लखनऊ। आँखे (Eyes) हमारे शरीर का वो बहुमूल्य अंग है जिससे हम दुनिया को देखते हैं और दुनिया भी हमारी आँखों में झांक कर हमारे मनोभाव पढ़ लेती है। चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए लोग आकर्षक चश्मे का उपयोग तो करते है लेकिन इस दौरान कभी-कभी आँखों की सुंदरता (beauty of the eyes) यानि स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरत जाते है।
हमारी आँखे कैसे सुंदर रहे, स्वस्थ्य रहे, कैसे चश्मों को यूज किया जाए, ज्यादा समय स्क्रीन पर बीत रहा है तो क्या करे और इन गर्मियों के मौसम में आँखों को कैसे सुरक्षित रखें? इन महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब दिए कंसल्टेंट ऑप्टोमेट्रिस्ट (Consultant Optometrist) सरिता सिंह ने। सरिता जी आईलिश विजन सेंटर (Eyelish Vision Center) चलाती है जहां एक छत के नीचे कम्प्लीट आई सॉल्यूशन मिलता है।
हेल्थ जागरण - कहीं से भी खरीदे गए चश्मे आँखों के लिए कितने खतरनाक हो सकते है ?
सरिता सिंह - कहीं से भी खरीदे गए चश्मे की क्वॉलिटी और प्रॉपर टेस्टिंग है की नहीं इसका पता नहीं होता है। रोड साइड से खरीदे गए चश्मे सस्ते जरूर होते हैं लेकिन इनका प्लास्टिक हमारी आँखों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। प्लास्टिक पहनने से यूवी प्रोटेक्शन (UV protection) कैसे होगा, क्लीयर कैसे दिखेगा। प्लास्टिक चश्मे के सारे साइड इफेक्ट्स आपकी आँखों में आएंगे।
हेल्थ जागरण - लोग सस्ता चश्मा बनवाते हैं क्या ऐसे चश्मे सही रहते है ?
सरिता सिंह - बिल्कुल भी नहीं। आँखों का विजन प्रॉपर रखने के लिए अच्छी क्वॉलिटी के ग्लॉस/लेंस (good quality glasses / lenses) जरुरी होते है जो सस्ते नहीं आते हैं।
हेल्थ जागरण - तेज गर्मी और लू चलने के मौसम में आँखों को कैसे सुरक्षित रखें ?
सरिता सिंह - दोपहर में बिना गॉगल्स (Goggles) के बिल्कुल भी निकले। गॉगल्स पोलोराइड और यूवी प्रोटेक्शन से युक्त होने चाहिए। घर पहुंच कर चहरे को धो ले लेकिन छींटे मार कर आँखों को बिल्कुल भी ना धोएं।
हेल्थ जागरण - रोजमर्रा के जीवन और व्यस्त लाइफ स्टाइल (lifestyle) में आँखों को कैसे स्वस्थ्य रखें ?
सरिता सिंह - बच्चों और बड़ों दोनों को विटामिन डी (Vitamin D) की कमी नहीं होने देनी चाहिए। सुबह जल्दी जागे, सूरज के सामने खड़े हो यानि धूप बहुत जरुरी है। खानपान में बैलेंस डाइट लेना भी बहुत जरुरी है।
हेल्थ जागरण - पिछले दो साल कोविड (covid19) के दौरान लोग ऑनलाइन ज्यादा रहें, कम्प्यूटर या मोबाइल पर ज्यादा समय बीता, इसका आँखों पर क्या प्रभाव पड़ा ? निदान भी बताइए।
सरिता सिंह - कोविड के दौरान आँखों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। ज्यादा समय स्क्रीन पर रहने से आँखों के झपकने का अंतराल कम हो जाता है उससे आँखे सूख जाती हैं। डिजिटल आई सिन्ड्रोम हो सकता है। कोविड के बाद चश्में की पॉवर बढ़ने की समस्या भी ज्यादा सामने आ रही है। ज्यादा समय स्क्रीन पर रहना हो तो 20-20-20 एक्सरसाइज जरूर करें। हर 20 मिनट के बाद 20 सेकेण्ड के लिए 20 फिट दूर तक देखें, वैसे स्क्रीन टाइम (screen time) घटाना ही उत्तम उपचार है।
हेल्थ जागरण - आँखों को स्वस्थ्य रखने के लिए कब टेस्टिंग/चेकअप (testing / checkup) करवा लेना चाहिए ?
