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एसजीपीजीआई में गलत रेफरल पर्चे आने से बढ़ी मरीजों और डॉक्टर्स की परेशानियां

एसजीपीजीआई में आने वाले रेफरल पर्चों की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है जिसका खामियाजा बहुत से मरीजों को भुगतना पड़ रहा है और साथ ही अन्य डॉक्टर्स भी परेशान हो रहे हैं।

रंजीव ठाकुर
August 10 2022 Updated: August 11 2022 00:48
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एसजीपीजीआई में गलत रेफरल पर्चे आने से बढ़ी मरीजों और डॉक्टर्स की परेशानियां प्रतीकात्मक चित्र

लखनऊ एसजीपीजीआई में आने वाले रेफरल पर्चों की बड़ी लापरवाही सामने रही है जिसका खामियाजा बहुत से मरीजों को भुगतना पड़ रहा है और साथ ही अन्य डॉक्टर्स भी परेशान हो रहे हैं। 

 

एसजीपीजीआई (SGPGI) में रेफरल पर्चे पर स्पष्ट बीमारी विभाग का नाम नहीं लिखे होने से (wrong referral prescription) मरीजों (patients) और डॉक्टर्स (doctors) दोनों को परेशानियां हो रही है। डॉक्टर्स स्क्रीनिंग में बीमारी स्पष्ट होने पर ऐसे पर्चे वाले मरीजों को दूसरे विभाग भेज रहे हैं। पता चला है कि लगभग 100 मरीज गलत रेफरल पर्चे के साथ पहुंच रहे हैं। जिनमें से 80% मरीज सीएचसी (CHC) और जिला अस्पतालों (district hospitals) के होते है।

 

रेफरल (referral patients) पर सही बीमारी विभाग का नाम होने से मरीज एक से दूसरे विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं। एक मरीज को पेट और सीने के पास दर्द और जलन की दिक्कत थी उसे जिला अस्पताल के डॉक्टर ने गैस्ट्रो विभाग (gastro department) में रेफर लिखकर भेज दिया। बाद में पीजीआई (PGI Lucknow) में जाँच होने के बाद उसे कार्डियोलॉजी विभाग (cardiology department) भेजा गया।

 

एक दूसरे मामले में मरीज को पेशाब में जलन और प्रोटीन रही थी। निजी डॉक्टर ने मामला समझ नहीं आने पर मरीज को पीजीआई रेफर (referred to SGPGI) किया, मरीज पहले यूरोलॉजी विभाग (urology department) पहुंचा बाद में उसे नेफ्रोलॉजी विभाग (nephrology department) में रेफर किया गया।

 

डॉ गौरव अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, एसजीपीजीआई (Dr. Gaurav Agrawal, Chief Medical Superintendent, SGPGI) ने कहा कि कई मरीजों के रेफरल पर्चे पर विभाग का नाम नहीं लिखा होता है। रजिस्ट्रेशन काउंटर के कर्मियों को काफी समस्या होती है। कई बार मरीजों के लक्षण बताने के आधार पर पंजीकरण करना पड़ता है। पंजीकरण के लिए मना करने पर कई मरीज और तीमारदार उलझ जाते हैं। रेफरल बनाते समय बीमारी विभाग का नाम स्पष्ट लिखना चाहिए जिससे मरीजों को यहां आने पर तकलीफ हो।

 

रेफरल पर्चे पर सही बीमारी विभाग का नाम होने से मरीज एक से दूसरे विभाग के चक्कर लगाते रहते हैं। कई बार स्क्रीनिंग में बीमारी पकड़ में नहीं आने पर जांच तक करानी पड़ती हैं। इसी में दो से तीन दिन निकल जाते हैं। ऐसे में कई गंभीर मरीजों की हालत बिगड़ जाती है। रेफरल पर सही जानकारी होने से रोजाना मरीज और तीमारदारों की कर्मचारियों से कहासुनी आम बात हो गई। 

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