लखनऊ। 13 से 18 जून तक वर्ल्ड एलर्जी सप्ताह मनाया जा रहा था। वर्ल्ड एलर्जी सप्ताह पर रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग एवं यूपी चैप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी द्वारा इंडियन कालेज ऑफ एलर्जी एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी और आईएमए. एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशियलिटीज के तत्वधान में वर्चुवल संगोष्ठी सम्पन्न हुयी। इसमें चेस्ट रोग विशेषज्ञ उपस्थित रहे। संगोष्ठी का विषय भारत के परिपेक्ष में एलर्जी ब्रोन्को पल्मोनरी एस्परजिलोसिस था। संगोष्ठी का आयोजन रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग केजीएमयू के विभागाध्यक्ष डा सूर्यकान्त ने किया।
उन्होने बताया कि एलर्जी ब्रोन्को पल्मोनरी एस्परजिलोसिस मुख्यत: अनियंत्रित अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीजों में पायी जाती है। अनियंत्रित अस्थमा और सिस्टिक फाइब्रोसिस के मरीजों के फेफड़ों में फंगस बस जाते है। ऐसे मरीजों में समय पर इलाज न होने पर बीमारी गम्भीर रूप ले लेता है। जिससे मरीज की स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे मरीजो के इलाज में स्टोराइड का इस्तेमाल महत्वपूर्ण हो जाता है तथा एन्टीफंगल दवाओं का भी इस्तेमाल करना पड़ता है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता पूर्व विभागाध्यक्ष केजीएमयू लखनऊ के डा राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि अनियंत्रित अस्थमा मरीजों के लक्षण को एलर्जी ब्रोन्को पल्मोनरी एस्परजिलोसिस के लक्षण में समानता होने के कारण पहचान पाना कठिन हो जाता है। मरीजों के बढ़ते लक्षण एवं बार-बार अस्थमा का अटैक पडऩा एबीपीए बीमारी होने की संभावनाओं को बढ़ता है। ऐसी स्थिति में मरीजों के लक्षणों को पहचाने के लिए संबन्धित जांचे करना अनिवार्य हो जाता है। जिससे समय पर उचित उपचार मिलने पर फेफड़ो में होने वाली क्षति को कम से कम स्तर पर रोका जा सके।
ज्ञात हो कि रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग अपना 75 वाँ प्लेटिनम जुबली स्थापना दिवस मना रहा है। अत: इस अवसर पर रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में 75 शैक्षणिक एवं सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करने का निश्चय किया है।
यह वर्चुवल संगोष्ठी में रेस्परेटरी मेडिसिन के संकाय सदस्य डा आरएएस कुशवाहा, डा एस के वर्मा, डा राजीव गर्ग, डा सन्तोष कुमार डा अजय कुमार वर्मा, डा दर्शन कुमार बजाज, डा ज्योति बाजपाई व डा अंकित कटियार रेजिडेन्ट डाक्टर्स, नर्सेज, पैरामेडिकल स्टाफ व समस्त कर्मचारीगण उपस्थित रहे। यूपी चैप्टर इण्डियन चेस्ट सोसाइटी के सचिव डा एके सिंह कानपुर भी उपस्थित रहें एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।
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