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हृदय रोग में आई.वी.यू.एस. तकनीकी देगा सुनिश्चित परिणाम।

आई.वी.यू.एस. के द्वारा निर्देशित कार्यविधियाँ अत्यधिक सटीक और अधिक लागत-हितैषी होती हैं। यह ब्लॉकेज की प्रकृति तथा प्लेक के जमाव को समझने में, इलाज की योजना तथा स्टेंट के आकार पर निर्णय लेने में काफी सहायता प्रदान करता है।

हृदय रोग में आई.वी.यू.एस. तकनीकी देगा सुनिश्चित परिणाम। प्रतीकात्मक

लखनऊ। देश में चिकित्सा प्रौद्योगिकी की प्रगति को देखते हुए, सहारा हॉस्पिटल, लखनऊ के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. गौतम स्वरूप ने देश के हृदय रोगियों से हृदय की देखभाल के लिए आज के समय में देश में उपलब्ध बहुत सारी अत्याधुनिक तकनीकों की माँग करने की सलाह देते हैं। 

चिकित्सा की तकनीकों में हमेशा प्रगति होती रहती है और अब सर्जन ऐसे कार्डिएक प्रोसीजरों की सलाह देते हैं, जो कम आक्रामक और कम दर्दनाक होते हैं और वे हृदय से संबंघित घटनाओं के पुनः होने की संभावनाओं को भी कम कर देते हैं। इसलिए इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आई.वी.यू.एस.) के दिशा-निर्देश के तहत् लगाया गया स्टेंट, अत्यधिक जटिल मामलों में भी समुचित परिणाम सुनिश्चित करता है और इसके परिणामस्वरूप रोगी बेहतर तरीके से ठीक हो जाता है।

आई.वी.यू.एस. का संदर्भ देते हुए डॉ. स्वरूप कहते हैं, “इंट्रावस्कुलर अल्ट्रासाउंड (आई.वी.यू.एस.) हमें कोरोनरी आर्टरी को उसके भीतरी हिस्से की ओर से देखने में सक्षम बनाता है। यह अनूठा दृश्य हमें महत्वपूर्ण नैदानिक जानकारियाँ उपलब्ध कराता है, जो इमेजिंग के हमारे रुटीन तरीकों, जैसे कि कोरोनरी एंजियोग्राफी में संभव नहीं है, जिसे कैथ लैब या नॉन-इन्वेसिव सी.टी. स्कैनों में किया जाता है।“पूरी दुनिया में किए गए अनेक अध्ययनों में भी यह बात सामने आई है कि आई.वी.यू.एस. के द्वारा निर्देशित कार्यविधियाँ अत्यधिक सटीक और अधिक लागत-हितैषी होती हैं। 

आई.वी.यू.एस. की उत्कृष्टता, इसके द्वारा रक्त-वाहिकाओं की सभी परतों के त्रिआयामी विस्तृत इंटरनल इमेजट्रांसमिशन के कारण है, जबकि इसकी तुलना में एंजियोग्राफी केवल बाहरी और द्विआयामी दृश्य ही उपलब्ध कराता है। आई.वी.यू.एस., ब्लॉकेज की पहचान करने, सही आकार के स्टेंट का चयन करने और स्टेंटिंग के उपरांत इसका सही प्लेसमेंट सुनिश्चित करने में हमें सक्षम बनाता है, जिससे रोगी का भविष्य का जोखिम काफी कम हो जाता है।

अत्यधिक रूप से उन्नत यह आई.वी.यू.एस. प्रणाली, अल्ट्रासाउंड तरंगों के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसमें एक कैथेटर होता है, एक छोर पर विशेष प्रोब या कैमरा लगा हुआ एक ट्यूब, जिसमें रियल-टाइम बेसिस पर रक्त-वाहिकाओं के भीतरी आयाम की आकृति का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड के गुण होते हैं। इस ट्यूब का दूसरा सिरा एक मशीन से जुड़ा होता है, जो अल्ट्रासाउंट के मैकेनिज्म के तहत पता लगाई गई आकृतियों को एक मॉनीटर पर प्रदर्शित करता है और इससे सर्जन को पूरा 360 डिग्री का आंतरिक दृश्य दिखाई देने लगता है तथा बहुत अधिक स्पष्टता प्राप्त हो जाती है। हाल के समय में नए जेनरेशन के कैथेटरों का उपयोग प्रारंभ करने के कारण आई.वी.यू.एस. की इमेजिंग में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, जो आर्टरी के और अधिक महीन तथा अच्छी गुणवत्ता वाली इमेजिंग उपलब्ध कराते हैं, जिससे डायग्नोसिस और ईलाज की योजना बनाने में काफी सुधार आया है। 

हृदय में आर्टरी ब्लॉकेजों के ईलाज की तकनीकों में हुई नई प्रगतियों के उपरांत, ड्रग इल्यूटिंग स्टेंटों जैसे उत्पादों का उपयोग करने की सलाह दी जा सकती है, जो हृदय रोगियों के लिए अत्यधिक लाभ पहुँचाने वाले साबित हुए हैं। अत्याधुनिक जेनरेशन का प्लेटिनम क्रोमियम स्टेंट्स, जटिल रोगियों के मामलों में भी पी.सी.आई. के परिणामों को कम करने तथा बेहतर नैदानिक परिणाम उपलब्ध कराने में सहायता प्रदान करता है। थेरेपी के सफल परिणामों के लिए, आई.वी.यू.एस. का उपयोग करके कार्यविधि के परिणामों और और अधिक सीमित किया जा सकता है।

आई.वी.यू.एस. के महत्व को और अधिक विस्तार से बताते हुए डॉ. स्वरूप कहते हैं,“यह क्रॉस-सेक्शन परिदृश्य, ब्लॉकेज की प्रकृति तथा प्लेक के जमाव को समझने में, ईलाज की योजना तथा स्टेंट के आकार पर जानकारी पूर्वक निर्णय लेने में काफी सहायता प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त यह समुचित प्लेसमेंट और कार्यविधि के उपरांत स्टेंट के विस्तार को समझने में काफी सहायता प्रदान करता है, ताकि जटिलताओं और स्टेंट के थ्रोमबोसिस की घटनाओं को रोकने में मदद मिल सके।“

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