सरिता सिंह - किसी बड़ी प्रॉब्लम का इंतजार ना करें बल्कि नियमित रूप से आँखों की जाँच (Regular eye check-up) करवाते रहना चाहिए। कुछ बीमारियों के लक्षण सामने से नहीं नज़र आते लेकिन वह विकराल रूप ले सकती है। बच्चों की भी आँखों की नियमित जाँच बहुत जरुरी है। रूटीन आई चेकअप से बहुत सी चीजे डायग्नोस हो जाती है और वार्षिक टेस्टिंग/चेकअप तो बहुत जरुरी है।
यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो कृपया लाइक, शेयर और कमेंट्स के माध्यम से हमें अवश्य बताएं।
एस. के. राणा March 07 2025 0 20979
एस. के. राणा March 06 2025 0 20757
एस. के. राणा March 08 2025 0 19536
हुज़ैफ़ा अबरार March 03 2025 0 18315
यादवेंद्र सिंह February 24 2025 0 14874
हुज़ैफ़ा अबरार March 20 2025 0 13431
सौंदर्या राय May 06 2023 0 80352
सौंदर्या राय March 09 2023 0 84968
सौंदर्या राय March 03 2023 0 83544
admin January 04 2023 0 85149
सौंदर्या राय December 27 2022 0 74421
सौंदर्या राय December 08 2022 0 64213
आयशा खातून December 05 2022 0 117660
लेख विभाग November 15 2022 0 87358
श्वेता सिंह November 10 2022 0 99846
श्वेता सिंह November 07 2022 0 85793
लेख विभाग October 23 2022 0 70685
लेख विभाग October 24 2022 0 72236
लेख विभाग October 22 2022 0 79512
श्वेता सिंह October 15 2022 0 85788
श्वेता सिंह October 16 2022 0 80462
कंपनी का कहना है कि वह जल्द ही मोलनुपिरवीर के क्लीनिकल ट्रायल से सम्बंधित आंकड़े समीक्षा के लिए संयु
सफ़ेद दाग तब होता है, जब मेलानोसाइट्स, त्वचा के रंग के लिए उत्तरदायी कोशिकाएं मर जाती है या प्रक्रिय
चारों अस्पतालों में 2.73 लाख से ज्यादा बच्चे पैदा हुए। सफदरजंग अस्पताल ने बताया कि जनवरी 2015 से सित
पहली बार इस तरह का सर्वे किया गया है, सर्वे में सामने आया कि बच्चों में जल्दी किशोरावस्था तक पहुंचने
डा. बीपी सिंह के अनुसार, ‘‘यदि आपको सीओपीडी है, तो आपको अपने फेफड़ों की रक्षा करने एवं सीओपीडी के लक्
कालाजार से प्रभावित जनपदों के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारियों को इससे सम्बंधित महत्वपूर्ण बिन्द
हेपेटाइटिस के कारण पूरी दुनिया में हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। लगातार गंभीर हो रही
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक बयान में कहा कि डॉक्टरों की एक टीम ने 'पावर स्पाइरल एंटेरो
स्वास्थ्य विभाग 12 अन्य विभागों के साथ दिमागी बुखार व संचारी रोग पर प्रभावी नियंत्रण एवं क्षय उन्मूल
अगले दो हफ्ते चुनौतीपूर्ण, सभी प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन जरूरी। जिस संयम से मनाई ईद, उसी सादगी से हो
COMMENTS