लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू में आज से तीन दिवसीय यूपी टीबीसीकॉन- 22 का आयोजन 7 से 9 अक्टूबर तक किया जा रहा है। कार्यशाला का उद्घाटन 8 अक्टूबर को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक करेंगे। इस कान्फ्रे न्स में पूरे भारत से प्रसिद्ध चेस्ट विषेशज्ञ शामिल होंगे। पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन केजीएमयू (KGMU) लखनऊ एवं एराज़ लखनऊ मेडिकल कॉलेज (Era's Lucknow Medical College) एवं हॉस्पिटल एराज़ यूनीवर्सिटी लखनऊ के द्वारा संयुक्त रूप से टीबी एवं श्वास रोग की 16 वीं वार्षिक कान्फ्रे न्स का आयोजन किया जा रहा है।
यह जानकारी केजीएमयू के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा वेद प्रकाश ने देते हुए बताया कि प्रथम कार्यशाला निद्रा में श्वास सम्बन्धी विकार, द्वितीय कार्यशाला फेफडे का उन्नत परीक्षण एवं तृतीय कार्यशाला सघन चिकित्सा केन्द्र में परीक्षण से सम्बन्धित होगी। इन सभी कार्यशालाओं का सम्पादन विश्व विख्यात चिकित्सक प्रोफेसर डा दिगम्बर बेहरा पुणे के डा सन्दीप साल्वी एवं नई दिल्ली की डा दीप्ती गोठी करेंगी।
इस आयोजन में डॉ रोहित सरीन डायरेक्टर ऑफ नेशनल इन्स्टीट्यूट नई दिल्ली एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद बीसी रॉय अवार्डी एवं पूर्व डायरेक्टर वल्लभ भाई पटेल चेस्ट संस्थान (Vallabhbhai Patel Chest Institute) नई दिल्ली का व्याख्यान भी होगा। डा वेद प्रकाश ने बताया कि इस आयोजन में व्याख्यान, सेमिनार एवं पैनल डिस्कशन को सम्मिलित किया गया है जो फेफडे (lung diseases) की समस्त प्रकार की बीमारियों जैसे श्वास नली की बीमारियां, आईएलडी फेफडे का कैंसर छाती की सर्जरी, स्लीप मेडिसिन, इमेजिन्ग, ब्रोन्कोस्कोपी (Bronchoscopy), थोरेकोस्कोपी (thoracoscopy), आईसीयू इन्टरवेंशन, फेफडा प्रत्यारोपण के साथ कोविड (covid) एवं कोविड पश्चात होने वाले कॉप्लीकेशन्स के बारे में चर्चा की जायेगी।
इस कार्यक्रम में पूरे भारतवर्ष से प्रसिद्ध विषेशज्ञ जैसे बैंगलोर (Bangalore) से डॉ मंजूनाथ पीजीआई रोहतक (PGI Rohtak) के डॉ पवन कुमार सिंह एम्स नई दिल्ली के डॉ विजय हडडा, जयपुर से डॉ वीरेन्द्र सिंह, एम्स (AIIMS) पटना से डॉ दीपेंद्र राय, एम्स ऋ षिकेश के डॉ गिरीश सिंधवानी, आईजीआईएमएस शिमला (IGIMS Shimla) से डॉ मलय सरकार, नई दिल्ली से डॉ अंबरीश जोशी सहित अन्य लोग इस कार्यक्रम में व्याख्यान देंगे। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ वेद प्रकाश ने बताया कि यह आयोजन चिकित्सकों के ज्ञानवर्धन कौशल निपुणता में सहायक होगा।
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