देश का पहला हिंदी हेल्थ न्यूज़ पोर्टल

उत्तर प्रदेश

द अशोका फाउंडेशन प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस के रोकथाम हेतु सक्रिय है।

स्क्रीन टाइम (मोबाइल के सामने बीतने वाला वक्त) बढ़ने से आंखों की समस्याओं में वृद्धि हुई है और इसलिए नियमित जांच के जरिये से आपकी आंखों की देखभाल अब और जरूरी हो गई है।

0 20319
द अशोका फाउंडेशन प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस के रोकथाम हेतु सक्रिय है। डॉक्टर प्रत्युष रंजन

लखनऊ। प्रतिष्ठित नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रत्युष रंजन ने आंखों के बेहतर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और समाज से प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस यानी ऐसे अंधेपन की समस्या को खत्म करने का लक्ष्य रखा है, जिनकी रोकथाम संभव है। डॉ. रंजन सर्जरी के बाद यह सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति बिना चश्मे के आसानी से जीवन बिता सके।

डॉ. रंजन द अशोका फाउंडेशन एनजीओ के माध्यम से आई केयर को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए प्रयासरतहैं। फाउंडेशन का उद्देश्य आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और समाज से प्रिवेंटेबल ब्लाइंडनेस को खत्म करना है। डॉ. रंजन ने नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उस दौरान उन्होंने यूपी और बिहार के ऐसे कई गरीब मरीजों को देखा जो पैसे की कमी के कारण साधारण मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के लिए कई रातें फर्श पर बिता देते थे। डॉ. रंजन ने गरीब लोगों को यथासंभव निशुल्क नेत्र उपचार उपलब्ध कराने के विचार से इस फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2010 किया। उन्होंने अमेरिका के एनजीओ विटामिन एंगल के साथ भी काम किया है, जो आंखों से संबंधित विभिन्न समस्याओं से पीड़ित बच्चों को मुफ्त विटामिन ए कैप्सूल प्रदान करता है।

इस अवसर पर डॉ. प्रत्युष रंजन, एमबीबीएस, डीओ एमएस, डीएनबी, एमएएमएस कंसल्टेंट नेत्र रोग विशेषज्ञ, मोतियाबिंद, रिफ्रेक्टिव और ग्लूकोमा विशेषज्ञ ने कहा, “पिछले एक साल में हम सभी ने महसूस किया है कि मानव जाति के लिए अच्छा स्वास्थ्य कितना मूल्यवान है और आपकी आंखें आपके स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए स्क्रीन टाइम (मोबाइल के सामने बीतने वाला वक्त) बढ़ने से आंखों की समस्याओं में वृद्धि हुई है और इसलिए नियमित जांच के जरिये से आपकी आंखों की देखभाल अब और जरूरी हो गई है। जितनी बार आपके डॉक्टर सलाह दें या जब भी आपको आंखों से देखने में कोई भी दिक्कत महसूस हो, आपको आंखों की स्वास्थ्य जांच करा लेनी चाहिए। इससे आपकी आंखें स्वस्थ रहेंगी। 

उन्होंने आगे कहा, "आधुनिकतम रिफ्रेक्टिव लेजर करेक्शन जैसे बहुत सारे विकास कार्य आंखों की देखभाल के क्षेत्र में हो रहे हैं, जिनकी मदद से बहुत ज्यादा पावर वाली आंखों का भी इलाज किया जा सकता है। ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जो लोगों को स्थायी रूप से अंधा बना रही है। द साइलेंट थीफ ऑफ साइट कही जाने वाली यह बीमारी 40 साल की उम्र से शुरू होती है और आपको अंधा बना सकती है। यह आनुवंशिक बीमारी भी है। अगर आपके माता-पिता और निकट संबंधियों में कोई इससे प्रभावित हो, तो खतरा 7 गुना बढ़ जाता है। इसलिए 40 साल की उम्र में आंखों की व्यापक जांच की जानी चाहिए, जिससे आपकी नजर को ग्लूकोमा से बचाया जा सके। आपकी दृष्टि को बचाने के लिए 4 साल, 40 साल और 60 साल की उम्र में एक व्यापक नेत्र जांच और इसके बाद हर साल जांच की सलाह दी जाती है।''

