मौसम बदल रहा है हैं। सांस की परेशानियां बॉडी में घर करने लगी हैं। कुछ लोग इतने एलर्जिक होते हैं कि उन्हें धूल, धुएं या फिर किसी भी चीज से एलर्जी हो सकती है। यह एलर्जी स्किन के अलावा सांस की भी हो सकती हैं। सांस की बीमारियों से निपटने के लिए समय रहते अवेयर होने की जरूरत है हैं। यदि परेशानी अधिक बढ़ जाए तो सांस का अटैक जान पर भारी पड़ सकता है। इस बदलते मौसम में होने वाली सांस की बीमारियों पर आज हम बात करते हैं ।
कोरोना (Corona)
पिछले दो साल कोरोना के रहे हैं. कोविड ने इम्यून सिस्टम कमजोर वाले लोगों के फेफड़ों पर अटैक कर उन्हें बीमार बनाया। जिनके फेफड़े वायरस की मार नहीं झेल पाए। उनकी डेथ तक हो गई। यह वायरस फेफड़ों में पहुंचकर कोष्ठ बना लेता है। इनमें पानी भर जाता है। धीरे धीरे प्रभावित फेफड़ें रिकवर नहीं हो पाते और काम करना बंदकर देते हैं। इससे मरीज की मौत तक हो जाती है। हालांकि काफी रिकवर भी हो जाते हैं।
न्यूमोनिया (Pneumonia)
यह भी एक तरह का इन्फेक्शन है। इसमें फेफड़ों में पानी या अन्य तरल पदार्थ भर जाता है। मरीज की नाक से पानी बहता रहता है। सांस नली में गंभीर सूजन आ जाती है। इस बीमारी में फेफड़ों की काम करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है। वायरल, बैक्टीरिया, फंगस समेत अन्य वजह से निमोनिया हो सकता है। समय पर इलाज न मिलने पर व्यक्ति की जान तक जा सकती है।
अस्थमा (Asthma)
इस कंडीशन में भी श्वसनमार्ग में सूजन आ जाती है। किसी विशेष एलर्जी के कारण यह मार्ग बहुत छोटा हो जाता है। इसलिए रोगी चाहकर भी सांस नहीं ले पाता। बॉडी में प्रॉपर ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए फेफड़ों को हवा की जरूरत होती है। इसी वजह से मरीज बॉडी को जरूरी ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए मुंह से तेज सांस खींचने लगता है। एक बार यह बीमारी होने पर इसका पूरी तरह से ठीक होना मुश्किल है। समय पर ध्यान देने पर इस बीमारी पर कापफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव डल्मोनरी डिजीज (COPD)
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव डल्मोनरी इसमें लंग्स में सूजन आ जाती है। सूजन आ जाने के कारण फेफड़े प्रॉपर काम नहीं कर पाते हैं। व्यक्ति सांस नहीं ले पाता है। इसमें खांसी, सांस लेने में दिक्कत और घरघराहट जैसी आवाज आ सकती हैं। स्मोकिंग करने वाले लोग इस बीमारी की चपेट में अधिक आते हैं।
ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
ब्रोंकाइटिस सांस नली में होने वाली सूजन होती है। सांस की नली से फेफड़ों तक वायु ले जाने वाली नलियों को श्वसनी कहा जाता है। कई बार श्वसनी की इन दीवारों में इंफेक्शन होने के कारण सूजन आ जाती है। इससे यह कमजोर होकर गुब्बारे जैसी हो जाती हैं. समय से इलाज न होने पर अस्थमा समेत सांस की अन्य बीमारियां हो जाती हैं।
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