लखनऊ। डेंगू बुखार से डरने एवँ भयभीत होने की जरूरत नहीं है। होम्योपैथी में ऐसी अनेक दवाइयाँ हैं जो डेंगू बुखार से बचाव एवं उपचार में पूरी तरह कारगर हैं। यह विचार राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर केंद्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ अनुरूद्व वर्मा ने जागरूकता फैलाने के लिए व्यक्त किये हैं।
उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार अन्य वायरल बुखार की तरह ही है जो डेंगू वायरस के कारण होता है। वायरल जनित बुखार होने के कारण इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार मादा एडीज मच्छर के काटने से होता है। ये रुके हुए साफ पानी में पैदा होता है तथा दिन में काटता है । मच्छर के काटने के 3 से 5 दिनों के अंदर डेंगू बुखार के लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं।
डॉ वर्मा ने बताया कि बताया कि डेंगू बुखार तीन तरह का होता है। साधारण डेंगू बुखार, डेंगू हेमरेजिक बुखार, एवँ डेंगू शॉक सिंड्रोम। साधारण डेंगू बुखार में ठंड लगने के बाद अचानक तेज बुखार, सिर और मांसपेशियों, जोड़ों एवँ हड्डियों में तेज दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द होना जो आँखों को दबाने या हिलाने से बढ़ जाता है, बहुत ज्यादा कमजोरी लगना, भूख ना लगना, जी मिचलाना, गले में हल्का सा दर्द होना ,चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल गुलाबी रंग के रैशेज के लक्षण पाये जाते हैं। यह बुखार 3 से 7 दिन तक रहता है।
उन्होंने बताया कि डेंगू हैमरेजिक बुखार में साधारण डेंगू बुखार के लक्षणों के साथ मसूड़े, नाक, मल-मूत्र में खून आना , पेट में दर्द तथा त्वचा पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे अथवा बड़े रैशेज पड़ जाते हैं।
डेंगू शॉक सिंड्रोम में साधारण हैमरेजिक बुखार के लक्षणों के साथ तेज बुखार के बावजूद त्वचा ठंडी महसूस होती है। रोगी धीरे-धीरे होश खोने लगता है ,मरीज की नाड़ी कभी तेज और कभी धीमी चलने लगती है। उसका ब्लड प्रेशर और प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं। इस स्थिति में चिकित्सालय में भर्ती कराना चाहिए।
डॉ वर्मा ने बताया कि डेंगू से बचाव के लिए एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकना, काटने से बचाव करना, शरीर विशेषकर पैरों को ढके रहना, पूरे पैरों को ढकने वाले कपड़े पहनना चाहिए। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ अनिल खुराना के अनुसार सभी डेंगू बुखारों का उपचार होम्योपैथी द्वारा सम्भव है परंतु डेंगू बुखार के उपचार के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक जैसे प्लेटलेट्स चढ़ाने एवं अन्य प्रबंधन को अपनाया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार से बचाव के लिए इपेटोरियम पर्फ 200 शक्ति में तीन दिन तक चिकित्सक की सलाह पर प्रयोग करना चाहिए। जेल्सीमियम, क्रोटेल्स, ब्रायोनिया, कैरिया पापाया, रस टॉक्स, इपेटोरियम पर्फ, हेममिलिस, चाइना, फेरम फॉस आदि दवाईओं का प्रयोग रोगी के लक्षणों के आधार पर केवल चिकित्सक की सलाह पर किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डेंगू बुखार से बचाव एवं उसके उपचार के लिए मोबाइल नंबर 9415075558 पर निःशुल्क परामर्श प्राप्त किया जा सकता है।
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