नयी दिल्ली। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर आज वर्ष 2021 और 2022 के लिये राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार प्रदान किये।
उपस्थितजनों को सम्बोधित करते हुये राष्ट्रपति (President) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में एक अरब से भी अधिक दिव्यांगजन (people with disabilities) हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि विश्व में हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी तरह की दिव्यांगता में है। भारत की दो प्रतिशत से अधिक की आबादी दिव्यांग (Divyangjan) है। इसलिये, यह हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि हम यह सुनिश्चित करें कि दिव्यांगजन सम्मानपूर्वक मुक्त जीवन जी सकें। हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम सुनिश्चित करें कि दिव्यांगजनों को अच्छी शिक्षा मिले, वे अपने घरों व समाज में सुरक्षित रहें, अपना करियर चुनने की आजादी हो और उन्हें रोजगार के समान अवसर मिलें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा (Indian culture and tradition) में, दिव्यांगता को कभी भी ज्ञान तथा उत्कृष्टता प्राप्त करने के मार्ग में अवरोध नहीं समझा गया है। प्रायः देखा गया है कि दिव्यांगजनों में नैसर्गिक रूप से उत्कृष्ट गुण होते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण है, जहां हमारे दिव्यांग भाइयों और बहनों ने अपने अदम्य साहस, प्रतिभा और संकल्प के बल पर अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली उपलब्धियां अर्जित की हैं। यदि उन्हें सही माहौल में पर्याप्त अवसर दिये जायें, तो वे हर क्षेत्र में निखरेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ही हर व्यक्ति के सशक्तिकरण की कुंजी है। इनमें दिव्यांगजन भी शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा में भाषाई अवरोधों को हटाने के लिये प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिये तथा शिक्षा को दिव्यांग बच्चों के लिये अधिक सुगम बनाना चाहिये।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) 2020 में भी दिव्यांग बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के समान अवसर प्राप्त होने के महत्त्व को रेखांकित किया गया है। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुई कि पहली से छठवीं कक्षा के श्रवण-बाधित दिव्यांग बच्चोंके लिये एनसीईआरटी (NCERT) की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय सांकेतिक भाषा में बदला गया है। उन्होंने कहा कि श्रवण-बाधित छात्रों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिये यह महत्त्वपूर्ण पहल है।
राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिये सरकार अनेक कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों में आत्मविश्वास का संचार करना उन्हें अधिकार-सम्पन्न बनाने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है। दिव्यांगजों के पास भी उतनी ही प्रतिभा और क्षमता होती है, जितनी सामान्य लोगों के पास तथा कभी-कभी तो उनसे ज्यादा प्रतिभा होती है। उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिये, जरूरी है कि उनके भीतर आत्मविश्वास का संचार किया जाये।
राष्ट्रपति ने समाज के सभी वर्गों से आग्रह किया कि वे आत्मनिर्भर (self-reliant) बनने तथा जीवन में आगे बढ़ने के लिये दिव्यांगजनों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि हमारे दिव्यांग भाई और बहन मुख्यधारा में शामिल होकर प्रभावशाली योगदान करेंगे। ऐसी स्थिति में हमारा देश प्रगति-पथ पर और तेजी से अग्रसर होगा।
सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) के अधीन दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग हर वर्ष व्यक्तियों, संस्थानों, संगठनों, राज्यों/जिलों आदि को दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के क्षेत्र में किये गये शानदार कामों के लिये राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार देता है।
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