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क्यों पड़ती है सिजेरियन डिलीवरी की ज़रुरत 

अस्पताल छोड़ने से पहले मरीज़ और उनके परिजनों को डॉक्टर से, आहार-विहार, क्या करें क्या ना करें, स्वास्थ्य देखभाल, नवजात के टीकाकरण तथा उसके स्वास्थ्य और रक्षा की पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए। डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।

लेख विभाग
April 30 2022 Updated: April 30 2022 20:13
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क्यों पड़ती है सिजेरियन डिलीवरी की ज़रुरत  प्रतीकात्मक चित्र

सिजेरियन डिलीवरी को सी-सेक्शन डिलीवरी भी कहतें हैं। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें गर्भवती के स्त्री के पेट और गर्भाशय में चीरे लगाकर, गर्भस्थ शिशु के पैदा होने की प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। नॉर्मल डिलीवरी में शिशु के जन्म की प्रक्रिया योनिमार्ग द्वारा करायी जाती है। सिजेरियन डिलीवरी में नॉर्मल डिलीवरी की तुलना में ज्यादा जटिलताएं होती हैं। इसका भविष्य की गर्भावस्थाओं पर भी असर पड़ता है।

सिजेरियन डिलीवरी के कुछ कारण - Some reasons for cesarean delivery

  • प्रसव की प्रक्रिया रुकी हुई हो
  • समय से पहले प्रसव की स्थिति आ गयी हो
  • शिशु के सामान्य विकास संबंधी कोई समस्या हो
  • गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कन असामान्य हो
  • गर्भाशय में शिशु की स्थिति सामान्य नहीं हो
  • शिशु के गले में गर्भ नाल फंस गया हो
  • गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे हों
  • पिछले प्रसव सी-सेक्शन द्वारा किया गया हो

सिजेरियन डिलीवरी के जोखिम - Risk of caesarean delivery

गर्भवती स्त्री को जोखिम - Risk to pregnant woman

  • संक्रमण
  • रक्त के थक्के
  • घाव संक्रमण
  • सर्जिकल चोट
  • प्रसवोत्तर रक्तस्राव
  • एनेस्थीसिया का प्रतिकूल प्रभाव
  • भविष्य की गर्भावस्था के दौरान जोखिम में वृद्धि

गर्भस्थ शिशु को जोखिम  - Risk to the fetus

  • साँस लेने में तकलीफ
  • सर्जिकल चोट

सीज़ेरियन सेक्शन के प्रकार - Types of caesarean section

सीज़ेरियन सेक्शन (CS) के कई प्रकार हैं। इसका निर्धारण त्वचा और गर्भाशय पर लगाए जाने वाले चीरे के आधार पर किया जाता है।

प्राचीन सीज़ेरियन सेक्शन - Classical Caesarean section

मध्यरेखीय लंबवत चीरा (vertical incision) लगाया जाता है, जिसमें शिशु के जन्म के लिए बड़े स्थान की आवश्यकता होती है। हालांकि इसका प्रयोग अब काफी कम होता है, क्योंकि इससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना रहती है।

निम्न गर्भाशयी खंड परिच्छेद - Lower uterine segment section

ऐसी विधि आजकल सर्वाधिक प्रयोग में आने वाली विधि है; इसमें ब्लैडर के किनारे के ऊपर एक अनुप्रस्थ (transverse) काट लगाई जाती है जिससे कम रक्तस्राव होता है तथा उसकी मरम्मत आसान होती है।

आपातकालीन सीज़ेरियन सेक्शन - Emergency Caesarean section

एक ऐसी सीज़ेरियन विधि है जो प्रसवपीड़ा आरंभ होने के बाद संपन्न की जाती है।

क्रैश सीज़ेरियन सेक्शन - Crash Caesarean section

सीज़ेरियन की ऐसी विधि है, जो प्रासविक आपातकाल में (obstetric emergency) संपन्न की जाती है, जहां गर्भावस्था की समस्याएं प्रसव पीड़ा के दौरान अचानक उत्पन्न होती हैं, तथा मां, शिशु/शिशुओं अथवा दोनों को मृत्यु से बचाने के लिए एक त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता होती है।

सीज़ेरियन हिस्टेरेक्टोमी - Caesarean hysterctomy

इसमें गर्भाशय (uterus) को हटाने के बाद सीज़ेरियन परिच्छेद (Caesarean section) किया जाता है। दुःसाध्य रक्तस्राव (excess bleeding) की स्थिति में या जब गर्भाशय से गर्भनाल (umbilical cord) अलग किया जा सकता है, तब इसको करने की आवश्यकता पड़ती है।

उदरावरणीय सीज़ेरियन परिच्छेद - Abdominal caesarean section

इसे पोरो सीज़ेरियन सेक्शन (Poro Caesarean section) भी कहतें हैं। रोगी ने यदि पहले सीज़ेरियन सेक्शन करवाया हो, तो उस स्थिति में दुबारा सीज़ेरियन परिच्छेद (repeat Caesarean section) किया जाता है। विशेष रूप से इसे पुराने निशान पर किया जाता है।

सी-सेक्शन प्रक्रिया के बाद - After C-section process

सी-सेक्शन के बाद, मरीज़ को कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ता है।

  • एनेस्थीसिया का प्रभाव काम होने पर मरीज़ को तरल पदार्थ पीने और चलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह कब्ज और deep vein thrombosis को रोकने में मदद करता है। मरीज़ के स्वास्थ्य की देखभाल में लगी टीम चीरे के स्थान पर संक्रमण की निगरानी रखती है। यदि मरीज़ के मूत्राशय में कैथेटर लगा है तो इसे जल्द से जल्द हटा दिया जाता है।
  • स्तनपान कराने में सक्षम होने पर मरीज़ को इसके बारे बताया और समझाया जाता है। नवजात को स्तनपान शुरू कराने के बाद डॉक्टर, सर्जिकल दर्द और अन्य समस्याओं के लिए दवाओं का चयन करतें हैं।
  • अस्पताल छोड़ने से पहले मरीज़ और उनके परिजनों को डॉक्टर से, आहार-विहार, क्या करें क्या ना करें, स्वास्थ्य देखभाल, नवजात के टीकाकरण तथा उसके स्वास्थ्य और रक्षा की पूरी जानकारी कर लेनी चाहिए।

डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।

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