लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डा. सूर्यकान्त ने एक बार फिर विश्वविद्यालय के साथ ही देश और प्रदेश का मान बढ़ाया है।
उन्हें एशियन पेसिफिक सोसाइटी ऑफ रेस्पिरोलोजी के फेलोशिप के लिए चुना गया है। इस फेलोशिप के लिए चुना जाना एक बड़ी उपलब्धि है। एशियन पेसिफिक सोसाइटी ऑफ रेस्पिरोलोजी मुख्यतः एशिया तथा पेसिफिक क्षेत्र और दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र में शोध, शिक्षा एवं चिकित्सा में सुधार करने के लिए समर्पित संस्था है। अपने अब तक के इतिहास में संस्थान ने चिकित्सा और स्वास्थ्य सम्बन्धी विभिन्न मामलों में लगातार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सलाह एवं सुझाव दिए हैं।
रेस्परेटरी मेडिसिन के क्षेत्र में डा. सूर्यकान्त की विशेषज्ञता व सार्वजानिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में ईमानदार प्रयासों का आकलन करने के बाद ही एशियन पेसिफिक सोसाइटी ऑफ रेस्पिरोलोजी फेलोशिप के लिए चुना गया है। इसके माध्यम से वह अपने चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र के ज्ञान को गरीब व कमजोर वर्ग के मरीजों के बीच सुलभ कराने के लिए इस संस्था के माध्यम से सदैव प्रयासरत रहेंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति, लेफ्टिनेंट जनरल (डॅा.) बिपिन पुरी एवं चिकित्सकों ने इस पर खुशी जताते हुए इसे एक बड़ी उपलब्धि बताया है।
डा. सूर्यकान्त को इसके पूर्व भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप से सम्मानित किया जा चुका है, जैसे- अमेरिकन कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन, इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ एनवायरमेंटल बोटनिस्ट, नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (इण्डिया), रॉयल कालेज ऑफ फिजिशियन (ग्लासगो) आदि। इसके अलावा करीब 137 पुरस्कारों से भी वह सम्मानित हो चुके हैं । इसमें उत्तर प्रदेश सरकार का विज्ञान क्षेत्र का सर्वोच्च राज्य पुरस्कार विज्ञान गौरव भी शामिल है।
इसके साथ ही डा. सूर्य कान्त देश की रेस्परेटरी मेडिसिन से सम्बंधित तीन राष्ट्रीय संस्थाओं इन्डियन कालेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा और एप्लायड इम्युनोलॉजी, नेशनल कालेज ऑफ चेस्ट फिजिशियंस व इन्डियन चेस्ट सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं । इसके साथ ही डा. सूर्य कान्त इन्डियन साइंस कांग्रेस के चिकित्सा विभाग के प्रभाग के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं । इसके साथ ही वह चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एम्स पटना की गवर्निग बॅाडी के नामित सदस्य हैं। ज्ञात हो कि डा. सूर्य कान्त का चिकित्सा, विज्ञान एवं अनुसन्धान और विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान है। उनके नाम 689 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक शोधपत्र और 16 चिकित्सा पुस्तकें हैं।
इसके साथ ही उनके नाम दो अमेरिकी पेटेंट भी दर्ज हैं। वह 10 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के सम्पादकीय बोर्ड के सदस्य और 20 पत्रिकाओं के समीक्षक हैं। वह नेशनल हेल्थ मिशन के कोविड वैक्सीनेशन के ब्रांड एम्बेसडर भी हैं । डा. सूर्य कान्त कोरोना के उपचार में प्रयोग होने वाली आईवरमेक्टिन दवा पर श्वेत पत्र प्रकाशित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति पा चुके हैं। उनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कोरोना का सरल एवं सुगम उपचार भी प्रदेश एवं देश के कई इलाकों में ग्रामीण जनता के लिए वरदान साबित हुआ है।
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