लखनऊ। भारत को विश्व की डायबिटीज की राजधानी कहा जाता है। यहाँ पर 80 मिलियन से ज्यादा लोग डायबिटीज से पीडि़त हैं। आने वाले समय में जैसे-जैसे डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे किडनी वाले मरीजों की भी संख्या बढ़ती जायेगी। ऐसा देखा गया है कि डायबिटीज (diabetes) से पीडि़त लोगों में जो किडनी की बीमारी सबसे ज्यादा होती है, वह बीमारी क्रॉनिक किडनी डिजीज (chronic kidney disease) है। सीकेडी (kidney failure) होने से किडनी फेलियर होता है।
रीजेंसी सुपरस्पेशलिटी (Regency Superspeciality) लखनऊ के डॉ दीपक दीवान ने बताया कि कैसे डायबिटीज से जानलेवा बीमारियाँ होती है और हमें इन बीमारियों से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे पास जो सीकेडी से पीडि़त मरीज है उसमे 70 प्रतिशत डायबिटीज के मरीज हैं। सीकेडी की बीमारी में किडनी की काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है जिसके कारण शरीर में तरल पदार्थ (fluids), इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes), यूरिया (urea) और क्रिएटिनिन (creatinine) जैसे अपशिष्ट उत्पादों की मात्रा बहुत ज्यादा जमा होने लगती है।
सीकेडी के अंतिम स्टेज में जिंदा रहने का एकमात्र तरीका यह है कि आप डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट कराएँ। अभी हमारे पास 200 मरीज डायलिसिस (dialysis) करा रहे हैं। इन 200 में से 20 मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट (kidney transplant) की जरूरत है। सीकेडी के केस में मुश्किल बात यह होती है कि इसे विकसित होने में काफी समय लगता है। शुरुआत में इसके लक्षण (symptoms) ज्यादा नजऱ नहीं आते हैं, मतलब जब तक आप खुद की जांच नहीं करवाते हैं, तब तक आपको पता नहीं चल पाता है कि आप सीकेडी (CKD) से पीडि़त हैं या नहीं।
ज्यादातर लोगों को इस बीमारी के बारे में तब पता चलता है जब यह एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है। यहाँ यह बताना जरूरी है कि डायलिसिस से जीवन में सुधार देखने को मिलता है। वहीं जहाँ तक जीवन की गुणवत्ता में सुधार और समाधान की बात है तो ट्रांसप्लांट कराना सबसे बेहतरीन उपाय होता है। अगर आप टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) से पीडि़त है, या 5 साल से ज्यादा समय से आप टाइप 1 डायबिटीज (type 1 diabetes) के शिकार है, तो शुरुआत में ही आपको किडनी की बीमारियों के लिए खुद की जांच कराने की सलाह दी जाती है। इसके बाद भी नियमित जांच (regular checkups) कराते रहना चाहिए।
स्वस्थ लाइफस्टाइल (healthy lifestyle) की आदतें अपनाना जैसे कि संतुलित खानपान का सेवन, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, हाइड्रेटेड रहना (staying hydrated), दिन में 7 से 9 घंटे सोना, और अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित डोज के अनुसार अपनी दवाएं खाना आदि से डायबिटीज से होने वाली किडनी की समस्याओं से बचा जा सकता है या कम किया जा सकता है।
डॉ दीपक दीवान ने बताया कि हाई ब्लड शुगर नेफ्रॉन (filtering unit of the kidney) और किडनी में ब्लड वेसेल्स (blood vessels) को नुकसान पहुंचाता है, जिससे किडनी का कामकाज बाधित होता है। बहुत ज्यादा शुगर का लेवल (high sugar level) होने से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी होती है।
हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) से भी किडनी को नुकसान पहुंचता है। जैसा कि यह कहा जाता है कि रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होता है। इस रोकथाम को ज्यादा तवज्जों दें। इसलिए प्रीडायबिटीज ग्रुप में आने वाले लोगों के लिए हम डायबिटीज की शुरुआत और इससे होने वाली किडनी की बीमारियों से बचने की सलाह देते हैं। किडनी की बीमारी की शुरुआत को रोकने या देरी करने का सबसे बेहतर उपाय यह है कि आप नियमित अंतराल अपना ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर चेक कराते रहें।
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