दुनिया के कई देशों में इन दिनों कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। ज्यादातर देशों में कोरोना के ओमिक्रॉन और इसके सब-वैरिएंट्स के ही मामले रिपोर्ट किए गए हैं। इससे सबसे ज़्यादा चीन प्रभावित हुआ है। चीन में संक्रमण के मामलों के साथ मृतकों की संख्या भी बढ़ी है। अमेरिका में संक्रमण के कारण अस्पतालों में मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है।
अध्ययनकर्ताओं (researchers) ने पाया है कि ओमिक्रॉन (Omicron) के ज्यादातर वैरिएंट्स की संक्रामकता दर भले ही अधिक हो, पर इसकी प्रकृति हल्के लक्षणों वाली ही है। यानी कि ओमिक्रॉन वैरिएंट्स (Omicron variants) से संक्रमण की स्थिति में गंभीर लक्षणों का जोखिम कम हो सकता है। इस तरह के खतरे सिर्फ उन लोगों में देखे जा रहे हैं जो या तो कोमोरबिडिटी (comorbidity) के शिकार हैं या फिर वैक्सीनेशन नहीं हुआ है।
शोधकर्ताओं ने बताया, ओमिक्रॉन वैरिएंट्स से संक्रामकता की स्थिति में गंभीर रोग (severe disease) का खतरा कम है लेकिन संक्रमितों में लॉन्ग कोविड (long covid) या पोस्ट कोविड (post covid) समस्याओं का खतरा हो सकता है? आइए जानते हैं कि इस बारे में अध्ययनों से क्या पता चला है?
क्या है लॉन्ग कोविड - What is Long Covid?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 संक्रमण से रिकवरी के बाद भी कुछ लोगों में लंबे समय तक कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखी जा रही हैं, इसे लॉन्ग या पोस्ट कोविड सिंड्रोम (post covid syndrome) के तौर पर जाना जाता है। विशेषतौर पर कोरोना के डेल्टा वैरिएंट (delta variant) से संक्रमण के बाद लॉन्ग कोविड के मामले अधिक देखे गए थे, जिसमें संक्रमण से ठीक होने के एक साल बाद तक लोगों में थकान-कमजोरी (fatigue-weakness), सांस की समस्या (respiratory problems) आदि बनी हुई थी। डेल्टा वैरिएंट अधिक गंभीर रोग का कारण बन रहे थे, इसकी तुलना में ओमिक्रॉन से संक्रमण में गंभीरता को जोखिम काफी कम है। तो क्या इससे संक्रमित भी लॉन्ग कोविड के शिकार हो सकते हैं?
लॉन्ग कोविड का जोखिम - Risk of long covid
कई स्तर पर किए गए इस अध्ययन के परिणाम में शोधकर्ताओं ने पाया कि ओमिक्रॉन संक्रमण वाले व्यक्तियों में भी डेल्टा संक्रमितों की तरह ही लॉन्ग कोविड का जोखिम हो सकता है। पोस्ट कोविड की समस्याओं में थकान, सांस की तकलीफ, खांसी (cough), चिंता (anxiety), अवसाद (depression) और दिल की धड़कन की अनियमितता शामिल हैं। लॉन्ग कोविड की समस्याओं का जोखिम 14 दिन से लेकर 126 दिन तक हो सकता है। हालांकि, ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमितों ने डेल्टा संक्रमण वालों की तुलना में 90 दिनों के बाद लॉन्ग कोविड जटिलताओं की कम शिकायत की।
वैक्सीनेशन का लॉन्ग कोविड पर असर - Effect of vaccination on long covid
क्या वैक्सीनेशन वाले लोगों में भी लॉन्ग कोविड का खतरा रहता है? इस बारे में जानने के लिए साल 2021 के अंत में यूके के एक अध्ययन से पता चला है कि टीकाकरण इस तरह के खतरे को कम कर सकता है। शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है, उनमें अन्य लोगों की तुलना में पोस्ट कोविड समस्याओं का जोखिम 40 फीसदी तक कम पाया गया। बूस्टर डोज वालों में जोखिम और कम पाया गया है।
शोधकर्ताओं का निष्कर्ष - Researchers' conclusion
लॉन्ग कोविड को जानने के लिए किए गए शोध के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों (scientists) का कहना है कि ओमिक्रॉन भले ही हल्के लक्षणों वाला वैरिएंट है, पर इसके कारण भी शरीर के कई अंगों पर गंभीर असर देखा गया है। संक्रमण से ठीक होने वालों में लॉन्ग कोविड की समस्या का खतरा हो सकता है, पर डेल्टा वैरिएंट्स की तुलना में इसकी गंभीरता कम देखी जा रही है। लॉन्ग कोविड में ज्यादातर लोगों ने थकान, कमजोरी, हार्ट रेट और सांस फूलने की समस्याओं के बारे में सूचित किया है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 62814
सौंदर्या राय March 09 2023 0 72869
सौंदर्या राय March 03 2023 0 71001
admin January 04 2023 0 69942
सौंदर्या राय December 27 2022 0 57993
सौंदर्या राय December 08 2022 0 48895
आयशा खातून December 05 2022 0 103008
लेख विभाग November 15 2022 0 72373
श्वेता सिंह November 10 2022 0 77313
श्वेता सिंह November 07 2022 0 69254
लेख विभाग October 23 2022 0 56477
लेख विभाग October 24 2022 0 54920
लेख विभाग October 22 2022 0 63750
श्वेता सिंह October 15 2022 0 68472
श्वेता सिंह October 16 2022 0 67475
COMMENTS