नयी दिल्ली/लखनऊ। एम्स के अग्रणी डॉक्टर्स ने देश में डायबिटीज़ के तेजी से बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मांग की है और पैकेज़्, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड, फूड बेवरेजेस में साल्ट, शुगर एवं सैचुरैटेड फैट्स की विज्ञान आधारित सीमा स्थापित करने के लिए नीति बनाए जाने पर बल दिया है। डॉक्टरों ने कोविड-19 की दूसरी विनाशकारी लहर की पृष्ठभूमि में इस बात पर बल दिया क्योंकि इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि डायबिटीज़ पीड़ितों पर इलाज का असर कम देखने को मिला है और उन्हें कोविड-19 से जान गंवाने का जोखिम ज्यादा है।
डॉक्टरों ने यह मांग एम्स, जोधपुर द्वारा ‘भारत में फ्रंट पैकेज लेबलिंग के डायबिटीज़ मेलिटस का समाधान’ पर आयोजित एक राष्ट्रीय सत्र में की। प्रतिभागियों में डॉ. संजीव मिश्रा, डायरेक्टर, एम्स, जोधपुर; डॉ. रश्मि मल्होत्रा, सीनियर डायटीशियन, डायटिटिक्स विभाग, एम्स जोधपुर; डॉ. मधुकर मित्तल, अटैंडेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एवं मेटाबोलिज़्म, एम्स, जोधपुर; डॉ. प्रदीप अग्रवाल, एसोशिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी एवं फैमिली मेडिसीन, एम्स, ऋषिकेश; और डॉ. पंकज भारद्वाज, अटैंडेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसीन, एम्स, जोधपुर शामिल थे।
इंटरनेशनल डायबिटीज़ फेडरेशन (आईडीएफ) के अनुसार, 77 मिलियन से ज्यादा डायबिटीज़ पीड़ितों के साथ भारत में इस समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या दुनिया में दूसरे स्थान पर सर्वाधिक है। डॉ. संजीव मिश्रा, डायरेक्टर, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंसेस, जोधपुर ने चौंकानेवाला खुलासा करते हुए बताया कि 2045 तक यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम 134 मिलियन भारतीयों को 2045 तक डायबिटीज़ होगा और हमारे लोगों की सेहत पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। इस बात को नजरंदाज नहीं किया जा सकता कि 1990 से इस बीमारी की संरचना को प्रोसेस्ड फूड के बढ़ते उपभोग के साथ जोड़ा जा सकता है। विभिन्न सामाजिक आर्थिक श्रेणियों एवं आयु समूहों में डायबिटीज़ के तेजी से बढ़ने का कारण भारतीयों की आहार की आदतों में भारी परिवर्तन है। यदि हम डायबिटीज़ की महामारी को नियंत्रित करना चाहते हैं, तो हमें फौरन उसके उपाय करने होंगे।’’
डायबिटीज़ के प्रबंधन के लिए एक पोषणयुक्त आहार बहुत जरूरी है, जिसमें शुगर, साल्ट एवं सैचुरेटेड फैट की मात्रा नियंत्रण में हो।
डॉ. मधुकर मित्तल, अटैंडेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ एंडोक्राईनोलॉजी एंड मेटाबोलिज़्म, एम्स, जोधपुर ने कहा, ‘‘शुगर नए समय का सिगरेट है। लैब के अध्ययनों में सामने आया है कि शुगर उतना ही एडिक्शन करती है, जितना कोकेन से होता है। इससे इंसुलिन का उत्पादन बढ़ जाता है, जो फैट का स्टोरेज बढ़ा देती है और सभी अंगों की व्यवस्था को इससे क्षति होती है। पैकेज़्ड फूड एवं प्रोसेस्ड फूड में अतिरिक्त शुगर का उपभोग बहुत ज्यादा बढ़ गया है। भारत में शुगर का उपभोग दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले दोगुनी गति से बढ़ा है। अधिकांश पैकेज़्ड फूड एवं बेवरेज में शुगर की अत्यधिक मात्रा होती है। फूड की विकल्प बाजार एवं नीतियां निर्धारित करती हैं, इसलिए हमें कठोर नीतियां बनाने की जरूरत है, ताकि उपभोक्ता सेहतमंद विकल्प चुनें।’’
