आज के दौर में सोशल मीडिया का इस्तेमाल सामान्य बात हो चली है। इसे जरूरत मान लिया गया, लेकिन इसके नुकसानों से रूबरू होना भी जरूरी है। एक हालिया अध्ययन के जरिए सिडनी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल के करीब पचास हानिकारक प्रभाव हैं। यह सभी प्रभाव सिर्फ मानसिक सेहत से जुड़े नहीं हैं, बल्कि हमारे काम करने की क्षमता भी इनसे प्रभावित हो रही है।
46 हानिकारक प्रभावों का पता लगायाः
सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसी साइटों के उपयोग से जुड़े 46 हानिकारक प्रभावों की जानकारी दी है। इनमें से चिंता, अवसाद, परेशान किया जाना, आत्महत्या के लिए उकसाने वाले विचार, साइबर स्टॉकिंग, अपराध, ईर्ष्या, सूचना अधिभार और ऑनलाइन सुरक्षा की कमी है आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार कुल मिलाकर सोशल मीडिया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए तो समस्या पैदा करने वाला है ही, साथ ही यह नौकरी और शैक्षणिक प्रदर्शन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके अलावा सोशल मीडिया के कारण लोग सुरक्षा और प्राइवेसी की चिंता से भी परेशान रहते हैं।
सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों की अनदेखी हुईः
शोधकर्ताओं का कहना है कि अब तक सोशल मीडिया नेटवर्क पर हुए अध्ययनों में उनके फायदों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, इस कारण इसके नकारात्मक प्रभावों की अनदेखी की गई है। यह अध्ययन ऑनलाइन सोशल नेटवर्क का उपयोग करने के तथाकथित ‘काले पक्ष’ पर मौजूदा सीमित काम पर आधारित है। यह ऑनलाइन सोशल नेटवर्क के सकारात्मक प्रभावों के साथ ही नकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट करता है।
अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2003 से 2018 तक प्रकाशित करीब 50 अध्ययनों की समीक्षा की। 2003 में सोशल मीडिया अपनी प्रारंभिक अवस्था में था। सोशल मीडिया के 46 हानिकारक प्रभावों में प्राइवेसी का उल्लंघन, धोखाधड़ी, घबराहट, आर्थिक जोखिम आदि भी पाए गए। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी में प्रमुख शोधकर्ता लैला बोरून का कहना है कि सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित नहीं हैं। इनमें ईर्ष्या, अकेलापन, चिंता और कम आत्मसम्मान, दुर्भावना जैसे नकारात्मक प्रभाव भी शामिल हैं।
नकारात्मक प्रभावों को छह श्रेणियों में बांटाः
शोधकर्ताओं ने कुल मिलाकर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को छह समूहों में बांटा- ‘कॉस्ट ऑफ सोशल एक्सचेंज’, ‘गुस्सा दिलाने वाला कंटेंट’, ‘निजता संबंधी चिंताएं’, ‘सुरक्षात्मक खतरे’, ‘साइबरबुलिंग’ और ‘प्रदर्शन पर असर’। कॉस्ट ऑफ सोशल एक्सचेंज में मनोवैज्ञानिक नुकसान जैसे कि अवसाद, चिंता, ईर्ष्या और समय, ऊर्जा और पैसे की बर्बादी आदि शामिल हैं। गुस्सा दिलाने वाले कंटेंट में हिंसात्मक और नफरत फैलाने वाला कंटेंट साझा करने वाले यूजर शामिल हैं।
प्राइवेसी की चिंता में किसी तीसरी पार्टी द्वारा निजी जानकारी के दुरुपयोग की चिंता शामिल है। सुरक्षात्मक चिंता में धोखाधड़ी का खतरा और साइबरबुलिंग में दुर्व्यवहार, झूठ, स्टॉकिंग, अफवाह आदि शामिल हैं। इसके अलावा छठी श्रेणी में सोशल मीडिया के इस्तेमाल से काम के प्रदर्शन में होने वाली कमी आती है। शोधकर्ता अब उन कारकों की जांच कर रहे हैं, जो सोशल मीडिया की लत को प्रभावित करते हैं। एक ऐसी टेस्ट एप्लीकेशन विकसित की जाएगी जो सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सके।
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