लखनऊ। प्रदेश के हर दिव्यांग तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए सरकार जहाँ एक ओर दृढ़ संकल्प है, वहीं दिव्यांग जनों के लिए समर्पित अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर फाइलेरिया रोगी नेटवर्क के सदस्यों ने दिव्यांगों के समर्थन में एकजुटता प्रदर्शित की। इन सदस्यों ने संकल्प लिया कि अब फाइलेरिया कुष्ठ व गठिया मरीजों की समस्याओं को भी सामने लाएंगे। इस नेटवर्क के सदस्य जिलों में फाइलेरिया बीमारी के प्रति जन जागरूकता फैलाते हैं।
डॉ वीपी सिंह संयुक्त निदेशक फाइलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया रोगी (Filaria patient) की देखभाल और दिव्यांगता की रोकथाम के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Mass Drug Administration) राउंड यानि सार्वजनिक दवा सेवन अभियान चलाया जाता है। भारत सरकार (Government of India) के नेतृत्व में यह अभियान अब हर वर्ष 10 फ रवरी और 10 अगस्त को चलाया जाएगा। इसके तहत दो वर्ष से छोटे बच्चों, गर्भवती (pregnant) और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को छोड़कर सभी को दवा खानी है।
उन्होंने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (Filaria eradication programme) के एमडीए (MDA) और एमएमडीपी (MMDP) दो स्तम्भ हैं। 2030 तक फाइलेरिया मुक्त प्रदेश बनाने की दिशा में फाइलेरिया बीमारी का प्रसार रोकने एवं हर फाइलेरिया ग्रसित रोगी को एमएमडीपी किट देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी क्रम में 2022 में अब तक 19900 एमएमडीपी किट मरीजों को अपने प्रभावित अंग की देखभाल का प्रशिक्षण देने के उपरांत वितरित की गई है। इस दिशा में फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्य सक्रिय हैं। मैं अपील करूंगा कि फाइलेरिया रोग के प्रति हर व्यक्ति जागरूकता (awareness) फैलाए।
फाइलेरिया नेटवर्क (Filaria Network) के अति सक्रिय सदस्य रघुवीर प्रताप ने कहा कि हमारा नेटवर्क बीमारी के प्रति जन जागरूकता फैलाने के प्रति समर्पित है। फ ाइलेरिया बीमारी से व्यक्ति दिव्यांग हो जाता है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है सिर्फ बचाव से ही फाइलेरिया जैसी घातक बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है। इसलिए अभियान के दौरान दवा अवश्य खानी चाहिए। संक्रमित व्यक्ति (infected person) को साफ -सफाई का खास ध्यान देना चाहिए। व्यक्ति को नियमित व्यायाम करना चाहिए ताकि प्रभावित अंग की सूजन (swelling of the affected part) और न बढऩे पाये।
दिव्यांग लोगों (disabled people) के लिए कार्य कर रही स्पार्क इंडिया संस्था के संस्थापक निदेशक एवं सचिव अमिताभ ने कहा कि यह दिवस हमें विचार करने का मौका दे रहा है कि दिव्यांगजनों को दया का पात्र नहीं मानें बल्कि उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ें। सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान स्वस्थ व्यक्तियों द्वारा दवा न खाने की गलती करने से लोगों को बचाएं जो भविष्य में उनके दिव्यांगता का कारण बन सकती है। इस संबंध में बने नियम व कानून को भी सक्रिय करने की आवश्यकता है।
क्यों मनाते हैं दिवस
दिव्यांग लोगों के लिए समर्पित अंतर्राष्ट्रीय दिवस विभिन्न बीमारियों और कारणों से दिव्यांगता संबंधी समस्याओं के प्रति जन जागरूकता (public awareness) फैलाने के प्रति समर्पित है। इसमें गठिया (Gout), अर्थराइटिस (arthritis), गाउट स्ट्रोक (gout stroke), मानसिक बीमारियां (mental illness) और फाइलेरिया प्रमुख हैं। समय रहते इन समस्याओं से व्यक्ति को बचाया जा सकता है।
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