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आँखें ही असल ज़िंदगी हैं, रखें ख्याल।

आपको यदि कोई दृष्टि संबंधी समस्या का भी अनुभव हो रहा है तो समग्र नेत्र जांच के लिए किसी आईकेयर प्रोफेशनल से ही संपर्क करें।

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आँखें ही असल ज़िंदगी हैं, रखें ख्याल। प्रतीकात्मक

डॉ. टीना अग्रवाल, 
नेत्र रोग विशेषज्ञ, सेंटर फॉर साइट, इंदौर।

सिर्फ वही लोग सूर्य की रोशनी का महत्व समझ सकते हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी का कुछ पल देर अंधेरे में गुजारा है। हमें इलाज की बेहतर सुविधाओं के जरिए अस्थायी नेत्रहीनता दूर करने पर जोर देना चाहिए क्योंकि नेत्रहीनता से प्रभावित प्रत्येक पांच में से चार व्यक्तियों का इलाज संभव हो सकता है। 

जागरूकता बढ़ाना आज की मांग है, खासकर बुजुर्गों के बीच, क्योंकि वे अपने शरीर के चेतावनी भरे लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं और दृष्टि की समस्या से पीड़ित लोगों में से 60 प्रतिशत लोग 50 साल से अधिक उम्र के ही होते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में लगभग 4.50 करोड़ नेत्रहीनों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग 50 साल से अधिक उम्र के हैं। लिहाजा 50 या इससे अधिक की उम्र वाले 50 साल या इससे अधिक की उम्र वाले प्रत्येक व्यक्ति को संपूर्ण नेत्र जांच कराने के लिए किसी आई केयर प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए।

पहले से कोई संकेत नहीं आते
नेत्र संबंधी कई रोगों में कोई पूर्ववर्ती लक्षण या संकेत नजर नहीं आते लेकिन समग्र जांच से दृष्टिहीनता की स्थिति आने से पहले शुरुआती चरण के नेत्र रोगों का पता चल सकता है। शुरुआती जांच और इलाज से आपकी दृष्टि सुरक्षित रह सकती है। आपको यदि कोई दृष्टि संबंधी समस्या का भी अनुभव हो रहा है तो समग्र नेत्र जांच के लिए किसी आईकेयर प्रोफेशनल से ही संपर्क करें। 

इसलिए हमें लोगों को शिक्षित करना होगा कि मोतियाबिंद, डायबिटीक रेटिनोपैथी, ग्लूकोमा, ड्राई आई आदि जैसी अधिक उम्र संबंधी नेत्र समस्याएं हमारे देश में आंखों की खराब सेहत का एक बड़ा कारण है, लेकिन उचित देखभाल और सही समय पर किसी मेडिकल एक्सपर्ट द्वारा चिकित्सा सहायता मुहैया कराने से इनका इलाज किया जा सकता है और मरीजों को अच्छीदृष्टि तथा आत्मविश्वास की जिंदगी जीने का आनंद मिल सकता है।
मिथकों को दूर कर

साथ ही हमें लोगों को यह भी बताना होगा कि टेक्नोलॉजी की तरक्की की बदौलत हमें आंखों की देखभाल संबंधी सभी तरह के मिथकों को दूर करने की जरूरत है, क्योंकि शुरुआती जांच में जरा भी देरी हमें दृष्टि से वंचित कर सकती है। 

हमें अच्छे आईकेयर के महत्व और नेत्रदान के बारे में लोगों के बीच अधिकतम जागरूकता और सक्रियता बढ़ाने की जरूरत है। हमें लोगों को यह भी बताना होगा कि कैसे नेत्रदान से किसी की जिंदगी को रोशन किया जा सकता है। 

अतः यदि आपको आंखों के सामने सीधी रेखाएं नजर आती हैं या आपको देखने में अस्पष्टता या धुंधलापन महसूस होता है या दूर की चीज देखने में दिक्कत आती है या बारीक चीजों को देखने में र्दिक्कत होती है, पन्नो पर किसी अंक या चेहरे को पढ़ने में दिक्वत आती है या आंखों से लगातार पानी आता रहता है, तो आपको तुरंत किसी प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए।

अच्छी दृष्टि के कारगर उपाय
खानपान स्वस्थ रखें: आंखों की सुरक्षा स्वस्थ संतुलित खानपान से ही शुरू होती है। ओमेगा-3, फैटी एसिड, जिंक और विटामिन सी तथा ई से युक्त पौष्टिक आहार मैस्कुलर डिजेनरेशन और कैटरेक्ट आदि जैसी उम्र संबंधी दृष्टि समस्याओं से निजात दिलाने में मददगार हो सकते हैं। हरी सब्जियां, साइट्रस फल, बादाम, आंखों की सेहत को अच्छा बनाए रखते हैं।

धूम्रपान त्यागें: धूम्रपान से आपको कैटरेक्ट्‌स, ऑप्टिक नर्व डैमेज और मैस्कुलर डिजेनरेशन आदि जैसी समस्याएं उत्पन्ना हो सकती हैं। सनग्लास का इस्तेमाल करें। धूप और नुकसानदेह यूवी किरणों में ज्यादा देर रहने से आपको कैटरेक्ट्‌स की समस्या हो सकती है।

कंप्यूटर पर काम करते समय रखे ख्याल: हमेशा कंप्यूटर पर काम करने के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें बिना ब्रेक लिए लंबे समय तक कंप्यूटर स्क्रीन पर चिपके रहने से नजर धुंधली, सिरदर्द और ड्राई आई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए ऐहतियातन अपने कंप्यूटर स्क्रीन को आंखों के समानांतर रेखा में रखें। इससे कंप्यूटर स्क्रीन पर आपकी नजर बहुत कम ही नीचे झुकी रहेगी। बैठने के लिए आरामदेह और पीठ को सपोर्ट देने वाली कुर्सी ही चुनें। यदि आपकी आंखें ड्राई हो जाती है तो पलकों को बार-बार झपकाएं। संभव हो तो प्रत्येक 20 मिनट पर यह प्रक्रिया दोहराएं और आंखों को आराम देने के ख्याल से 20 सेकंड तक 20 फुट दूर की चीजें देखने का अभ्यास दोहराते रहें। प्रत्येक दो घंटे पर कंप्यूटर के सामने से हट जाएं और 15 मिनट का ब्रेक लें।

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