लखनऊ| दिमागी बुखार व अन्य संचारी रोगों पर नियन्त्रण के लिए विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान एक जुलाई से 31 जुलाई तक मनाया जायेगा | इसी क्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में गुरुवार को जिला स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया |
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजय भटनागर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग 12 अन्य विभागों नगर विकास, ग्राम्य विकास, बाल विकास एवं पुष्टाहार, कृषि, पशुपालन, दिव्यांग कल्याण, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, सिंचाई, पंचायतीराज, वाणिज्यकर एवं मनोरंजन तथा सूचना एवं जनसंपर्क के साथ समन्वय स्थापित कर दिमागी बुखार व संचारी रोग पर प्रभावी नियंत्रण एवं क्षय उन्मूलन के लिए एक साथ मिलकर अभियान चलाएगा | स्वास्थ्य विभाग को इस अभियान का नोडल बनाया गया है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि पूरा अभियान कोविड प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए चलाया जायेगा |
उन्होंने बताया कि नगर विकास विभाग नगरीय क्षेत्र में शुद्ध पेयजल, साफ-सफाई, मच्छरों की रोकथाम, संवेदनशील क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त कराना और नाला-नालियों की साफ-सफाई का काम देखेगा।
पंचायती राज विभाग व ग्राम्य विकास विभाग जनजागरूकता, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, वेक्टर कंट्रोल और वातावरणीय स्वच्छता के प्रयास, पशुपालन विभाग सुकरबाड़ों को आबादी से दूर करवाने के प्रबंध करेगा।
बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के जिम्मे कुपोषित बच्चों के चिन्हांकन, उन्हें पुष्टाहार वितरित करना, जनजागरूकता व संवेदीकरण, दिमागी बुखार के दिव्यांग बच्चों को योजनाओं का लाभ दिलवाना होगा।
शिक्षा विभाग वाट्स एप ग्रुप के जरिये जनजागरूकता अभियान व संवेदीकरण, चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा बीमारियों की जांच के लिए प्रयोगशाला प्राविधिक प्रशिक्षण, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिमागी बुखार के दिव्यांग रोगियों के कल्याण की योजनाओं का लाभ दिलवाने का काम करेगा।
कृषि एवं सिंचाई विभाग द्वारा मच्छरों के प्रजनन पर रोक लगाने, सूचना विभाग द्वारा प्रचार-प्रसार और उद्यान विभाग द्वारा मच्छर रोधी पौधों के रोपण जैसी गतिविधियां प्रमुख तौर पर संचालित की जानी हैं।
इस मौके पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. के.पी.त्रिपाठी ने बताया कि इस अभियान को सफल बनाने में ए.एन.एम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है और उनका संवेदीकरण किया जायेगा | उन्हें मातृ समूह की बैठक का आयोजन, समय समय पर स्कूलों का भ्रमण और शिक्षकों को बच्चों में जागरूकता बढ़ाने में मदद करना, दिमागी बुखार पर स्वयं सहायता समूहों की बैठक करना, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति की बैठकों का आयोजन करना एवं पेय जल को साफ करने के लिए क्लोरीनेशन का डेमो आयोजित करना आदि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा |
डा. त्रिपाठी ने बताया कि जिले में 12 जुलाई से 25 जुलाई के बीच दस्तक अभियान चलाया जायेगा | आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 12 जुलाई से 25 जुलाई तक घर-घर जाकर लोगों का हाल पूछेंगी और उन्हें इन बीमारियों के प्रति जागरूक करेंगी। इंफ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) के मरीजों, बुखार के मरीजों, क्षय रोग के लक्षण वाले मरीजों और कुपोषित बच्चों की सूची तैयार कर एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय को भेजा जाएगा। गृह भ्रमण का ट्रैक रखने के लिए आशा कार्यकर्ता हर उस घर में जहाँ 15 वर्ष से कम आयु के बच्चे या क्षय रोग के लक्षण वाले व्यक्ति हैं, प्रमुख जगह पर स्टीकर लगायेंगी जो उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा |
दस्तक अभियान के दौरान जो टीबी के संभावित रोगी मिलेंगे, उनकी जांच कराई जाएगी और पुष्ट होने पर इलाज शुरू कराया जाएगा। बुखार के रोगियों की जांच करा कर देखा जाएगा कि उनमें कहीं इंसेफेलाइटिस, कोविड, मलेरिया, डेंगू आदि के लक्षण तो नहीं है। लक्षण आधारित जांच करा कर उपचार किया जाएगा। जो भी कुपोषित बच्चे मिलेंगे उनका भी इलाज शुरू कराया जाएगा और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जाएगा। आईएलआई के मरीजों की कोविड जांच होगी और उन्हें भी उपचार प्रदान किया जाएगा। दस्तक अभियान कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए चलेगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अजय राजा, डा. राजेश, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मिलिंद वर्धन , जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, जिला मलेरिया अधिकारी डी.एन.शुक्ला, सभी सीएचसी के चिकित्साधीक्षक, ब्लाक स्तरीय अधिकारी सहित 12 विभागों के प्रतिनिधि, विश्व स्वास्थ्य संगठन , यूनिसेफ, पाथ, फैमिली हेल्थ इंडिया, गोदरेज एम्बेड, टाटा ट्रस्ट,एवं प्लान इंडिया के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।
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