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कोविड-19: फाइजर की नई दवा के जैनेरिक उत्पादन के लिये संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था से समझौता

संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैश्विक स्वास्थ्य पहल और औषधि निर्माता कम्पनी ‘फ़ाइज़र’ में एक स्वैच्छिक लाइसेंस समझौता हुआ है।

हे.जा.स.
November 17 2021 Updated: November 18 2021 00:30
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कोविड-19: फाइजर की नई दवा के जैनेरिक उत्पादन के लिये संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था से समझौता प्रतीकात्मक

जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैश्विक स्वास्थ्य पहल (Unitaid) और औषधि निर्माता कम्पनी ‘फ़ाइज़र’ में एक स्वैच्छिक लाइसेंस समझौता हुआ है जिसके बाद, कोविड-19 के उपचार में ‘सहायक’ एक नई दवा की उपलब्धता, निम्न व मध्य-आय वाले देशों में बढ़ाने में मदद मिलने की उम्मीद जताई गई है।

फ़ाइज़र द्वारा तैयार और मौखिक रूप से दी जाने वाली एण्टीवायरल ‘PF-07321332’ के ज़रिये, कोरोनावायरस ‘SARS-CoV-2-3CL’ प्रोटीज़ (protease) नामक एंजाइम की गतिविधि पर रोक लगाने में सफलता मिलती है। कोरोना वायरस इस ऐन्ज़ाइम की संख्या तेज़ी से बढ़ाता है, जिसे दवा के ज़रिये रोका जा सकता। इस दवा को रिटोनेविर (ritonavir) की कम ख़ुराक के साथ दिया जाता है, जोकि एचआईवी और हेपेटाइटिस सी के इलाज में इस्तेमाल की जाती है।

इस समझौते की मदद से, यूएन समर्थित ‘Medicines Patent Pool (MPP)’ के लिये, दुनिया भर में अहर्ता-प्राप्त जैनेरिक दवा कम्पनियों को उप-लाइसेंस दे पाना सम्भव होगा, ताकि ‘PF-07321332’ का उत्पादन व वितरण किया जा सके। इस क्रम में, पहले नियामक स्वास्थ्य प्रशासन की स्वीकृति मिलना अहम होगा।

Unitaid ने इसे एक अहम पहला क़दम बताया है, जिससे कोविड-19 का मुक़ाबला करने में सहायक नवीनतम औज़ार, धनी देशों के साथ-साथ, निम्न व मध्य-आय वाले देशों में भी उसी समय उपलब्ध करा पाने सम्भव होगे।

घातकता में कमी लाने में सहायक 
PF-07321332 को रिटोनेविर (ritonavir) के साथ इस्तेमाल किया जाता है, ताकि यह कोविड-19 से लड़ने में के लिये, लम्बी अवधि तक शरीर में सक्रिय रह सके।

दवाओं के इस मिश्रण के ज़रिये, अस्पताल में भर्ती होने या मौत होने के जोखिम में, लगभग 90 फ़ीसदी तक की कमी लाना सम्भव हुआ है। अस्पतालों में भर्ती ना किये जाने वाले, मगर उच्च-जोखिम वाले कोविड-19 संक्रमितों पर आधारित, दूसरे चरण के परीक्षण के अन्तरिम विश्लेषण के आधार पर यह निष्कर्ष सामने आया है।

समझौते के तहत, जैनेरिक दवा बनाने वाले जिन अहर्ता-प्राप्त विनिर्मताओं को उप-लाइसेंस दिया जाएगा, वे 95 देशों में PF-07321332 के साथ-साथ रिटोनेविर कीआपूर्ति करने में सक्षम होंगे। इसके ज़रिये वैश्विक आबादी के 53 फ़ीसदी आबादी तक पहुँच सम्भव हो सकेगी। इनमें, सब-सहारा अफ़्रीका के सभी निम्न और मध्य-आय वाले देशों के अलावा, वे देश भी शामिल हैं, जिन्होंने पिछले पाँच वर्षों में ऊपरी मध्य आय दर्जा हासिल किया है। बताया गया है कि निम्न आय वाले देशों में ब्रिकी होने पर, फ़ाइज़र कम्पनी को अधिशुल्क (royalty) प्राप्त नहीं होगा।

इसके अलावा, कम्पनी ने समझौते के अन्तर्गत आने वाले सभी देशों में बिक्री पर रॉयल्टी में तब तक छूट देने की बात कही है, जब तक यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कोविड-19 को, अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति के रूप में परिभाषित किया हुआ है।

समय और जीवन की रक्षा
Unitaid की मेज़बानी यूएन स्वास्थ्य एजेंसी - WHO के पास है, और इसके ज़रिये बड़ी बीमारियों का मुक़ाबला करने में सहायक नवाचारी, कम क़ीमत वाले और कारगर समाधानों के लिये वित्तीय समर्थन सुनिश्चित किया जाता है।

यूनिटएड ने वर्ष 2010 में, पेटेण्ट पूल MPP स्थापित किया था, ताकि निम्न व मध्य-आय वाले देशों में जीवनरक्षक दवाएँ विकसित करने के साथ-साथ उनकी सुलभता भी बढ़ाई जा सके। इसके बाद से ही, एचआईवी, हेपेटाइटिस सी, टीबी और अब कोविड-19 महामारी के उपचार के लिये, दवाओं व टैक्नॉलॉजी पर पेटेण्ट धारकों के साथ समझौत किये गए हैं।

विश्व भर में, कोविड-19 महामारी के अब तक 25 करोड़ से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है, और लगभग 51 लाख लोगों की मौत हुई है। Unitaid, कोविड-19 का मुक़ाबला करने के लिये वैक्सीन व उपचार के त्वरित विकास के लिये, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की Access to COVID-19 Tools (ACT) Accelerator पहल का भी हिस्सा है। ‘एसीटी ऐक्सीलरेटर’ के अन्तर्गत, कोवैक्स पहल की मदद से अब तक कोरोनावायरस वैक्सीन की करोड़ों ख़ुराकें वितरित की गई हैं।

यूएन एजेंसी ने कोविड-19 का कारगर मुक़ाबला करने के लिये, नए उपचार न्यायसंगत व त्वरित ढंग से उपलब्ध कराए जाने की हिमायत की है। नियामक प्रशासन द्वारा नई दवा को स्वीकृति मिलने के साथ ही, इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये, जैनेरिक दवा बनाने वाली कम्पनियों को उत्पादों की आपूर्ति करने के लिये तैयार रहना होगा, ताकि ऊँची मांग को पूरा किया जा सके।

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