क्या आप जानते हैं कि भारत में होने वाली 28% मौतों का कारण हृदय रोग हैं? क्या आप जानते हैं कि 45 साल से ज्यादा उम्र के लगभग 50% भारतीयों को हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप) है? यह बात सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि उच्च ब्लड प्रेशर (high ) के कारण विभिन्न रोग होते हैं और हार्ट फेलियर उनमें से एक है। हाइपरटेंशन भारत में हृदय रोगों के सबसे प्रमुख जोखिम के कारकों में से एक है। रक्त वाहिकाओं में बाधा या हृदय की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण हृदय का शरीर के सभी भागों में खून पहुँचाना कठिन हो जाता है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और आखिरकार हृदय के आकार में वृद्धि होती है और फिर हार्ट फेलियर होता है।
हार्ट फेलियर (heart failure) का जोखिम तब बढ़ जाता है, जब आनुवांशिकता के साथ अस्वास्थ्यकर जीवनशैली का मिलन होता है, जैसे जंक फूड खाना, बहुत ज्यादा नमक खाना, आलस्यपूर्ण जीवनशैली, गैस से भरे हुए पेय और अल्कोहल पीना, सिगरेट पीना और तनाव। शुरूआत में हाइपरटेंशन (hypertension) कोई लक्षण नहीं दिखाता है, इसलिये ब्लड प्रेशर की नियमित जाँच और ब्लड प्रेशर का उच्च स्तर देखने पर हृदय रोग विशेषज्ञ (cardiologist) से परामर्श लेना जरूरी होना चाहिये, ताकि भविष्य में हार्ट फेलियर की संभावना कम हो सके। लंबे समय तक हाइपरटेंशन रहने से हार्ट फेलियर होता है, इसलिये दवाओं के शेड्यूल और हार्ट फेलियर के लिये जीवनशैली (life style) की रोकथामपरक आदतों पर हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह मानना बहुत जरूरी है।
हार्ट फेलियर की रोकथाम के लिये समग्र उपचार की आवश्यकता पर बात करते हुए, संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आदित्य कपूर ने कहा, “हाइपरटेंशन जैसी स्थायी स्थितियों के बढ़ते मामलों के साथ, भारत में हार्ट फेलियर के मामले भी बढ़ रहे हैं। आलस्यपूर्ण जीवनशैली, बढ़ता तनाव (stress), शक्कर और नमक का ज्यादा सेवन इसमें वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। मेरे क्लिनिक में आने वाले लगभग 20-25% लोग हार्ट फेलियर के मरीज होते हैं, जिनमें से एक-तिहाई को हाइपरटेंशन भी होता है। इसलिये, सही समय पर उपचार, जीवनशैली में बदलाव और कार्डियोलॉजिस्ट के साथ नियमित तौर पर बातचीत के साथ हाइपरटेंशन और हार्ट फेलियर का समग्र प्रबंधन स्वस्थ जीवन जीने में हार्ट फेलियर के मरीजों की सहायता कर सकता है।‘”
मेदांता हॉस्पिटल (Medanta Hospital), लखनऊ में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. नकुल सिन्हा के अनुसार, “हार्ट फेलियर को स्वास्थ्य की एक प्राथमिकता के रूप में मान्यता देने की अत्यंत आवश्यकता है। हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है, और जीवनभर इसे उचित ढंग से मैनेज करने की जरूरत होती है और इसके मरीजों की लगातार निगरानी रखनी पड़ती है। प्राथमिक स्वास्थ्यरक्षा प्रदाताओं और अच्छी तरह से प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ वाले केवल हार्ट फेलियर के क्लिनिक्स हार्ट फेलियर (clinical heart failure) के मरीजों की प्रभावी और गुणवत्तापूर्ण देखभाल में सहायक हो सकते हैं।”
कुल मिलाकर, दोनों स्थितियों के प्रबंधन और संतोषजनक जीवन के लिये हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये:
• ब्लड प्रेशर की नियमित जाँच: साप्ताहिक आधार पर अपने ब्लड प्रेशर की जाँच करें और जोखिम दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें
• तनाव से बचें: विश्राम और श्वास के व्यायामों, नींद को आसान बनाने, ध्यान या योग जैसी तनाव के प्रबंधन की युक्तियों को अपनाकर आप ब्लड प्रेशर कम कर सकते हैं
• जीवनशैली में बदलाव: अपने ब्लड प्रेशर के प्रबंधन के लिये कुछ स्वास्थ्यकर पहलें कीजिये। स्वास्थ्यकर आहार लीजिये, नियमित व्यायाम कीजिये और नमक का सीमित सेवन कीजिये, आदि।
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