नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी के बीच चिकित्सकों की एक रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें ये निकलकर सामने आया है कि नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खिलाफ हाइब्रिड इम्यूनिटी काफी प्रभावी है, जिस कारण देश में कोरोना महामारी ने ज्यादा विनाशकारी प्रभाव नहीं दिखाया। केरल के एक चिकित्सक की अगुवाई में हुए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
अध्ययन के प्रमुख एवं क्लीनिकल इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ पद्मनाभ शिनॉय ने बताया कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के मुकाबले भारत में ओमीक्रॉन से ज्यादा असर नहीं पड़ा। अन्य देशों की तुलना में भारत के लोगों में मौजूद हाइब्रिड इम्यूनिटी मृत्यु दर कम रहने के प्रमुख कारणों में से एक है।
भुवनेश्वर के 'कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस' के डॉ साकिर अहमद भी इस अध्ययन में शामिल थे। डॉ. शिनॉय ने यहां पत्रकारों से बातबीच में कहा,'' मानव शरीर में सामान्य संक्रमण अथवा टीकाकरण से इम्यूनिटी पैदा होती है। हाइब्रिड इम्यूनिटी वह प्रतिरोधक क्षमता है जो ऐसे इंसान में पैदा होती है जिसे पहले संक्रमण हो चुका है और उसे संक्रमण रोधी टीका भी लग गया है।''
इस अध्ययन में दो हजार मरीजों को शामिल किया गया। प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया कि हाइब्रिड इम्यूनिटी से पैदा एंटी बॉडीज का स्तर पूर्ण टीकाकरण करा चुके लोगों के मुकाबले 30 गुना अधिक था।
क्या है हाइब्रिड इम्यूनिटी
देश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बीबीनगर के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर विकास भाटिया के मुताबिक कोविड में हाइब्रिड इम्यूनिटी का अर्थ है, संक्रमण के दौरान और टीकाकरण दोनों के जरिए हासिल इम्यूनिटी। जब दोनों तरह की इम्यूनिटी मिल जाती है तो ये हाइब्रिड इम्यूनिटी कहलाती है। जो लोग कोविड के संपर्क में आए हैं, उनमें कोविड के प्रति इम्यूनिटी विकसित हो सकती है। हो सकता है कि उन्हें वैक्सीनेशन भी मिला हो। ऐसे में ये दोनों तरह की इम्यूनिटी मिलकर ही हाइब्रिड इम्यूनिटी बनाती हैं।
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