नयी दिल्ली। कोरोना महामारी का एचआईवी, टीबी और मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में पिछले साल विनाशकारी प्रभाव पड़ा है। इस बीच कई रिपोर्ट्स और आंकड़े चौंका रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस ने सूचित किया कि HIV, मलेरिया और टीबी के खिलाफ ट्रीटमेंट की प्रगति रुक गई। एक अध्ययन के अनुसार, एचआईवी के निदान के लिए टेस्ट में 41 फीसदी की कमी आई, जबकि टीबी रेफ़रल के मामलों में 59 प्रतिशत की कमी देखी गई है।
मिंट की रिपोर्ट (mint report) के अनुसार, ग्लोबल फंड के कार्यकारी निदेशक पीटर सैंड्स ने कहा, “HIV की रोकथाम को पीछे धकेल दिया गया है। मलेरिया के मामलों के मैनेजमेंट में एक नाटकीय ढंग से हम मृत्यु दर में बढ़ोतरी के वास्तविक जोखिम का सामना कर रहे हैं। कम हुए टीबी मरीजों (TB Patients) के नंबर में दोबारा से प्रगति देखी जा रही है। कटु सत्य यह है कि हम 2021 में एचआईवी (HIV), टीबी और मलेरिया से अधिक मौतों को देखेंगे, जो कि 2020 में कोविड-19 (COVID-19) के कारण आई समस्या के चलते होंगी।”
विश्व स्वास्थ्य निकाय के प्रमुख की टिप्पणी ने साबित कर दिया है कि ग्लोबल फंड टू फाइट एड्स, ट्यूबरकुलोसिस (tuberculosis) और मलेरिया जैसे कई स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन के दावे सही है। दरअसल, संगठन के अनुसार एचआईवी, टीबी और मलेरिया (Malaria) का प्रसार विशेष रूप से कम आय वाले एशियाई और अफ्रीकी देशों (African countries) में बढ़ रहा है। संक्रामक रोग विशेषज्ञ और एचआईवी/एसटीडी के सलाहकार डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, “इन वैश्विक संगठनों को यह समझने में ढाई साल लग गए कि कोविड-19 (COVID-19) कई पहलुओं के साथ आया है। महामारी के पहले फेज के बाद इससे जुड़े नुकसान की पहचान की जानी चाहिए थी।”
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