एक नेत्र रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. रंजन ने पिछले 10 वर्षों में  35500 से ज्यादा मोतियाबिंद और रिफ्रेक्टिव, 1000 से ज्यादा ग्लूकोमा, 1000 से ज्यादा  रेटिनल लेजर और इंजेक्शन एवं 1000 से ज्यादा ओक्युलोप्लास्टी सर्जरी के सफल इलाज किया है। वे एक लेखक और वक्ता भी हैं। उन्होंने महत्वपूर्ण जर्नल्स में पैंतीस से अधिक लेख भी लिखे हैं। विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में वह अतिथि वक्ता और प्रशिक्षक के रूप में आमंत्रित किये जाते रहें हैं।

उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के न्यूकैसल स्थित फ्रीमैन अस्पताल, नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) व वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल तथा उत्तर प्रदेश के सीतापुर स्थित रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑफ्थेल्मोलॉजी एंड सीतापुर आई हॉस्पिटल जैसे प्रमुख अस्पतालों के साथ काम किया है। वह वर्तमान में मोतियाबिंद, रिफ्रेक्टिव और ग्लूकोमा विशेषज्ञ के रूप में एएसजी सुपरस्पेशलिटी आई हॉस्पिटल के वाराणसी केंद्र का नेतृत्व कर रहे हैं। एएसजी आई हॉस्पिटल्स पूरे भारत में 34 शाखाओं और कंपाला (युगांडा) और काठमांडू (नेपाल) में नेत्र अस्पतालों की अग्रणी श्रृंखला है।  

WHAT'S YOUR REACTION?

  • 1
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

RELATED POSTS

COMMENTS

उत्तर प्रदेश

राजकीय नर्सेज संघ ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण को 7 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।

हुज़ैफ़ा अबरार December 11 2021 33824

महानिदेशक ने मांग पत्र पर गौर करते हुए, बीएससी नर्सिंग पोस्ट बेसिक प्रशिक्षण हेतु चिकित्सा विभाग की

राष्ट्रीय

जानलेवा हो सकता है स्ट्रोक, गोल्डन ऑवर में चिकित्सीय सहायता बचा सकती है जान।

हुज़ैफ़ा अबरार February 06 2021 22652

'मौतों की 12 वीं सबसे बड़ी वजह रहे स्ट्रोक्स के मामले बढ़ने के बाद अब ये भारत में मौतों की पांचवीं स

उत्तर प्रदेश

सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर होगा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान

हुज़ैफ़ा अबरार June 17 2022 26021

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. आर. के. चौधरी का कहना है कि अब ग्रामीण क्षे

उत्तर प्रदेश

कानपुर के जेके कैंसर संस्थान में ओरल कैंसर के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी

श्वेता सिंह September 20 2022 23261

चिंताजनक बात है कि अब मुख कैंसर की चपेट में युवा तेजी से आ रहे हैं। जेके कैंसर संस्थान में तीन वर्ष

राष्ट्रीय

कोविड-19: देश में फिर से बढ़ा संक्रमण। 

एस. के. राणा July 25 2021 35374

देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़ कर 4,08,977 हो गई है जो कुल मामलों का 1.34 प्रतिश

उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री ने टीम-9 के साथ बैठक कर कोरोना संक्रमण के स्थिति की समीक्षा की 

रंजीव ठाकुर May 17 2022 24785

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ट्रैक, टेस्ट, ट्रीट और टीकाकरण की नीति के सफल क्रियान्वयन से कोविड

अंतर्राष्ट्रीय

चीनी लैब में कोरोना की उत्पत्ति पर डब्ल्यूएचओ ने दिया बयान

हे.जा.स. March 05 2023 22003

एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत कहा कि अमेरिकी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्

उत्तर प्रदेश

गीता परिवार ने बच्चों के लिए योग शिविऱों का आयोजन किया

रंजीव ठाकुर June 11 2022 28893

योग से ही स्मरण शक्ति, बौद्धिक व मानसिक क्षमताओं का विकास किया जा सकता है। योग की क्रियाओं के द्वारा

राष्ट्रीय

बदले जाएंगे देश के सभी 23 एम्स के नाम

श्वेता सिंह August 22 2022 28579

अभी तक देश के लगभग सभी एम्स अपने सामान्य नाम से जाने जाते थे लेकिन अब जल्द ही देशभर के 23 अखिल भारती

राष्ट्रीय

देश में कोविड-19 संक्रमण घटा, नहीं मिली मौतों से निजात।  

एस. के. राणा May 20 2021 26387

एक दिन में कोविड-19 के 2,67,334 नए मामले सामने आने के बाद देश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 2,54,96

Login Panel