लंदन (भाषा)। शैशवावस्था में श्वसन संबंधी संक्रमण होने पर 26 से 73 साल की आयु के बीच सांस संबंधी किसी बीमारी से मौत का जोखिम बढ़ जाता है। दी लैंसेट (The Lancet) पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अध्ययन के मुताबिक श्वसन संबंधी रोगों से समय-पूर्व मृत्यु (premature death) के कुल मामले कम हैं, लेकिन दो साल की उम्र तक ब्रोंकाइटिस (bronchitis) या निमोनिया (pneumonia) जैसे निचली श्वसन नलिका संक्रमण (LRTI) से ग्रसित होने वाले लोगों के वयस्क होने पर सांस संबंधी बीमारी से समय-पूर्व मृत्यु का खतरा 93 प्रतिशत अधिक होता है, भले ही सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि कैसी भी हो।
अनुसंधानकर्ताओं (Researchers) का कहना है कि सांस की पुरानी बीमारियां (chronic respiratory diseases) सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या हैं और 2017 में दुनियाभर में मृत्यु के सभी मामलों में करीब 39 लाख मौत के मामले श्वसन रोगों से जुड़े थे। इन 39 लाख मामलों में अधिकतर मामले क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (COPD) के थे।
अध्ययन के अनुसार शिशुओं (infants) में एलआरटीआई होने के बाद उन्हें वयस्क अवस्था में फेफड़ों का संक्रमण (infection), दमा (asthma) और सीओपीडी का खतरा होता है। हालांकि, पहले यह स्पष्ट नहीं था कि वयस्क आयु में समय पूर्व मृत्यु का इससे कोई लेना-देना है या नहीं। ताजा अनुसंधान इस विषय पर पहला ऐसा अध्ययन है जिसमें पूरे जीवनकाल में शोध किया गया।
अध्ययन के प्रमुख लेखक और इंपीरियल कॉलेज, लंदन (Imperial College, London) के जेम्स एलिनसन ने कहा, ‘‘वयस्क श्वसन रोगों के लिए मौजूदा एहतियाती उपायों में धूम्रपान जैसे जीवनशैली से जुड़े जोखिम कारकों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।’’
उनका संकेत इस ओर था कि पहली बार इस अध्ययन में जन्म के कुछ महीने बाद से मृत्यु तक सांस संबंधी संक्रमण और रोगों के बीच संबंध का पता लगाने का प्रयास किया गया। अध्ययन में ब्रिटेन के नेशनल सर्वे ऑफ हेल्थ एंड डवलपमेंट (National Survey of Health and Development) के आंकड़ों का अध्ययन किया गया। इनमें 1946 में जन्मे लोगों को शामिल किया गया और 2019 तक उनके स्वास्थ्य और मृत्यु संबंधी रिकॉर्ड (health and death records) की पड़ताल की गयी।
अध्ययन में 3,589 प्रतिभागियों ने भाग लिया जिनमें से 25 प्रतिशत को दो साल की उम्र से पहले एलआरटीआई था। 2019 के अंत तक 19 प्रतिशत प्रतिभागियों की 73 साल की उम्र पूरी होने से पहले मृत्यु हो गयी।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20313
एस. के. राणा March 06 2025 0 20091
एस. के. राणा March 08 2025 0 18870
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 17982
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14319
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 12987
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80130
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84857
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83322
admin January 04 2023 0 84927
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74310
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64102
आयशा खातून December 05 2022 0 117549
लेख विभाग November 15 2022 0 87247
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99624
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85571
लेख विभाग October 23 2022 0 70463
लेख विभाग October 24 2022 0 72125
लेख विभाग October 22 2022 0 79401
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85566
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80351
इस सर्जरी में क्षतिग्रस्त एऑर्टा को बदलना था, तो मरीज के शरीर के खून को 18 डिग्री सेंटीग्रेड तक नीचे
केजीएमयू में कई सरकारी योजनाओं से इलाज कराने वालों का ग्राफ तेज से बढ़ रहा है। महज एक साल में ही यहा
डीएम एस राजलिंगम के पास वीडियो पहुंचा तो उन्होंने जांच के बाद वार्ड ब्वाय, स्वीपर, स्टाफ नर्स समेत छ
जब हम खांसते, छींकते, बातें करते हैं या गाना गाते हैं तो हमारे मुंह से पानी की बहुत छोटी बूंदें (एरो
छह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों के निर्माण कार्य की समीक्षा बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्य स
सिरदर्द, उलटी व चक्कर आने पर मरीज को दी जाने वाली टेबलेट्स सात गुना महंगी बेचने पर ब्रिटेन के प्रतिस
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत पहली बार गर्भवती होने वाली व धात्री महिला को तीन किश्तों में 50
हर दिन बढ़ते डेंगू के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी हैं। ऐसे में मौसम में हो रहे बदलाव
अनियंत्रित डायबिटिक पीड़ित मरीजों को आंख संबंधी बीमारी का खतरा कई गुना अधिक रहता है। चिकित्सा विज्ञा
राज्यव्यापी धरने के तहत पारा मेडिकल छात्रों ने अपने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर भगवान महावीर आयुर्विज्ञ
COMMENTS