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ब्रेन हेमरेज और ब्रेन स्ट्रोक में फर्क समझें और जानिये बचाव के उपाय।

रक्त वाहिकाओं में किसी रुकावट की वजह से दिमाग को खून की सप्लाई में कोई रुकावट आ जाए या सप्लाई बंद हो जाए तो दिमाग की कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है।

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November 24 2021 Updated: November 25 2021 00:26
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ब्रेन हेमरेज और ब्रेन स्ट्रोक में फर्क समझें और जानिये बचाव के उपाय। प्रतीकात्मक

ब्रेन हेमरेज (Brain Hemorrhage) में खून की नली ब्रेन के अंदर या बाहर फट जाती है। अगर अचानक या बहुत तेज सिरदर्द (Headache) हो या उलटी आ जाए, बेहोशी छाने लगे तो हेमरेज की आशंका ज्यादा होती है। ब्रेन हेमरेज से भी पैरालिसिस होता है। इसमें खून का थक्का जम जाता है और इसे हटाने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। 

अगर रक्त वाहिकाओं में किसी रुकावट की वजह से दिमाग को खून की सप्लाई में कोई रुकावट आ जाए या सप्लाई बंद हो जाए तो दिमाग की कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी होने लगती है और कुछ ही मिनटों में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं। इसे स्ट्रोक कहते हैं। ध्यान रखने वाली बात यह है कि स्ट्रोक और हेमरेज, दोनों से पैरालिसिस हो सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
जब भी शरीर के किसी एक भाग में कमजोरी लगने लगे या बोलने में जुबान लड़खड़ाए या बोली बंद हो जाए, देखने में दिक्कत हो या फिर चलने-फिरने में परेशानी हो तो मरीज को फौरन ही ऐसे हॉस्पिटल में लेकर पहुंचना चाहिए जहां ब्रेन स्ट्रोक का इलाज उपलब्ध हो। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इन सभी परेशानियों के उभरने के ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे के भीतर इलाज मिल जाना चाहिए। इससे मरीज के चंगा होने के आसार काफी बढ़ जाते हैं।

किसको खतरा ज्यादा
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को इसका खतरा ज्यादा है। वहीं अगर किसी को शुगर या बीपी की फैमिली हिस्ट्री है तो 40-45 साल की उम्र में जांच के जरिए पता लगाना चाहिए कि उसे शुगर या बीपी का का खतरा है या नहीं। दरअसल, उम्र बढ़ने और शुगर व बीपी होने पर ब्रेन स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। आमतौर पर 55-60 साल की उम्र में खतरा बढ़ना शुरू हो जाता है। हालांकि हमारे देश में युवा मरीज भी काफी हैं।

वैसे तो ब्रेन स्ट्रोक की समस्या कभी भी हो सकती है, लेकिन सर्दियों में यह परेशानी ज्यादा होती है। दरअसल, सर्दी में खून की नसें सिकुड़ जाती हैं जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। कभी-कभी बीपी बढ़ने से दिमाग की नस फट जाती हैं। इसकी 5 खास वजहें हो सकती हैं:

1. एक्सर्साइज में कमी:
सर्दियों में हमारी दिनचर्या बदल जाती है। हम सुबह देर तक सोते हैं और ज्यादा समय तक बेड में पड़े रहते हैं। एक्सरसाइज (excercise) कम करते हैं। टहलना कम होता है। इन वजहों से ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) में इजाफा हो जाता है। स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है।

क्या करें: अगर सुबह में उठने की आदत पहले से है तो उसे जरूर जारी रखें। बीपी की समस्या है, लेकिन कभी एक्सरसाइज या वॉकिंग नहीं करते और बीपी की रीडिंग 140/90 से ऊपर आ रहा है तो टहलना शुरू करने से पहले किसी डॉक्टर से जरूर मिल लें। एक्सरसाइज में एरोबिक्स (Aerobics) सबसे अच्छा है। यह जॉगिंग या डांस के रूप में हो सकता है। आउटडोर गेम्स खेल सकते हैं। वैसे, 60 से ज्यादा उम्र वालों के लिए वॉकिंग या ब्रिस्क वॉक बेहतर है।