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड उद्योग भारत में रिकॉर्ड गति से बढ़ा है। भारत शुगरयुक्त बेवरेज के लिए विश्व के पांच बाजारों में दूसरे स्थान पर है। अध्ययनों में सामने आया है कि सेहतमंद आहार अपनाए जाने को बढ़ावा देने की जरूरत के बावजूद, खासकर महामारी के परिदृश्य में मल्टीनेशनल कंपनियां नुकसानदायक, अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड एवं शुगरयुक्त ड्रिंक्स को बढ़ावा देती रहीं तथा उनमें मौजूद नुकसानदायक तत्वों पर सरकार की कोई सीमा तय नहीं रही। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड की बिक्री के मामले में प्रति व्यक्ति सेल्स 2005 में 2 किलोग्राम से बढ़कर 2019 में लगभग 6 किलोग्राम तक पहुंच गई और 2024 तक इसके 8 किलोग्राम तक पहुंचने का अनुमान है। इसी प्रकार, अल्ट्रा प्रोसेस्ड बेवरेज की बिक्री 2005 में 2 लीटर से 2019 में 6.5 लीटर और 2024 तक लगभग 10 लीटर तक पहुंचने का अनुमान है।
सौंदर्या राय May 06 2023 0 73470
सौंदर्या राय March 09 2023 0 78641
सौंदर्या राय March 03 2023 0 76662
admin January 04 2023 0 76491
सौंदर्या राय December 27 2022 0 67539
सौंदर्या राय December 08 2022 0 56887
आयशा खातून December 05 2022 0 108336
लेख विभाग November 15 2022 0 80587
श्वेता सिंह November 10 2022 0 85749
श्वेता सिंह November 07 2022 0 78578
लेख विभाग October 23 2022 0 63692
लेख विभाग October 24 2022 0 64799
लेख विभाग October 22 2022 0 71409
श्वेता सिंह October 15 2022 0 78129
श्वेता सिंह October 16 2022 0 73802
अनियमित खानपान और दिनचर्चा के कारण जांघों पर चर्बी जमा होने लगती है। इससे आपकी बॉडी शेप खराब हो जाता
सबके मन में सवाल उठ रहें हैं कि नोएडा में 32 मंजिल और 29 मंजिल के दो सुपरटेक ट्विन टावर्स जब गिरेंगे
आयुर्वेद के अपने फायदे-नुकसान हैं। जिस इंटीग्रेटेड कोर्स पर हम लोग काम कर रहे हैं, वह लोगों की भलाई
शरीर में विटामिन ए की कमी न हो इसके लिए विटामिन ए वाले फूड का चयन करना जरूरी होती है। डाइट में ऐसे फ
दातुन या परम्परागत मंजन वैक्टीरिया को मारता तो है लेकिन ये दांतों की सफाई पूरी तरह नहीं करता है। टूथ
उपराज्यपाल ने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य प्रणाली और मजबूत सामाजिक आर्थिक विकास के लिए जम्मू कश्मीर में क
नेशनल हेल्थ मिशन के निदेशक व अतिरिक्त सचिव विकास शील ने कहा, 'अब सीनियर सिटिजन, फ्रंटलाइन व हेल्थकेय
जच्चा बच्चा को गायब करने के मामले में एक ग्रामीण ने अस्पताल संचालक के खिलाफ लगाए गए आरोपों के चलते स
एक महिला ने अपने 22 वर्षीय बेटे को अपनी एक किडनी दान कर दी। इससे उसे नया जीवन मिला। किंग जॉर्ज मेडिक
साहिल वर्मा के हाथ के अंगूठा कट जाने से वह जिला अस्पताल इमरजेंसी में नर्सों ने उसे 2 इंजेक्शन लगाया
COMMENTS