टूटा हुआ दांत (दांतों में कोई सुराख़ या दांत का कोई हिस्सा झड़ना), दांत भरना वह है, जो कि टूट गया है।
6. दांतों की ब्लीचिंग - Teeth bleaching
कुछ रोगियों में ब्लीचिंग के दौरान या ब्लीचिंग के बाद थोड़े समय के लिए दंत संवेदनशीलता होती है। दांतों की अतिसंवेदनशीलता में अंतर्निहित तंत्र को व्याख्यायित के लिए कई थ्योरी जैसे कि ट्रांसड्यूसर थ्योरी, मॉड्यूलेशन थ्योरी, "गेट" कंट्रोल और वाइब्रेशन थ्योरी और हाइड्रोडायनामिक थ्योरी प्रस्तावित की जाती है। सबसे व्यापक रूप से स्वीकृत सिद्धांत ‘ब्रैनस्ट्रॉम का हाइड्रोडायनामिक सिद्धांत’ है, जो कि दांतों की नलिकाओं के भीतर द्रव आंदोलन के कारण नोसिरेसेप्टर्स की सक्रियता को दर्शाता है।
दंत संवेदनशीलता का रोकथाम - Prevention of dental sensitivity
दांतों की संवेदनशीलता के साथ-साथ अधिकतर मुख स्वास्थ्य समस्याओं के विरूध अच्छी मुख स्वच्छता सबसे बेहतर बचाव है। बहुत जोर से ब्रश करना, ब्रश करते समय बहुत अधिक दबाव डालना या कठोर ब्रिसल वाले टूथब्रश का उपयोग करने से दांतों में घर्षण (रगड़) और जिंजिवाइल रीसेशन होता है, जिससे दांतों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है। अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन अच्छी दंत चिकित्सा देखभाल दिनचर्या के लिए निम्नलिखित अपनाने की सलाह देता है:
दंत संवेदनशीलता का उपचार - Treatment of Dental sensitivity
उपचार का प्रकार संवेदनशीलता के कारण पर निर्भर करता है। संवेदनशीलता को व्यवस्थित होने में कुछ समय लगता है।
1. उपचार के तहत घर पर उपयोग के लिए डिसेन्सिटाइज़िंग टूथपेस्ट (desensitizing toothpaste) का उपयोग; या दंत चिकित्सकों द्वारा डिसेन्सिटाइजिंग एजेंटों का सामयिक अनुप्रयोग शामिल है। इन डिसेन्सिटाइज़िंग एजेंटों में ऐसे यौगिक होते हैं जो कि दांत के अंदर की नसों में होने वाली उत्तेजना से उत्पन्न दर्द को रोकते हैं।
2. क्लिनिक उपचार में फ्लोराइड वार्निश (fluoride varnish) या फ्लोराइड जेल एप्लीकेशन, फिलिंग, क्राउन, इनले या बॉन्डिंग होते हैं, जिनका उपयोग दांत के क्षतिग्रस्त क्षेत्रों की मरम्मत के लिए या गम रीसेशन से आवरण रहित (खुले) क्षेत्रों को ढकने करने के लिए किया जाता है। आक्रामक प्रक्रियाओं में जिंजिवल ग्राफ्ट सर्जरी (gingival graft surgery) या रूट कैनाल उपचार (root canal treatment) शामिल हैं।
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