नयी दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने मरीजों की सुविधा के लिए बड़ा ऐलान किया है। जहां एम्स में अब कोरोना सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा मिल पाएगी। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन मिलने के बाद एम्स में लैब का सेटअप तैयार किया जा रहा है। फरवरी में सेटअप पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाएगा। हालांकि अगर जरूरत पड़ती है तो सेटअप तैयार होने से पहले भी एम्स में कोराना सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की जाएगी।
कोविड-19 के बढ़त खतरे के बीच एम्स में पिछले डेढ़ साल से जीनोम सिक्वेंसिंग (genome sequencing) लैब स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन एम्स प्रशासन को प्रयासों में सफलता नहीं मिल पा रही थी। प्रो. मीनू सिंह ने जुलाई 2022 में एम्स निदेशक (AIIMS Director) का कार्यभार संभालने के बाद जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की उपलब्धता के लिए नए सिरे से प्रयास किए। आखिरकार केंद्र से स्वीकृति मिलने के साथ एम्स (AIIMS) पिछले साल दिसंबर 1.92 करोड़ रुपये की जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन खरीदने में सफल रहा।
क्या है जीनोम सिक्वेंसिंग- what is genome sequencing
जिस तरह इंसान का शरीर डीएनए से मिलकर बनता है, वैसे ही वायरस डीएनए (DNA) या आरएनए (RNA) से बनता है। कोरोना वायरस (corona virus) आरएनए से बना है। जीनोम सीक्वेंसिंग वो तकनीक है, जिससे वायरस (VIRUS) की अनुवांशिक जानकारी मिलती है।
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