लखनऊ। तम्बाकू व बीड़ी-सिगरेट पीने वालों को कोविड-19 का खतरा सबसे अधिक है क्योंकि इनके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्यूनिटी इतनी कमजोर हो जाती है कि वह किसी भी वायरस का सामना नहीं कर पाती । इसके साथ ही हमारा युवा वर्ग जो आज महज दिखावे के चक्कर में सिगरेट के छल्ले उड़ाता है, उसको भी सतर्क हो जाने की जरूरत है क्योंकि यह कश उसको नपुंसक भी बनाता है । इसके अलावा टीबी, कैंसर, ब्रानकाइटिस, ब्लड प्रेशर, पेट, दिल-दिमाग के साथ ही कई अन्य बीमारियों को यह तम्बाकू उत्पाद खुला निमंत्रण देते हैं । यह कहना है किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष व स्टेट टोबैको कंट्रोल सेल के सदस्य डॉ. सूर्य कान्त का ।
आईएमए-एमएस के वाइस चेयरमैन डॉ. सूर्यकांत का कहना है कि कोरोना की चपेट में आकर अस्पतालों में भर्ती होने और जान गंवाने वालों में बड़ी तादाद उन लोगों की रही जो बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों का सेवन करते थे । ऐसे लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होने के साथ ही फेफड़े भी कमजोर हो चुके थे । इससे सांस लेने में उन्हें बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ा और आक्सीजन तक का सहारा लेना पड़ा । उनका कहना है कि बीड़ी-सिगरेट पीने या अन्य किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन करने वालों को करीब 40 तरह के कैंसर और 25 अन्य गंभीर बीमारियों की चपेट में आने की पूरी सम्भावना रहती है। इसमें मुंह व गले का कैंसर प्रमुख हैं। यही नहीं धूम्रपान करने वालों के फेफड़ों तक तो करीब 30 फीसद ही धुँआ पहुँचता है बाकी बाहर निकलने वाला करीब 70 फीसद धुँआ उन लोगों को प्रभावित करता है जो कि धूम्रपान करने वालों के आस-पास रहते हैं । यह धुँआ (सेकंड स्मोकिंग) सेहत के लिए और भी खतरनाक होता है ।
डॉ. सूर्य कान्त का कहना है कि आज देश में हर साल तम्बाकू खाने व बीड़ी-सिगरेट पीने वाले करीब 12 लाख लोग यानि करीब तीन हजार लोग हर रोज काल के गाल में समा जाते हैं । सरकार इन आंकड़ों को कम करने के लिए प्रयासरत है। इन्हीं स्थितियों को देखते हुए सार्वजनिक स्थलों और स्कूलों के आस-पास बीड़ी-सिगरेट व अन्य तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक के लिए केंद्र सरकार वर्ष 2003 में सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम (कोटपा) ले आई है, जिस पर सख्ती से अमल की जरूरत है, तभी स्थिति में सुधार आ सकता है। यह समस्या केवल भारत की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या बन चुकी है। इसी को ध्यान में रखते हुए हर साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है, जिसके जरिये लोगों को तम्बाकू के खतरों के प्रति सचेत किया जाता है। इस बार तम्बाकू निषेध दिवस की थीम है- “तम्बाकू छोड़ने के लिए कटिबद्ध” ।
एस. के. राणा March 06 2025 0 48729
एस. के. राणा March 07 2025 0 48729
एस. के. राणा March 08 2025 0 46953
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 40404
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 32745
हुज़ैफ़ा अबरार March 21 2025 0 31968
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 30969
सौंदर्या राय May 06 2023 0 84348
सौंदर्या राय March 09 2023 0 88853
सौंदर्या राय March 03 2023 0 89094
admin January 04 2023 0 89700
सौंदर्या राय December 27 2022 0 78750
सौंदर्या राय December 08 2022 0 68098
आयशा खातून December 05 2022 0 122211
लेख विभाग November 15 2022 0 92131
श्वेता सिंह November 10 2022 0 111834
श्वेता सिंह November 07 2022 0 90455
लेख विभाग October 23 2022 0 75680
लेख विभाग October 24 2022 0 77675
लेख विभाग October 22 2022 0 84729
श्वेता सिंह October 15 2022 0 90672
श्वेता सिंह October 16 2022 0 85013
संविदा या ऐजेंसी के माध्यम से कार्यरत नर्सेज को समान पद का समान वेतन दिया जाय, व अन्य मागों पर भी वि
गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी मवेशियों में लंपी वायरस की पुष्टि होने के बाद बस्तर में जिला
बजट की अपेक्षा में विशेषज्ञों को अनुमान था कि सरकार हेल्थ केयर सेक्टर (health care sector) पर खर्च क
गर्मी में, खास तौर से बाहर निकलते वक्त हल्के रंगों वाले सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें, साथ ही इस बात
डा. अर्चना शर्मा खुदकुशी प्रकरण में असली गुनाहगार अभी भी पकड़े नहीं गए। डा. अर्चना के पति भी पुलिस क
ब्रिटेन से प्रदेश आए अब तक 10 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इसमें मेरठ के चार, नोएडा के तीन, गाजियाब
जीएसवीएएम मेडिकल कॉलेज में 1982 में स्पीच थेरेपी सेंटर खोला गया था। 40 साल से ये संस्था हकलाने वाले
स्वास्थ्य महानिदेशालय में तैनात संयुक्त निदेशक डॉ. देवेश कुमार सिंह के प्रकरण को डिप्टी सीएम ब्रजेश
एक तरफ मानक पूरे न होने पर 12 आयुर्वेद कॉलेजों की मान्यता रद्द हुई तो दूसरी तरफ इतने ही आयुर्वेदिक क
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की नयी सूची में सुविधाओं को बढ़ाया गया हैं। लाभार्थियों के
COMMENTS