इस वक्त दिल्ली एनसीआर के ज्यादातर हिस्सों में धुंआं और धूल नजर आ रहा है। जैसे जैसे ठंड बढ़ेगी इस तस्वीर का और खराब होना तय माना जा रहा है। धूल कम करने के सभी तरीके कम पड़ने लगे हैं। सेंट्रल कमेटी फॉर एयर क्वालिटी की नई जानकारी में दिल्ली एनसीआर को लोगों को सावधान रहने के लिए कहा गया है। दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए बने इस कमीशन के मुताबिक राजधानी में प्रदूषण बेहद खराब स्तर पर पहुंच गया है।
वहीं आज हम आपको वायु प्रदूषण (air pollution) से बचने के लिए कुछ योगासन बता रहे हैं जिससे आप सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ने से रोक सकते हैं। योग से नाड़ी शुद्ध (pulse cleanse) हो जाती है और शरीर में जमा खराब चाजें बहार आने लगती हैं। योग और प्राणायाम के जरिए आप वायु प्रदूषण से बच सकते हैं।
वाह्य- External
फेफड़ों को स्वस्थ (Healthy) रखने और वायु प्रदूषण के असर को कम करने के लिए वाह्य प्राणायाम (External pranayama) फायदेमंद है। इसे करने के लिए बैठ जाएं और गहरी सांस लें। अब सांस को रोकते हुए 3 बार में छोड़ें। हवा को निकालने के लिए पेट और डायाफ्राम का इस्तेमाल करें। हां ध्यान रखें कि सांस छोड़ते वक्त आप किसी भी असहज स्थिति में न रहें। अपनी चिन को सीने से छुएं और पेट को पूरी तरह से अंदर करके थोड़ा ऊपर की ओर खींच लें। मुख्य रूप से इसमें फेफड़ों (lungs) में अच्छी तरह हवा भरनी है और फिर इसे 3 बार में छोड़ना है। इससे वायु प्रदूषण के असर को कम किया जा सकता है।
अनुलोम-विलोम- Anulom-Antonym
वायु प्रदूषण से बचने के लिए आप नियमित रूप से योग करें। अनुलोम विलोम करने से सांस संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है। रोजाना 5-7 मिनट अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े (Lungs) मजबूत बनते हैं। इससे नाड़ी शुद्ध होती है। अनुलोम विलोम करने के लिए नाक के दाएं छिद्र से सांस भरें और बाएं छिद्र से बाहर निकाल दें। इसी तरह फिर नाक के बाएं छिद्र से सांस लें और दाएं छिद्र से सांस निकाल दें। इससे बहुत फायदा मिलेगा।
कपालभाति- Kapalbhati
वायु प्रदूषण (air pollution) से शरीर को बचाने के लिए रोजाना कपालभाति करें। इसके लिए पालथी मारकर सीधे बैठ जाएं और पेट के निचले हिस्से को अंदर की तरफ खींचे और नाक से तेजी से सांस छोड़ें। आपको ऐसा तब तक करना है जब तक थकान (fatigue) न लगने लगे। इससे शरीर में ऑक्सीजन (oxygen) की मात्रा बढ़ती है। कपालभाति करने से मन शांत होता है। इससे सांस धीमी और शरीर स्थिर होने लगता है। ब्लड प्यूरीफाई करने के लिए भी कपालभाति अच्छा प्राणायाम (Pranayama)है।
भस्त्रिका- Bhastrika
फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम (Bhasrika Pranayama) फायदेमंद है। इसे करने से पेट की चर्बी (belly fat) कम होती है। भस्त्रिका आपको तेजी से करना होता है। इससे भूख बढ़ती है और नाड़ी प्रवाह को शुद्ध बनाने में मदद मिलती है। भस्त्रिका करने से श्वास की समस्याएं दूर हो जाती हैं। वायु प्रदूषण के असर को कम करने के लिए आपको रोजाना थोड़ी देर भस्त्रिका प्राणायाम करना चाहिए।
EDITED BY AART TEWARI
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