2. भूख भी ज्यादा लगती है सर्दी में:
यह भी एक कारण है ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) का। दरअसल, सर्दियों में एक्सरसाइज कम करने और बाहर का तापमान कम होने की वजह से शरीर को खुद को गर्म रखना यानी अपना जरूरी तापमान बनाकर रखना मुश्किल होता है। ऐसे में शरीर अपना तापमान ज्यादा भोजन करने से ही सही रख पाता है क्योंकि खाना पचने से शरीर को एनर्जी और गर्मी मिलती है। यही कारण है कि सर्दी में हमें भूख ज्यादा लगती है। हमें मीठा खाना ज्यादा अच्छा लगता है। इतना ही नहीं इस मौसम में घी और तेल का सेवन भी ज्यादा अच्छा लगता है। इससे हमारा वजन बढ़ जाता है। ज्यादा वजन बीपी बढ़ाने का ही काम करता है। वहीं जिन लोगों को शुगर है, उनके लिए यह वक्त ज्यादा चुनौती भरा होता है। खानपान ज्यादा होने और फिजिकल ऐक्टिविटी (Physical Activity) कम होने से शुगर के पेशंट्स का वजन और साथ में शुगर व बीपी, दोनों बढ़ जाता है।

क्या करें: खानपान पर ज्यादा ध्यान दें। जरूरत से भी कुछ कम खाएं। मीठे में मिठाई की जगह एक या आधा संतरा या फिर सेब ले लें।

3. मोटापा:
शरीर का वजन ज्यादा होना अपने आप में एक परेशानी है। वहीं सर्दियों में अक्सर लोग ज्यादा खाने-पीने लगते हैं जबकि एक्सरसाइज या वॉक कम करते हैं।
क्या करें: शरीर को जितनी जरूरत है उससे भी कम खाएं। वजन को कंट्रोल में रखने की कोशिश करें और धूप निकलने के बाद टहलने की कोशिश करें या घर के अंदर योगासन आदि करें।

4. नशा करना
ऐसे लोग जिन्हें स्मोकिंग (Smoking) की आदत है, वे जाड़ों में खुद को गर्म रखने के बहाने ज्यादा स्मोक करते रहते हैं। तंबाकू का इस्तेमाल भी बढ़ जाता है। कुछ लोग इसी बहाने अल्कोहल का सेवन बढ़ा देते हैं। ये दोनों ही शरीर के लिए बहुत ज्यादा खतरनाक हैं। इससे बीपी में इजाफा हो जाता है।

क्या करें: दोनों आदतें खतरनाक हैं। इसलिए इन्हें फौरन ही छोड़ देनी चाहिए। अगर छोड़ना मुश्किल हो तो इनकी मात्रा जरूर कम कर देनी चाहिए। बढ़ाने का फैसला बिलकुल गलत है।

5. पानी कम पीना
यह समस्या अमूमन सभी के साथ होता है। सर्दियों में हम पानी कम पीते हैं। दरअसल, पानी से शरीर अपने तापमान को मेंटेन रखता है। चूंकि सर्दियों में बाहर का तापमान ऐसे ही कम होता है, इसलिए शरीर को अपना तापमान बनाए रखने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। इसलिए हमें प्यास भी कम लगती है, जबकि शरीर की बाकी जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी की दरकार होती है। चूंकि सर्द मौसम की वजह से पानी हम कम पीते हैं, इसलिए खून गाढ़ा होने लगता है। इससे खून के थक्के जमने की आशंका बढ़ जाती है। नतीजा ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

क्या करें: गर्मी की अपेक्षा पानी की मात्रा ठंड में कुछ कम हो सकती है, लेकिन इसमें ज्यादा कमी करना सही नहीं। मसलन, अगर कोई शख्स गर्मियों में दो से ढाई लीटर पानी पीता है तो उसे सर्दियों में भी इतना ही पानी पीना चाहिए। हद से हद वह इसमें 200 एमएल की कमी कर सकता है। इससे ज्यादा कमी करने से परेशानी होगी। गुनगुना पानी बेहतर विकल्प है। हां, अगर किसी को किडनी या ऐसी दूसरी समस्या है, जिसमें डॉक्टर ने ही कम पानी लेने के लिए कहा है तो डॉक्टर की सलाह ही माननी चाहिए।

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