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अपोलो लखनऊ में शुरू हुआ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट।

इस इलाज में ज्यादा समय नही लगता, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या कॉकटेल एंटीबाडी सामान्य इंट्रावीनस पद्धति से मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती है, जिसमें एक घण्टे का समय लगता है

अपोलो लखनऊ में शुरू हुआ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट। प्रतीकात्मक

लखनऊ। क्षेत्र में लगातार अंतर्राष्ट्रीय स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने वाला लखनऊ स्थिति अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल अब कोविड का अंतराष्ट्रीय स्तर पर पर प्रचलित इलाज मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट उपलब्ध करा रहा है।

अपोलो मेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीईओ व मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर मयंक सोमानी ने बताया, "बीते वर्ष कोविड से संक्रमित होने के बाद अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह कॉकटेल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट दिया गया था तब से इसे ट्रम्प कॉकटेल औए नाम से भी जाना जाता है।यह इलाज अभी तक पश्चिमी देशों में उपलब्ध था, जिसे हम अब राजधानी लखनऊ में अपोलोमेडिक्स अस्पताल में उपलब्ध करा रहे हैं।"

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट या ट्रम्प कॉकटेल के बारे में बताते हुए डॉक्टर मयंक सोमानी ने बताया, "यह एंटीबाडी वायरस के स्पाइक प्रोटींस के बीच में काम करती हैं, जिससे वायरस अपने आपको शरीर में रेप्लिकेट नही कर पाता। इसके चलते मरीज को इस कोविड संक्रमण के खिलाफ अपने शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।"

उन्होंने बताया कि इलाज की पद्धति माइल्ड या मोडरेट कोविड इन्फेक्शन के लिए ही कारगर है, जिनमें ऑक्सीजन की आवश्यकता नही होती है। जैसे टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आए, जितना जल्दी हो सके मरीज को 10 दिन के भीतर ही मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट दे दिया जाना चाहिए।

इस इलाज में ज्यादा समय नही लगता, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी या कॉकटेल एंटीबाडी सामान्य इंट्रावीनस पद्धति से मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती है, जिसमें एक घण्टे का समय लगता है और इसके बाद एक घण्टे तक मरीज को मेडिकल ऑब्जरवेशन में रखा जा सकता है, जिसके बाद मरीज घर जा सकता है।

यह इलाज उनके लिए कारगर है:
- जिनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) 35 के बराबर या उससे अधिक है।
-जो क्रोनिक किडनी रोग, मधुमेह, या किसी प्रतिरक्षादमनकारी मर्ज से पीड़ित हैं।
 - 65 वर्ष से अधिक आयु वाले मरीज।
- 55 वर्ष से अधिक उम्र के और हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या किसी अन्य पुरानी सांस की बीमारी से पीड़ित हैं।

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