दुनियाभर में वर्ल्ड थैलेसीमिया डे (Thalassemia Day) मनाया जा रहा है। यह दिन थैलेसीमिया रोग से पीड़ित लोगों के संगठनों, समुदायों और चिकित्सा पेशेवरों द्वारा संचालित किया जाता है। इस दिन के माध्यम से थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता फैलाने, संगठनों को समर्पित करने और थैलेसीमिया रोग (thalassemia disease) से पीड़ित लोगों के समर्थन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाता है। थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रोग है जिसमें हमारे रक्त में हीमोग्लोबिन के बनने में असमर्थता होती है। इसके कारण रक्त में संकुचित, कमजोर और पतला हीमोग्लोबिन बनता है, जिससे रक्त कोशिकाएं समय पर नष्ट हो जाती हैं।
थैलेसीमिया बीमारी को खत्म करने के लिए अब सरकार राष्ट्रीय मिशन (national mission) शुरू करने जा रही। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद से लेकर पंचायत स्तर तक सभी जन प्रतिनिधियों से अपने-अपने क्षेत्रों में थैलेसीमिया की पहचान और रोकथाम के लिए कार्यक्रम आयोजित करने की अपील की। इसको लेकर ओम बिरला ने कहा कि ‘थैलेसीमिया बीमारी को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए मैं देश के सभी सांसदों से अपील करता हूं कि वे अपने-अपने संसदीय क्षेत्र में थैलेसीमिया स्क्रीनिंग प्रोग्राम की शुरुआत करें। साथ ही केंद्र सरकार से अपील करूंगा कि वे देशभर में निशुल्क थैलेसीमिया की जांच कराएं। इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए पूरे भारत में यूनिवर्सल स्क्रीनिंग की जरूरत है।’
थैलेसीमिया के लक्षण- Symptoms of Thalassemia
पीलापन- Pallor
थैलेसीमिया में रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी होती है, जिसके कारण रोगी की त्वचा पीली दिखाई देती है।
थकान- Tiredness
थैलेसीमिया रोगियों को अक्सर थकान महसूस होती है। यह उनकी उत्पादकता और सामान्य गतिविधियों पर असर डालती है।
सांस लेने में दिक्कत- Breathing problem
कुछ थैलेसीमिया प्रकार श्वासनली को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
संक्रमण- Infection
थैलेसीमिया रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे वे संक्रमण के लिए अधिक प्रभावशील हो सकते हैं।
हड्डियों की समस्याएं- Bone problems
थैलेसीमिया के कुछ रूपों में हड्डियों के विकार और कमजोरी हो सकती है। यह शारीरिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है और बढ़ती उम्र में घुटनों, हथेलियों और पैरों में दर्द का कारण बन सकता है।
क्या है थैलेसीमिया बीमारी- What is thalassemia disease
थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो बच्चे को अनुवांशिक तौर पर होती है। इस रोग के कारण हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता हैं। भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित पैदा होते हैं। जब ये समस्या होती है तो शरीर में हीमोग्लोबिन गड़बड़ाने लगता है और व्यक्ति में रक्तक्षीणता के लक्षण नजर आने लगते हैं।
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